15 चमत्कारिक लाभ हैं पारिजात या हरसिंगार के

15 Amazing Benefits of "Night Jasmin"
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हरसिंगार के पत्तों और फूलों में एंटी बैक्टीरियल और एंटी एलर्जिक गुण होते हैं, जो वायरस या जीवाणुओं से होने वाली एलर्जी से बचाते हैं। हरसिंगार आपको जोड़ों के दर्द में भी राहत दिलाता है।


हरसिंगार या हारसिंहार को संस्कृत में पारिजात कहते है। रात की रानी, परिजात, प्राजक्ता, नाइट जैस्मीन, बंगला में शिउली आदि अन्य नाम भी हैं।  यह औषधीय पौधा (हर्ब)  भी है, जिसका वानस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है। हरसिंगार के चिकित्सीय गुणों के कारण इसके पत्ते, छाल, फूल आदि का प्रयोग लंबे समय से औषधि के रुप में किया जाता है। हरसिंगार के फूल सफेद, साफ और सुगंधित होते हैं। इसका पेड़ करीब 10 से 15 फीट ऊंचा होता है। इसके पत्तों को पानी के साथ उबाल कर सेवन किया जाता है। आइए जानते हैं कि हरसिंगार का उपयोग किन स्वास्थ्य समस्याओं में हैं लाभकारी।

पहचान-
हारसिंगार के पेड़ बहुत बड़े नहीं होते हैं। इसमें गोल बीज आते हैं। इसके फूल अत्यन्त सुकुमार और बड़े ही सुगन्धित होते हैं। पेड़ को हिलाने से वे नीचे गिर पड़ते हैं। वायु के साथ जब दूर से इन फूलों की सुगन्ध आती है, तब मन बहुत ही प्रसन्न और आनन्दित होता है। उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे सुगंध बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और प्रातःकाल जमीन में गिर जाते है। हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई गरम होता है। आपने अपने बचपन में (क्योकिं अब तो घर के कैंपस में भी पेड़ नहीं बचे) सम्भवतः इसके फूल को तोड़ते या भूमि से उठाते हुए देखा हो। इस फूल की डंडी को पीसकर चंदन की भाँति लोग भगवान को एवं स्वयं भी लगते हैं, ऐसा हम भी करते हैं।

एक साल में केवल एक बार जून माह में सफ़ेद व पीले रंग के फूलों से सुसज्जित होने वाला यह वृक्ष न केवल सुगंध बिखेरता है, बल्कि देखने में भी सुन्दर है। आयु की दृष्टि से हज़ारों वर्ष तक जीवित रहने वाले इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं, जिसकी दुनिया भर में सिर्फ़ पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से एक ‘डिजाहाट’ है। पारिजात वृक्ष इसी डिजाहाट प्रजाति का है।


पारिजात या हरसिंगार के चमत्कारिक लाभ-
गठिया-
पारिजात पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस ले और चटनी बनाइये फिर एक ग्लास पानी में इतना गरम कीजिये की पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पीजिये तो बीस-बीस साल पुराना गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।

घुटनों की चिकनाई-
अगर घुटनों की चिकनाई (Smoothness) हो गई हो और जोड़ो के दर्द में किसी भी प्रकार की दवा से आराम ना मिलता हो तो ऐसे लोग हारसिंगार (पारिजात) पेड़ के 10-12 पत्तों को पत्थर पे कूटकर एक गिलास पानी में उबालें-जब पानी एक चौथाई बच जाए तो बिना छाने ही ठंडा करके पी लें- इस प्रकार 90 दिन में चिकनाई पूरी तरह वापिस बन जाएगी। अगर कुछ कमी रह जाए तो फिर एक माह का अंतर देकर फिर से 90 दिन तक इसी क्रम को दोहराएँ निश्चित लाभ की प्राप्ति होती है।
साइटिका-
हारसिंगार या पारिजात के पत्तों को धीमी आंच पर उबालकर काढ़ा बना लें। इसे साइटिका के रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है। यह बंद रक्त की नाड़ियों को खोल देता है यही कारण है की ये साइटिका में लाभप्रद है
बालों का झड़ना या गंजेपन का रोग-
हारसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से सिर में नये बाल आना शुरू हो जाते हैं। जड़ो से नये बाल फूटने लगते है।

चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis, ब्रेन मलेरिया-
इस के पत्ते को पीस कर गरम पानी में डाल के पीजिये तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है। हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार समाप्त हो जाता है।
बवासीर-
पारिजात बवासीर के निदान के लिए रामबाण औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के रोगी को राहत मिलती है।
यकृत या लिवर-
7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के सुबह-शाम सेवन करने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।
हृदय रोग-
इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है।
दाद-
हारसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। दाद में ये बहुत चमत्कारी औषिधि है।
सूखी खाँसी-
इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।
त्वचा रोग-
इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते हैं। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
श्वास या दमा का रोग-
हारसिंगार की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है।
क्रोनिक बुखार-
पारिजात की कोंपल को यदि पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं पारिजात के बीज जहाँ बालों के लिए शीरप का काम करते हैं तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है।
खुजली- हारसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लगाने या दही में सोनागेरू घिसकर पिलाने या हरसिंगार के पत्ते दूध में पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
ध्यान रखें-
हारसिंहार खांसी में हानिकारक है। हारसिंगार के दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग किया जाता है।
#साभार
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