पाकिस्तान के सिर पर सवार
मोदी-भारत नाम का दिमागी बुखार

धर्म नगरी (वाट्सएप-6261868110)।  PoK में पाकिस्तानी फौज की भारी तैनाती और तैयारी के समाचार के मध्य पाकिस्तान ने आज अपनी 15 साल पुरानी एक मिसाइल गजनवी फिर से दागकर उसका परीक्षण भी किया। पाकिस्तान का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, विदेशमंत्री और रक्षामंत्री, यहां तक कि रेल और खेलमंत्री भी अपनी 5 टाइम की नमाज़ की ही तरह PoK पर भारत के सम्भावित हमले की आशंका की माला पिछले 20 दिनों से जप रहे हैं।

हमले की संभावनाओं को लेकर दिन-रात विलाप-
पाकिस्तान का मीडिया और विपक्ष भी PoK पर भारत के हमले की संभावनाओं का विलाप दिन-रात कर रहा है। कुल मिलाकर पाकिस्तान की सरकार और सेना समेत समूचा पाकिस्तान पिछले 20 दिनों से PoK पर भारतीय हमले की संभावनाओं को उसी तरह टटोल रहा है जिसतरह कोई जन्मांध अपने हाथों से टटोलकर हाथी के शरीर का आकार नापने की कोशिश करता है। पाकिस्तान की इस बेचैनी छटपटाहट और उछलकूद से भारत के प्रधानमंत्री विदेशमंत्री समेत पूरी सरकार इस तरह अविचलित नज़र आ रही है मानो कहीं कुछ हो ही नहीं रहा है। केवल रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जबर ठकुरई के साथ पाकिस्तान से जब तब यह पूछ लेते हैं कि PoK गिलगिट बाल्टिस्तान तो भारत का ही है, फिर पाकिस्तान कश्मीर के लिए रो क्यों रहा है ?
लुटियनिया न्यूजचैनलों पर आजकल चढ़े हुए पाकिस्तानी बुखार से इतर दूरदर्शन इस पूरी पाकिस्तानी बेचैनी बेहूदगी की खबरों को कोई विशेष महत्व नहीं दे रहा है।

पाकिस्तान की यह बेचैनी यह छटपटाहट और उसपर सवार भारत-मोदी नाम के दिमागी बुखार को देखकर भारतीयों, विशेषकर नई पीढ़ी का,  मन परम आनंद से सराबोर हो रहा है, क्योंकि यह दृश्य पहली बार देख भी रहा हूं और पहली बार ही पढ़ भी रहा हूं। अब से पहले, पिछले 72 सालों का इतिहास गवाह है कि 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध की कुल 7-8 माह की अवधि को छोड़कर शेष समयावधि में पाकिस्तान से कश्मीर की रक्षा करने के लिए भारत ही चिंतित रहता था।

40-50 करोड़ रूपये सालाना खर्च कर के पाकिस्तान 2-3 सौ आतंकी लफंगे भारत भेजने के बाद मौज लेता रहता था। जबकि भारत को उन आतंकी लफंगों से अपनी सीमाओं और अपने नागरिकों की प्राणरक्षा के लिए हज़ारों करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च करने पड़ते थे।  पाकिस्तान इसलिए निश्चिंत होकर मौज लेता था क्योंकि वो यह मानकर चलता था कि भारत उसपर पहले हमला नहीं करेगा। उसका सोचना गलत भी नहीं था। 67 वर्षों तक भारत की नीति रीति यही रही, लेकिन 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मौसम का मिजाज बदल चुका है। 2016 और 2019 में, भारत 2 बार पाकिस्तान में घुसकर पाकिस्तानी लफंगों के खून से होली खेल चुका है। धारा 370 हटाकर कश्मीर को आधिकारिक रूप से अपने में समाहित कर लेने के बाद भारत भरपूर दबंगई के साथ PoK पर अपना दावा पहली बार खुलकर ठोंक रहा है।

आज परिणाम यह है, कि दहशत में आया पाकिस्तान अपनी सीमा पर कई गुना फ़ौज बढ़ाने को विवश हो गया हैं और रोजाना का खर्च दसियों गुना बढ़ चुका है। इसे आप यूं समझ सकते हैं कि एक F-16 लड़ाकू विमान की एक घण्टे की उड़ान का न्यूनतम औसतन खर्च 35,000 डॉलर के लगभग होता है। अर्थात पाकिस्तानी मुद्रा में यह राशि लगभग 55 लाख रुपये प्रति घण्टा हो जाती है।

भैंस, गधे और PM आवास की कारें बेंचने के बाद भीख-
अतः आप आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि अपनी ध्वस्त अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जो पाकिस्तान भैंस, गधे और प्रधानमंत्री आवास/कार्यालय की कारें तक बेंचने को मजबूर हो। दुनिया भर में भीख मांग रहा हो। उसे अपनी PoK बचाओ मुहिम कितनी महंगी पड़ रही होगी, कितनी पीड़ा दे रही होगी।
इसलिए लुटियनिया मंडी वाले न्यूजचैनली लाल बुझ्झकड़ों द्वारा फैलाई जा रही पाकिस्तानी फौज की तैयारी की सनसनी के भ्रमजाल में मत फंसिए और इस पाकिस्तानी बेचैनी छटपटाहट उछलकूद का आनंद लेते रहिए।

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