मन्दिर में पूजन के साथ PM की दक्षिण में घुसपैठ, विदेश यात्रा !

मन्दिर में पूजन के  साथ PM की दक्षिण में घुसपैठ, विदेश यात्रा !  #Modi-in-Kerala

मोदी पारंपरिक वेषभूषा मुंडू पहनकर पहुंचे, मोदी का हुआ "तुलाभारम"

त्रिशूर (धर्म नगरी)। त्रिशूर जिले में स्थित गुरुवायूर मन्दिर में पीएम नरेन्द्र मोदी ने शनिवार 8 जून को दर्शन-पूजन किया।  केरल में स्थित इस मन्दिर को दक्षिण का द्वारकाधीश मन्दिर भी कहते हैं। पीएम बीते रात त्रिशूर पहुंचे और मन्दिर के गेस्ट हाउस में रुके। मंदिन में दर्शन-पूजन के लिए मोदी पारंपरिक वेषभूषा मुंडू पहनकर पहुंचे। इसके साथ, राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस्लाम के प्रभाव में जकड़ते और ISIS का सीरिया के बाद केन्द्र बन रहे केरल में पीएम मोदी ने मन्दिर में दर्शन-पूजन कर "दक्षिण भारत" में सेंघ लगाई है।

तुलाभारम हुआ-
मन्दिर में मोदी का तुलाभारम हुआ, जिसमें उनके भार के बराबर दान की वस्तु का वजन हुआ। मोदी को कमल के फूल से तौला गया। परमात्मा के आगे अपने शरीर के बराबर दान, खाद्य की वस्तु को तौलकर स्वयं को भगवान के आगे समर्पण करना होता है। मन्दिर की मान्यता है, कि यहां दर्शन-पूजन से वायु रोग, असाध्य रोग या कष्ट होते हैं। जिस प्रकार भगवान वेदव्यास महाभारत लिखा है, वैसे ही दक्षिण में नारायणीम लिखा। पूजा-अर्चना करने के बाद पीएम मोदी कार्यकर्ताओं की "अभिनव सभ" को संबोधित किया।

मन्दिर की 5000 वर्ष प्राचीन मान्यता-
वृहस्पति एवं वायु देवता ने स्थापना की मंदिर की, इसलिए इस मन्दिर को गुरुवायूर मन्दिर कहते हैं। वृहस्पति को भगवान कृष्ण की मूर्ति मिली। 5000 वर्ष प्राचीन (जब क्रिश्चियन, इस्लाम कोई धर्म नहीं था) इस मन्दिर में बाल-कृष्ण के रूप में भगवान गुरुवायूरप्पन स्थापित हैं। भगवान विष्णु की चार-भुजा मूर्ति है। मंदिर में केवल हिन्दू जा सकते हैं, गैर-हिन्दू नहीं। फरवरी-मार्च में मन्दिर का वार्षिक मेला आयोजित होता है। 


अपने दूसरे प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा (मालदीव की) मन्दिर में दर्शन-पूजन के साथ किया।पीएम मोदी ने डिजिटल पेमेंट से 49,431 रु दान किया। उल्लेखनीय है, पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत से पहले काशी के कोतवाल और जीत के बाद काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में दर्शन-पूजन के साथ की थी। चुनाव परिणाम आने से पहले, जब सातवें व अंतिम चरण का मतदान 19 मई को चल रहा था, तब पीएम ज्योतिर्लिंग केदारनाथ में थे। दर्शन-पूजन व गुफा में ध्यान लगा रहे थे। 

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