ग्रह-गोचर, प्लानेट पोजीशन, सिचुएशन, इंवाल्मेंट, प्लानिंग, मेंटेलिटी, थिंकिंग इन सबके समावेश से बनता है ''योग''- आचार्य नित्यानन्द गिरि

भारत जैसे विशाल देश के अनुरूप 'भारतीय संस्कृति के प्राण' ज्योतिष हेतु वेधशालायें नहीं है - आचार्य नित्यानन्द
वृन्दावन (धर्म नगरी / डीएन न्यूज) वाट्सएप- 8109107075 
भारत में अधिकांश जिले में मेडिकल कॉलेज, रिसर्च सेंटर प्रत्येक जिले में है, MBBS MD, MS आदि के लिए संस्थान हैं। देश के प्रत्येक जिले में आईएएस, आईपीएम, पीसीएस की तैयारी के लिए सेंटर्स हैं। प्रोफेसर्स साइंटिस्ट इंजीनियर्स के लिए इंस्टीट्यूट्स हैं, लेकिन भारत जैसे इतने बड़े देश में जितने वेधशाला होना नहीं है... भारतीय संस्कृति का प्राण है ज्योतिष, बिना मुहूर्त के कोई कार्य नहीं होता...।

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में ''पं.अयोध्या प्रसाद गौतम पंचांग का विमोचन करते हुए  


सम्मेलन में विद्वानों का सम्मान 

ये विचार आचार्य नित्यानन्द गिरि ने अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष/वास्तु सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर अध्यक्षीय भाषण में कहा। सम्मेलन का आयोजन श्री वेद वेदांग सेवा संस्था, ग्रेटर नोएडा के तत्वावधान में श्री जयराम आश्रम, बुर्जा रोड, वृन्दावन में हुआ। सम्मेलन के संयोजक डॉ. बीसी शास्त्री एवं आयोजन समिति के अरुण जोशी के अनुसार, दो-दिवसीय सम्मेलन विभिन्न राज्यों से पधारे विद्वानों ने अपने विचार एवं शोध प्रस्तुत किए। केन्द्र एवं राज्य की सरकारो से कम से कम हर प्रान्त में एक स्तरीय शासकीय ज्योतिष अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र खोलने, टीवी अख़बारों यह विज्ञापन देकर फर्जी ज्योतिषियों द्वारा ठगने एवं ज्योतिषीय आस्था से खेलने से रोकने, तीर्थ एवं धर्म क्षेत्रों के वास्तविक विकास की भी मांग की गई

सम्मेलन का उद्घाटन सम्बोधन में सभी विद्वानों के शुभ-मंगल कामना करते हुए आचार्य नित्यानंद गिरी ने कहा,  सम्मेलन में अपने-अपनें विषयों के विशेषज्ञ, आचार्य भाग ले रहे हैं। यही एक बहुत बड़ा सुखद संयोग है, सुखानुभूति है। एक स्थान पर  सबका एकत्र होना, ये बहुत बड़ा कार्य है।

सृष्टि की रचनाकाल से है ज्योतिष का अस्तित्व-
अध्यक्षीय संबोधन में आचार्य नित्यानन्द गिरी ने कहा, सनातन धर्म संस्कृ़ति में 16 संस्कार की बात है, लेकिन आजकल के कर्मकांडी जन्म या गर्भाधान संस्कार से लेकर अंतिम संस्कार, मृत्यु के पश्चात जो होता है, वह 16 संस्कार नहीं जानते। दो-चार महीने ज्योतिष का अध्ययन कर ज्योतिषाचार्य का बोर्ड लगाकर बैठ जाते हैं।
दिशाविहीन कर्मकांड पर रोक लगे-
आचार्य नित्यानन्द ने कहा, एक दिशाविहीन कर्मकांड चल गया है। एक ब्राह्मण ने एक यजमान को गाइड किया, कि आपक अमुख ग्रह खराब है, फिर जब वह यजमान दूसरे, तीसरे के पास जाता है, तो सभी अलग-अलग बात करते हैं। यजमान की समस्याओं के समाधान में ज्योतिषीय मत-भिन्नता रखते हैं। इससे कर्मकांड, ज्योतिष वास्तु से लोगों का विश्वास उठ रहा है। विद्वान लोग ज्योतिष में अपनी-अपनी पद्धति थोपना चाहते हैं, जो उचित नहीं है।

सृष्टि के निर्माण के काल से जुड़ा है  ज्योतिष-
ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का निर्माण किया, तब उन्होंने 21 बार यज्ञ किया, लेकिन सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ। तब वह विचार किया, कि इसके लिए एक उचित समय, एक उचित मुहूर्त की आवश्यकता है। यानि सृष्टि के निर्माण के काल से ज्योतिष जुड़ा है। ग्रह-गोचर, प्लानेट पोजीशन, सिचुएशन, इन्वॉल्मेंट, प्लानिंग, मेंटेलिटी, थिंकिंग इस सबका जब समावेश होता है, तब जाकर 'योग' बनता है। रामायण में सभी पढ़ते हैं... अन्त में उन्होंने आचार्यजी ने उपस्थित सभी विद्वानों को सावधान करते हुए कहा, कि आज प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तथाकथित ज्योतिष, जिसमें फर्जी और मुस्लिम की बाढ़ आ गई है और ये ज्योतिष गुरु गोल्ड मेडलिस्ट जैसे शब्दों के साथ अपना नाम छिपाकर, सौतन से छुटकारा, लव मैरिज, समस्याओं 100 परसेंट इलाज करने का तुरन्त दावा करते हैं, उनसे न केवल ज्योतिष एवं हिन्दुओं की आस्था पर चोट पहुंच रही है, बल्कि उससे वास्तविक ज्योतिषियों के जजमान एवं उनके जीवकोपार्जन भी छीने जा रहा हैं....
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