असभ्य उदंड अहंकारी और हिंदू विरोधी -राजीव धवन

 ।। अयोध्या : श्रीराम मंदिर प्रकरण ।। 

असभ्य उदंड अहंकारी और हिंदू विरोधी -राजीव धवन

                                                                                                                       
जब से राजीव धवन राम जन्मभूमि मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में बहस कर रहे हैं, तब से मैं लगातार उन पर अपनी दृष्टि गड़ाए बैठा हूँ । कारण तो कई है, पर सबसे महत्वपूर्ण कारण जो है वह यह कि दुश्मनों की रणनीति को समझने के लिए दुश्मन के विचार उसके क्रियाकलाप और उसकी गतिविधियों पर अपनी पैनी दृष्टि गड़ाकर यदि रणनीति बनाएंगे, तो दुश्मनों से कभी मात नहीं खाएंगे ।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन देश के उन लाखों हिंदुओं की मानसिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सेकुलरवादी वादी गिरोह के सदस्य कहे जाते हैं ।  अपनी इसी दूषित मानसिकता के चलते हिंदू सनातन धर्म के लिए कालनेमी बने बैठे हैं । विश्वास नहीं होता कि राजीव धवन जैसा हाई एजुकेटेड व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में प्रतिष्ठित, एक उदंड अहंकारी असभ्य और हिंदू विरोधी मानसिकता का हो सकता है। इससे पहले कि मैं अधिवक्ता राजीव धवन के कांग्रेसी व हिंदू विरोधी चरित्र को लिखना प्रारंभ करूं ।

आइए उससे पहले जान लेते हैं उनकी असभ्यता और उद्दंडता का चरित्र , राजीव धवन किस तरह से एक दूषित मानसिकता से ग्रसित हैं। यह आप सब के समक्ष रखना आवश्यक है। पिछले वर्ष अर्थात दिसंबर 2018 में जब सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि की सुनवाई चल रही थी, मुख्य न्यायाधीश थे माननीय जज दीपक मिश्र सुनवाई के दौरान ही वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन अपने लुच्चे व टुच्चेपन का प्रदर्शन करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र पर सुनवाई जुलाई 2019 तक टालने का दबाव बनाने लगे। (देश के सभी राम भक्तों इस बात को आसानी से समझ सकते हैं की सुनवाई टालने का उनका असली मकसद क्या था) और न्यायालय कक्ष में ही जोर जोर से चिल्लाते हुए माननीय जज कोई अनाप-शनाप बकने लगे।

प्रत्यक्षदर्शी यह बताते हैं, कि गर्मा-गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई, कि अंत में अधिवक्ता राजीव धवन को 15-20 अधिवक्ता जबरदस्ती कप से बाहर लेकर आए। जबरदस्त हंगामा हुआ था उस दिन। पूरे मामले को उकसाने में हुई प्लान के तहत न्यायालय कक्ष में कांग्रेसी अधिवक्ता कपिल सिब्बल दुष्यंत दवे तथा अन्य कांग्रेसी जुड़े अधिवक्ता भी उस समय राजीव भवन का बराबर साथ दे रहे थे। बाद में माननीय जज दीपक मिश्र ने राजीव धवन के इस शब्द उदंड और खराब व्यवहार के लिए उन्हें कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि ऊंची आवाज और धौंस जमाने वाले ऐसे अधिवक्ताओं का आचरण शर्मनाक है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। तब उल्टे अपनी गलती मानने के बजाय बड़ी ही बेशर्मी से अधिवक्ता राजीव धवन ने संवैधानिक पीठ पर ही लगभग उंगली उठाते भी कहा  कि उनका अपमान हुआ है और वो सुप्रीम कोर्ट की प्रैक्टिस छोड़ देंगे।

यह बात अब अलग है, कि उन्होंने ना अपनी प्रेक्टिस छोड़ी और ना ही उन्होंने छोड़ी अपनी दूषित मानसिकता व व्यवहार। वैसे भी राजीव धवन अपनी इस दूषित मानसिकता का का प्रदर्शन कई बार अनेक मौकों पर कर चुके हैं। घटनाएं बहुत है। अगर मैं विस्तार में जाऊंगा तो, निश्चित रूप से आर्टिकल काफी बड़ा होगा जो कि मैं फिलहाल नहीं चाहता हूं। खैर आपको यह याद होगा, कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और सांसद सदाबहार शशि थरूर ने कभी कहा था-  अगर भारतीय जनता पार्टी चुनाव में विजय प्राप्त करती है, तो हिंदुस्तान हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा और उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा के शासन काल में अगर विजय प्राप्त होती है तो देश का हिंदू तालिबानी करण होगा।

तब अपनी उसी कांग्रेसी और हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए अधिवक्ता राजीव धवन ने कोर्ट में कहा था- हिंदू तालिबान ने बाबरी मस्जिद गिराई थी, जबकि उस समय देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता राजीव धवन द्वारा दिए गए वक्तव्य को गलत बताते हुए कहा था, कि हिंदू तालिबान शब्द का प्रयोग स्वीकार नहीं किया जा सकता है और इसे दोबारा प्रयोग में नहीं लाया जाए। तब राजीव धवन ने बड़ी बेशर्मी से अपने आप को सही ठहराते हुए कहा था, कि मैं अपनी बात पर कायम हूं। मैं कुछ भी गलत नहीं कह रहा हूं। मस्जिद को तोड़ने वाले हिंदू तालिबान ने ही थे हिंदू आतंकवादी ही थे वैसे देखा जाए तो वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन का यह घटिया व्यवहार काफी पुराने समय से है प्रदर्शन भी कई बार कर चुके हैं।

वर्ष 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया था तब भी उन्होंने अमेरिका का विरोध करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुचित अन्याय पूर्ण व हिंसक बताया था। उनकी इस लिखित बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल राजेंद्र सच्चर (जी हां वही सच्चर कमेटी वाले जिन्होंने अपनी सिफारिशों में मुसलमानों को असीमित अधिकार देकर हिंदुओं को पंख बनाने की एक नाकाम कोशिश की थी) अधिवक्ता प्रशांत भूषण (वही जो अक्सर कश्मीरी राग लगते रहते हैं और कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात को लेकर कश्मीर को ही पाकिस्तान को देने की बात करते हैं) अधिवक्ता शशि भूषण और अधिवक्ता पावनी परमेश्वर राव, मतलब सभी कांग्रेसी या उसके करीबी अथवा भारत विरोधी मानसिकता से ग्रसित गद्दार।

अब जब सुप्रीम कोर्ट में भी राम जन्म भूमि की लगातार सुनवाई चल रही है, ऐसे में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन अपनी हिंदू विरोधी और कांग्रेसी मानसिकता के चलते रामायण और महाभारत को ही काल्पनिक बता रहे हैं तथा परिक्रमा के अस्तित्व पर ही सवाल उठा रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे कभी कांग्रेस ने रामसेतु पर सवाल उठाते हुए प्रभु श्री राम को ही काल्पनिक बता दिया था और कोर्ट में जो हलफनामा कांग्रेश के अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत किया गया था उसमें यही वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन और कपिल सिब्बल शामिल थे।

दरअसल, अगर आप तथ्यों पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे तो राजीव धवन और कांग्रेसी गैंग की पूरी मानसिकता आपके सामने प्रकट हो जाएगी। दरअसल, कांग्रेस नहीं चाहती है कि राम मंदिर केस का हल किसी प्रकार से निकले या पूरा केस हिंदू पक्ष की ओर चला जाए। इसलिए वह राम मंदिर मुद्दे पर समय-समय पर अपनी टांगे अडाती रही है। जरा याद करिए, जब राम मंदिर की सुनवाई चल रही थी उसी दौरान खंडपीठ में शामिल जस्टिस उदय उमेश ललित का यह कहते हुए राजीव धवन ने विरोध किया था, कि अवमानना के एक मामले में वह एक कल्याण सिंह के केस में बतौर अधिवक्ता प्रस्तुत हुए थे। तब जस्टिस उदय उमेश ललित ने अपने आपको उस खंडपीठ से अलग कर लिया था

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पक्ष में कुतर्कों का सहारा लेकर एक तथ्यहीन और साक्ष्य रहित बहस कर यह साबित करना चाहते हैं, कि वहां राम मंदिर नहीं बल्कि बाबरी मस्जिद थी। मैं समझता हूं कि आने वाले समय में वे ना सिर्फ प्रभु श्रीराम के कोप के शिकार होंगे, बल्कि करोड़ॉ राम भक्तों के श्राप का भी। जय श्रीराम ! जय सियाराम !  वंदे मातरम ! हर हर महादेव !
आपका ही,
मनीष पांडेय (अधिवक्ता)
ये पोस्ट / पत्र अधिवक्ता श्री मनीष पांडेय, जो राष्ट्रीय प्रवक्ता हिंदू महासभा हैं, ने लिखी है
-धर्म नगरी वाट्सएप-6261868110  यूट्यूब- Dharmnagari news  #DharmNagari_Nagari 
भगवान श्रीराम, करोड़ों हिन्दुओं की आस्था और माननीय कोर्ट का अपमान करने वाले "वकील" की फोटो को हम लगाने योग्य नहीं मानते, इसलिए पोस्ट के साथ नहीं अटैच कर रहे हैं...!  
#Manish Pandey की फेसबुक वॉल से साभार
मनीष पांडेय, अधिवक्ता

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