#पितृपक्ष : श्राद्ध

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे,  
जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे !


और...
कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा ?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
यह है सही कारण।

आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं ?
या किसी को लगाते हुए देखा है ?
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(धर्म नगरी / डीएन न्यूज़) वाट्सएप-6261868110
केवल सदस्यों या प्रतियाँ अपने नाम से बटवाने वालों हेतु।
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क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं ?

इसका उत्तर है नहीं...
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करें, परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति / कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चातकौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।

पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2  छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है। अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है, तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है। इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा। और यह होगा कैसे ? मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।

तो इस नई पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है। इसलिए ऋषि मुनियों ने
कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये...
इसलिए दिमाग को दौड़ाए बिना श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है।
सदैव घ्यान रखिए, जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखेंगे, तो अपने पूर्वज तो स्मरण होंगे ही, क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था। इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।

👉 सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ।जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...? अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये
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श्राद्ध का क्या प्रभाव है ? क्यों आवश्यक है ? क्यों करें श्राद्ध ? 
(विस्तार से पढ़ें) 
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http://www.dharmnagari.com/2019/09/SraddhKyaHaiKyonKare.html

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