स्वयंसिद्ध मुहूर्त व अक्षय फलदायी है "अक्षय तृतीया"

अक्षय फलदायी अक्षय तृतीया
भगवान परशुराम जयंती 

(वैशाख शुक्ल, तृतीया विक्रम सम्वत-2077 तदनुसार 26 अप्रैल 2020)

धर्म नगरी / DN News (वाट्सएप-6261868110)  
वैशाख शुक्ल तृतिया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथों में है। इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अतः इसे अक्षय तृतिया कहते हैं। यह सर्व सौभाग्यप्रद है। 



#अक्षय_तृतीया यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेता युग की प्रारम्भ तिथि है। श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था।
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इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे– विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।
अक्षय तृतीया का मुहूर्त-
तृतीया तिथि प्रारंभ: 11:50 बजे (25 अप्रैल 2020)
तृतीया तिथि समापन: 13:21 बजे (26 अप्रैल 2020)

प्रातःस्नान, पूजन, हवन का महत्त्व-

इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन  एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं। स्नान के पश्चात प्रार्थना करें-

माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।
प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।

हे मुरारे ! हे मधुसूदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रातः स्नान से मुझे फल देने वाले हो जाओ और पापों का नाश करो।

🌹सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।

जप उपवास व दान का महत्त्व-

🌹इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।

🌹भविष्य पुराण में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है।

🌹इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ,  वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।

🌹पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि🌹

🌹इस दिन पितृ तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संतानें आती हैं।

🌹विधिः इस दिन तिल एवं अक्षत में श्रीविष्णु एवं ब्रह्माजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें। फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रह्माजी व विष्णु जी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें।

आशीर्वाद पाने का दिन-

🌹इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।

अक्षय तृतीया का तात्त्विक संदेश-
🌹अक्षय यानी जिसका कभी नाश न हो। शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है। यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है। अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है। महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।

अक्षय तृतीया का महत्व-

1- आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।

2- माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था।

3- द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था।

4- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।

5- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था।

6- सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था।

7- ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था ।

8- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है ।

9- वृन्दावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते है, अन्यथा साल भर वो बस्त्र से ढके रहते है ।

10- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।

11- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ आज के दिन किया जा सकता है।
12- महर्षि परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।

अक्षय तृतीया
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्‍णु के छठें अवतार भगवान परशुराम का भी जन्‍म हुआ। यही कारण है, कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्‍णु की उपासना के साथ परशुराम जी की भी पूजा करने का विधान बताया गया है।

इस दिन गृहस्‍थ लोगों को अपने धन वैभव में अक्षय बढ़ोतरी करने के लिए अपनी कमाई का कुछ अंश (हिस्‍सा) धार्मिक कार्यों के लिए दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से उनके धन और संपत्ति में कई गुना बढ़ोत्तरी होती है।

दान करने की विशेष वस्तुएं -
अक्षय तृतीया को धन वैभव में अक्षय वृद्धि के लिए आपको किन वस्तुओं का दान करना चाहिए। पं. प्रमेन्द्र उपाध्याय, तीर्थ पुरोहित राजगृह (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य- अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा रजि.) के अनुसार उन विशेष वस्तुओ से, जिनका अक्षय तृतीया के दिन दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है, वो इस प्रकार हैं-
1- इस दिन ठंडी चीजें जैसे- जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, छाता, चावल, खरबूजा, ककड़ी, चीनी,सत्तू आदि का दान करना बहुत उत्तम माना जाता है।
2-यदि इस शुभ दिन आप अपने भाग्योदय के लिए कुछ खरीदना चाहते हैं तो खरीदें ये चीजें जैसे- सोना, चांदी, मिट्टी के पात्र, रेशमी वस्त्र, साड़ी, चावल, हल्दी, फूल का पौधा और शंख।

सुने भगवन परशुराम की महिमा-
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