मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ...



धर्म नगरी (वाट्सएप 6261868110) पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की पहली पुण्‍यतिथि पर पूरे देश में विभिन्‍न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे  है। तीन बार देश के प्रधानमंत्री और 2015 में भारत के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान "भारत रत्‍न" से अलंकृत अटलजी को दिल्ली स्थित उनके "सदैव अटल" स्‍मारक पहुंचकर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द, प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह आदि ने पुष्‍पांजलि अर्पित की और प्रार्थना सभा में भाग लिया।
"सदैव अटल" स्‍मारक पर प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते 


अटलजी से जुड़ी 5 बड़ी बातें...
>> तीन बार देश के प्रधानमंत्री के काल में अटलजी ने अपने भाषणों से सबको बहुत प्रभावित किया पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे

>> जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश)  में हुआ। पढ़ाई-लिखाई कानपुर में हुई छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए कानपुर से परा-स्नातक (Post Graduation) करने के बाद उन्होंने LLB में प्रवेश लिया, लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वह राजनीति में सक्रिय हो गए अगस्त 1942 में उन्हें और बड़े भाई प्रेम को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 23 दिन के लिए गिरफ्तार किया गया

>> भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में एक थे, जिसके वह 1968 से 1973 तक अध्यक्ष भी रहे। 1955 में उन्होंने जनसंघ के टिकट पर पहली बार लोकसभा का चुनाव लडे, लेकिन हार गए 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया गया इनमें से बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से चुनाव जीतकर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे। 


>> साल 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी वाजपेयी उस सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दी में भाषण दिया ऐसा करने वाले वह देश के पहले नेता थे

अटलजी की  कुछ कविता- 
जूझने का मेरा इरादा न था
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था
रास्ता रोककर खड़ी हो गई
यों लगा जिन्दगी से बड़ी हो गई
मौत की उमर क्या है ? दो पल भी नहीं
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ ?

_/\_ @DharmNagari 

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटलजी 

गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर ,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख, देख पाता हूं।
गीत नया गाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूँगा,
रार नहीं ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।


भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठम नेता भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने पीछे एक समृद्ध परम्‍परा छोड़ी है, जो आने वाले वर्षों में भी बनी रहेगी। उन्‍होंने आर्थिक नीतियों को गति प्रदान की, बुनियादी ढांचे से जुड़ी व्‍यापक परियोजनाएं शुरु कीं और राष्‍ट्रीय राजमार्गों का विकास किया। उनके नेतृत्‍व में ही भारत ने 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण कर परमाणु सम्‍पन्‍न देश के रूप में भारत की स्थिति मजबूत की। श्री वाजपेयी का जन्‍म 25 दिसम्‍बर, 1924 को ग्‍वालियर में हुआ था। वे भारत के पहले विदेश मंत्री थे जिन्‍होंने 1977 में संयुक्‍त राष्‍ट्र में हिंदी में भाषण दिया। एक प्रखर वक्‍ता होने के अलावा, वे एक लेखक कवि, निस्‍वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार भी थे।  
अटल बिहारी बाजपाई जी का संसद में विश्वासमत पर अटलजी का भाषण-

 https://www.youtube.com/watch?v=_pOeeB9qQPQ&feature=youtu.be

इतिहास का, प्लासी के युद्ध का उदाहरण देते हुए हिन्दुओ को संगठित व सक्रिय होने की प्रेरणा देते अटल जी.. 

https://www.youtube.com/watch?v=suW6Nxq27Ek&feature=youtu.be

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