सूर्यकोटि नहीं, कोटिसूर्य है...

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि नहीं, कोटिसूर्य है... 

वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ:... अर्थात, जो करोड़ों सूर्यों के समान हैं। हमारे विवाह कार्ड से लेकर अधिकांश अवसरों पर गलत उच्चारण / लिखा जाता है... -डॉ अल्प नारायण त्रिपाठी, सम्पादकीय सलाहकार- www.dharmnagaricom एवं पूर्व प्राचार्य- श्री महानिर्वाण संस्कृत महाविद्यालय, दारागंज वाट्सएप- 6261868110 (प्रयागराज)
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Vakratund Mahakaya Kotisurya Samprabh वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ: #Dharm_Nagari_ 

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