यम के आशीर्वाद से जुडा है भाई को भोजन कराना

भाईदूज या यम द्वितीया भाई की आयुवृद्धि का पर्व


(डीएन न्यूज़ / धर्म नगरी) पाँच पर्वों के महापर्व दीपावली (पृथ्वी का सबसे प्राचीन पर्व, जिसे त्रेता युव से मनाया जाता है)  का अंतिम एवं पांचवा पर्व कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाईदूज या भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। 

भाईदूज के दिन भाई, बहिन के घर का ही खाना खाए। ऐसा करने से भाई की आयुवृद्धि होती है। पहला कौर बहिन के हाथ से खाएं। स्कंदपुराण के अनुसार इस दिन जो बहिन के हाथ से भोजन करता है, वह धन एवं उत्तम सम्पदा को प्राप्त होता है। अगर बहिन न हो तो मुँहबोली बहिन या मौसी/मामा की पुत्री को बहिन मान ले। अगर वह भी न हो तो किसी गाय अथवा नदी को ही बहिन बना ले और उसके पास भोजन करे। कहने का आश्रय यह है की यमद्वितीया को कभी भी अपने घर भोजन न करे।

ये करें यम द्वितीया या भाई दूज को-
आज बहिन अपने भाई की 3 बार आरती जरूर उतारे।
आज बहिन भाई को तथा भाई बहिन को कोई न कोई उपहार जरूर दे, स्कंदपुराण के अनुसार विशेषतः वस्त्र तथा आभूषण। आज भाई बहिन का यमुना जी में नहाना भी बहुत शुभ है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुनाजी में स्नान करने वाला पुरुष यमलोक का दर्शन नहीं करता।

नारद पुराण के अनुसार-
ऊर्ज्जशुक्लद्वितीयायां यमो यमुनया पुरा।।   भाईदूज या यम द्वितीया
भोजितः स्वगृहे तेन द्वितीयैषा यमाह्वया ।।
पुष्टिप्रवर्द्धनं चात्र भगिन्या भोजनं गृहे ।।
वस्त्रालंकारपूर्वं तु तस्मै देयमतः परम् ।।
यस्यां तिथौ यमुनया यमराजदेवः संभोजितो निजकरात्स्वसृसौहृदेन ।।
तस्यां स्वसुः करतलादिह यो भुनक्ति प्राप्नोति रत्नधनधान्यमनुत्तमं सः ।।
 
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्वकाल में यमुनाजी ने यमराज को अपने घर भोजन कराया था, इसलिए यह ‘यमद्वितीया’ कहलाती है। इसमें बहिन के घर भोजन करना पुष्टिवर्धक बताया गया है। अतः बहिन को उस दिन वस्त्र और आभूषण देने चाहिए। उस तिथि को जो बहिन के हाथ से इस लोक में भोजन करता है, वह सर्वोत्तम रत्न, धन और धान्य पाता है। 
         
पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। भैयादूज पर यमुनाजी का उद्गम स्थल- यमुनोत्री के कपात यम द्वितीया को बंद रहेंगे। इस पर्व का महत्व है-

धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर बुलाकर सत्कार करके भोजन कराया था। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। तब यमराज ने प्रसन्न होकर उसे वर दिया, कि जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा है।
 
यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुनाजी और यमराज की पूजा करने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

भाई की आयु हेतु करें यमराज से प्रार्थना
सर्वप्रथम बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें।

यम के आशीर्वाद से जुडा है भाई को भोजन कराना 
यम द्वितीया को किसी ने यमराज को भोजन नहीं कराया। तब यमुनाजी ने यमराज का आह्वान किया और भोजन कराया। इसी से मान्यता जुड़ी है, यम ने आशीर्वाद दिया, कि इस दिन जो बहन अपने भाई को भोजन कराएगी, उसे यमराज का आशीर्वाद मिलेगा। तब से बहन भाई को भोजन कराती हैं। भोजन के बाद भाई की तिलक लगाती हैं। इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

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