श्रीराम जन्मभूमि विवाद : आज हो सकती है अंतिम सुनवाई !

श्रीराम जन्मभूमि (अयोध्या) विवाद: 
आज 16 अक्टूबर हो सकती है अंतिम सुनवाई !
निर्णय से पूर्व तेज हुई हलचल
हिंदू-मुस्लिम पक्षों को अपने-अपने पक्ष में निर्णय की आशा 

श्रीराम मंदिर का मॉडल व अयोध्या स्थित कार्यशाला में तराशे हुए पत्थर 

नई दिल्ली (धर्म नगरी / डीएन न्यूज़ /एजेंसी) आज 16 अक्टूबर को हो सकती है आखिरी सुनवाई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा, कल 40वां दिन होगा और हम चाहते हैं कि यह पूरी हो जाए मंगलवार 15 अक्टूबर को 39वें दिन सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों को बीच तीखी बहस हुई

आज की सुनवाई की समय सीमा तय-


मामले की सुनवाई का 40वां और आखिरी दिन को है सीजेआई ने बुधवार की सुनवाई के लिए समय सीमा बांधते हुए कहा, हिंदू पक्षकार की ओर से सीएस वैद्यनाथन 45 मिनट दलीलें देंगे। उसके बाद एक घंटे सुन्नी वक्फ बोर्ड को मौका मिलेगा। इसके बाद दोनों पक्षों को 45-45 मिनट मिलेगा। दोनों पक्ष तय कर लें, कौन कितना समय लेगा ? इसके बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर दोनों बात रखेंगे। यानी, दोनों पक्षों ने अब तक जो गुहार लगाई है क्या उससे आगे-पीछे कुछ गुंजाइश बन सकती है ? बुधवार को एक घंटा मुस्लिम पक्षकार जवाब देंगे। चार पक्षकारों को 45-45 मिनट मिलेंगे। "मोल्डिंग ऑफ रिलीफ" पर भी बुधवार को ही सुनवाई हो सकती है। 

अयोध्या मामले की सुनवाई आज खत्म हो सकती है चीफ जस्टिस ने मंगलवार को सभी पक्षों से कहा कि कल (बुधवार तक) वे अपनी जिरह पूरी कर लें इसे एक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है, कि आज का दिन अयोध्या मामले की सुनवाई का आखिरी दिन हो सकता है अब प्रश्न ये है, कि आज की सुनवाई में क्या-क्या हो सकता है ? कल मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई का 39वां दिन था
श्रीराम मंदिर का मॉडल : प्रयागराज महाकुम्भ-2001 में रखे मॉडल  

आज (16 अक्टूबर) की सुनवाई में क्या हो सकता है- 
* सभी मुख्य पक्षों को जिरह पूरी करने के लिए जो समय दिया गया है उसमें साढ़े तीन से चार घंटे का वक्त लग सकता है.
* ऐसे में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ यानी राहत के बारे में चर्चा के लिए डेढ़ से दो घंटे होंगे
* अगर यह भी इतने समय में पूरा हो गया और लंबे समय से अपनी बात रखने की प्रतीक्षा कर रहे छोटे पक्षों को कोर्ट ने मौका दिया और उनकी भी बात आज पूरी हो गई तो सुनवाई आज ही खत्म हो सकती है
* थोड़ी संभावना इस बात की है कि सुनवाई कल (गुरुवार) को भी कुछ समय चले। यद्यपि, इसका पता आज की सुनवाई के बाद ही चलेगा अभी अधिक संभावना है, कि सुनवाई आज पूरी हो सकती है
श्रीराम मंदिर हेतु देशभर से अयोध्या पहुंचे प्रतीक्षारत "राम शिला"  

39वें दिन हुई तीखी बहस-
सुप्रीम कोर्ट में 39वें दिन की बहस के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ पूर्व महान्यायवादी और वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरण की दलीलें सुन रही थी. वह 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा दायर मुकदमे का जवाब दे रहे थे, ताकि अयोध्या में विवादित स्थल पर दावा किया जा सके

"श्रीराम की जन्मभूमि पर मस्जिद का निर्माण ऐतिहासिक गलती, इसे ठीक करने की जरुरत" 
39वें दिन परासरण ने अपनी दलील में कहा कि मुगल सम्राट बाबर ने 433 साल से अधिक समय पहले भारत पर विजय के बाद भगवान राम की जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण कर एक ऐतिहासिक गलती की थी, जिसे अब ठीक करने की जरूरत है. इस पर मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन उठे और हस्तक्षेप किया. धवन ने जस्टिस एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस ए नजीर की पीठ से कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक नई दलील है. उनके द्वारा अन्य मुकदमों में भी यह तर्क दिया जा सकता था. मैं प्रत्युत्तर देने का हकदार हूं’’

इस पर पारासरण ने एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन के साथ आपत्ति जताई कि दूसरे पक्ष की तरफ से बहुत रोकटोक हो रही है और कोर्ट को सही व्यवस्था बनानी चाहिए क्योंकि यह सार्वजनिक अधिकार का मामला है. पीठ ने कहा कि धवन को प्रत्युत्तर देने की अनुमति दी जाएगी

'...वह कैसे कह सकते हैं कि मैं टीका-टिप्पणी कर रहा हूं'
इससे पूर्व जब वैद्यनाथन महंत सुरेशदास की तरफ से दलील दे रहे थे, तब दूसरे पक्ष के वकीलों की ओर से टोकने पर उन्होंने कहा, “इस तरह लगातार टीका-टिप्पणी के बीच बहस नहीं कर सकता हूं उनके ऐसा कहने पर धवन ने तेज आवाज में कहा, “ये सब क्या है वह कैसे कह सकते हैं कि मैं टीका-टिप्पणी कर रहा हूं

धवन ने चिल्लाकर कहा, “इसे बंद कीजिए” और इस पर वैद्यनाथन की तरफ से भी तीखी टिप्पणी आईवैद्यनाथन ने कहा, “ये (धवन) मुझसे ऐसा कैसे कह सकते हैं” और उन्होंने कोर्ट से इस बात को संज्ञान में लेने के लिए कहा. मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें शांत करने की कोशिश की और कहा कि “ये व्यवधान हैं ... आप (वैद्यनाथन) देखें, आप कितने उत्तेजित दिख रहे हैं

इसके बाद जब धवन ने एक बार फिर वैद्यनाथन की दलील के बीच में टिप्पणी की तो कोर्ट ने उन्हें चुप करा दिया. पीठ 39वें दिन इस मामले की सुनवाई कर रही थी. पीठ ने कहा, “कल 40वां दिन होगा और हम चाहते हैं कि यह (दलील) पूरी हो जाए
---




अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 39 दिनों की सुनवाई पूरी हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में अभी तक की सुनवाई में दोनों पक्षों की ओर से दलीलें, जो प्रस्तुत की गई (What arguments the Hindu and Muslim parties have presented during the hearing of Ayodhya Case in the Supreme Court)-

मुस्लिम पक्ष- मस्जिद अल्लाह का घर, किसी को सौंप नहीं सकते.
हिन्दू पक्ष- शरीयत के हिसाब से वो इमारत मस्जिद नहीं है.

मुस्लिम पक्ष- इमारत मस्जिद थी, किसी और का कब्जा नहीं था.
हिन्दू पक्ष- इमारत मस्जिद कैसे, वहां वजू की जगह तक नहीं थी.

मुस्लिम पक्ष- मस्जिद खाली जमीन पर बनाई गई थी.
हिन्दू पक्ष- नहीं विष्णु मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई

मुस्लिम पक्ष- 1886 में फैजाबाद के जिला जज ने मंदिर बनाने की इजाजत नहीं दी.
हिन्दू पक्ष- जिला जज ने सांप्रदायिक तनाव की आशंका से ऐसा किया.

मुस्लिम पक्ष- हिंदुओं ने बाद में मस्जिद को जन्मस्थान कहना शुरू किया.
हिन्दू पक्ष- 1858 में निहंग सिखों ने इमारत में जगह-जगह राम लिखा.
----

हिन्दू पक्ष- वाल्मीकि रामायण में अयोध्या श्रीराम का जन्म स्थान.
मुस्लिम पक्ष- धार्मिक ग्रंथों के आधार पर मुकदमा नहीं लड़ना चाहिए.

हिन्दू पक्ष- अटूट आस्था कि विवादित इमारत की जगह जन्मस्थान है.
मुस्लिम पक्ष- ये साबित नहीं हुआ कि मस्जिद की गुंबद के नीचे जन्मस्थान.

हिन्दू पक्ष- बाबर की आत्मकथा 'बाबरनामा' में भी मस्जिद का जिक्र नहीं,
मुस्लिम पक्ष- बाबरनामा के 2 गैर-मौजूद पन्नों में मस्जिद का जिक्र था.

हिन्दू पक्ष- विवादित ढांचे पर शिव, हनुमान, कमल, शेर की आकृतियां.
मुस्लिम पक्ष- कमल जैसी बहुत सी आकृतियां इस्लाम में भी हैं.

हिन्दू पक्ष- एएसआई की रिपोर्ट में लिखा है विवादित जगह पर मंदिर था.
मुस्लिम पक्ष- आर्कियोलॉजी कोई विज्ञान नहीं है.
--------

धर्म नगरी में केवल एकबार अपनी (फोटो सहित) शुभकामना दें और
अपने घर / पते पर पाएं नियमित निःशुल्क  कॉपी-
शुभकामना देने हेतु मो./वाट्सएप- 6261868110,
मो. 9752404020, 0755-4288180 -कार्यालय,
ट्वीटर- www.twitter.com/DharmNagari 
वेबसाइट- www.DharmNagari.com
कृपया शुभकामना राशि सीधे धर्म नगरी ने नाम से बैंक खाते में भेजें या
ट्रांसफर करके हमे उक्त नंबर पर उसी दिन सूचित करें
धर्म नगरी
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI), चालू खाता-32539799922,
IFS Code-SBIN0007922, उदयाचल शाखा, भोपाल-11 

----
बाबर के कृत्य को नहीं बताया जा सकता कानून-  
सुप्रीम कोर्ट में 39वें दिन अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने कहा- वर्ष 1526 में मंदिर ढहाकर मस्जिद बनाई गई थी। ऐसा करके बाबर ने खुद को सभी नियम-कानून से ऊपर रख लिया। उसके कृत्य को कानून नहीं बताया जा सकता। बाबर ने जो ऐतिहासिक भूल की उसे सुधारने की जरूरत है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के रुख से इस बात की पूरी संभावना है कि दशकों पुराने इस मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी हो सकती है और फैसला सुरक्षित रखा सकता है।

सीजेआई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष हिंदू पक्ष की ओर से पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील के परासरन ने कहा, बाबर राजा नहीं, आक्रांता था। दोनों में फर्क होता है। आक्रांता को भारत के स्वर्णिम इतिहास को खत्म करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के पास ऐतिहासिक गलती सुधारने का अवसर है, क्योंकि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। परासरन ने कहा, विदेशी आक्रांता भारत में आकर यह दावा नहीं कर सकता कि मैं ‘बादशाह बाबर’ हूं और मेरा हुक्म कानून है। ऐसा उदाहरण नहीं जब हिंदू भारत के बाहर कब्जा करने गए हों, जबकि उनके पास अति शक्तिशाली शासक थे
 

नहीं बदल सकते श्रीरामजन्म स्थान- 
अयोध्या में 55-60 मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम नमाज अदा कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान नहीं बदल सकते। इस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा कि क्या परासरन बताएंगे कि अयोध्या में कितने मंदिर हैं? परासरन ने कहा, बड़ी संख्या में मंदिर होना जन्मस्थान की महत्ता दर्शाता है। जनसंख्या का अनुपात भी देखना चाहिए। वहीं, कोर्ट ने महंत सुरेश दास की ओर से पैरवी कर रहे परासरन से सीमा के सम्मान के कानून, प्रतिकूल कब्जे के सिद्धांत सहित तमाम विधिक मसलों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि 2.77 एकड़ विवादित जमीन से मुस्लिमों का कब्जा कैसे हटाया जाए?


No comments