जब महाकाल पहुंचे विष्णुजी के पास
... दे दिया महादेव ने श्रीहरि को सृष्टि का भार
वर्ष में केवल एक दिन महादेव तुलसी की माला पहनते है
और सदैव तुलसी माला पहनने विष्णुजी ने पहना बिल्व पत्र की माला
देवशयनी एकादशी पर जब विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर में जाते हैं, तो वह पृथ्वी को संभालने का भार शिव को दे जाते हैं। मान्यता है देवउठनी (देवोत्थान) एकादशी के बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर अब शिव पृथ्वी की देखभाल दायित्व पुनः विष्णुजी को सौंपेते हैं। इस धार्मिक मान्यता को पुराने शहर स्थित बड़े गोपाल मंदिर में जीवंत किया गया।
वर्ष में केवल एक दिन महादेव तुलसी की माला पहनते है
और सदैव तुलसी माला पहनने विष्णुजी ने पहना बिल्व पत्र की माला
धर्म नगरी / DN News (W.app-6261868110)।
वर्षभर में एक दिन ऐसा आता है, जब बिल्वपत्र (बेलपत्र) की माला पहनने वाले शिवजी तुलसी की माला पहनते हैं और सदैव तुलसी माला पहनने वाले विष्णु बिल्व पत्र की माला धारण करते हैं। यह दृश्य वैकुंठ चतुर्दशी (
रविवार) की रात्रि उज्जैन के बड़े गोपाल मंदिर में दिखा।
कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच बाबा महाकाल सोमवार रात 11 बजे महाकाल मंदिर प्रांगण से रजत पालकी मे विराजमान होकर गोपाल मंदिर के लिये निकले। श्रीराम मंदिर अयोध्या के निर्णय के दृष्टिगत पुलिस ने एक घंटे पहले ही मार्ग को खाली करा लिया। किसी को भी सड़क पर नहीं खड़ा रहने दिया।
पहले हाथी पर बाबा महाकाल का निकलना तय हुवा था, परन्तु बाद मे पालकी मे ही राजाधिराज की सवारी निकली। गोपाल मंदिर पहुंचने पर परंपरा अनुसार गोपाल मंदिर को महाकाल की ओर से बिल्वपत्र की माला व गोपाल मंदिर की और से महाकाल को तुलसी की माला भेट की गई । (वीडियो क्लिप में देखें) दोनों देवों के बीच एक घंटे चर्चा के बाद बाबा महाकाल की सवारी देर रात 1:30 बजे वापस महाकाल मंदिर पहुंची।
पहले हाथी पर बाबा महाकाल का निकलना तय हुवा था, परन्तु बाद मे पालकी मे ही राजाधिराज की सवारी निकली। गोपाल मंदिर पहुंचने पर परंपरा अनुसार गोपाल मंदिर को महाकाल की ओर से बिल्वपत्र की माला व गोपाल मंदिर की और से महाकाल को तुलसी की माला भेट की गई । (वीडियो क्लिप में देखें) दोनों देवों के बीच एक घंटे चर्चा के बाद बाबा महाकाल की सवारी देर रात 1:30 बजे वापस महाकाल मंदिर पहुंची।
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ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर, उज्जैन |
केवल इस एक दिन शिवजी तुलसी की, विष्णुजी बिल्वपत्र की माला धारण करते हैं
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