Lockdown : आप भी कर सकते है श्रमिक मजदूरों, उनके बच्चों की सहायता

अगर आपके जिले में पैदल जाते दिखें तो "दर्शक न बनें"  

लॉकडाउन में श्रमिक-मजदूरों हेतु हेल्पलाइन- 9752404020 अपील आपसे : इस अभियान में स्वेच्छा से सहयोगी बनें  

धर्म नगरी / डीएन न्यूज (6261868110-वाट्सएप)
रेलवे ट्रैक, जहाँ मजदूरो की दुःखद मृत्यु हुई 
 
 आप अपने जिले के-
1- मुख्य मार्ग 2- स्टेट हाईवे 3- नेशनल हाईवे, 4-बाई-पास पर दृष्टि रखें
कहीं कोई सामान (बोरी, झोला, बैग, ) लिए हुए...
पैदल, साइकिल से या दो-पहिया वाहन से दिखें, साथ में बच्चें हों....
खाने-पीने का जो दे सकते हों (दूरी बनाते हुए, सावधानी के साथ) दें...
और तुरन्त इसकी सूचना-
1- स्थानीय प्रशासन को- धाना प्रभारी / TI / दरोगा / पुलिसकर्मी / कोरोना-योद्धा या /एवं SP, DM को...
2- स्थानीय जन-प्रतिनिधि (पार्षद, सरपंच, महापौर, विधायक, सांसद)
3- आसपास निवास करने वाले समाजसेवी / समाजिक कार्यकर्ता / गणमान्य व्यक्ति एवं
4- हमे भी सूचित करें एवं तत्काल उनकी 2-3 मिनट की वीडियो क्लिप बनाएं, उनका हालचाल पूंछें / प्रतिक्रिया लेकर  हमें बताएं... मो. 9752404020, 6261868110-वीडियो क्लिप भेजने हेतु )... आप स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली समझे, कि आप अपने घरों में हैं,  आप अपने घर में नहा-खा रहे हैं, टीवी देख रहे हैं... -राजेशपाठक, समन्वयक हेल्प-लाइन (Co-Ordinator HelpLine) 

लॉकडाउन...कोरोना...संक्रमण... 

बीते मार्च महीने से हम कोरोना-कोराना, पॉजिटिव केसेज, चीन की करतूतों, निजामुद्दीन के मरकजी मुस्लिमों द्वारा देश में कोरोना वायरस को फैलाने, दुबारा 14 दिनों के लिए (17 मई तक) लॉकडाउन बढ़ाने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के मुख्यमंत्रियों से 11 मई को लगभग 6 घंटे तक वीडियो कांफेंसिंग के समाचार सुन रहे हैं, इन पर टीवी चैनल्स पर बहस, तू-तू मैं-मैं और आरोप-प्रत्यारोप करते हुए और उसके सुबूत के रूप में वीडियो क्लिप भी देखी होगी।

मित्रों, इन सबके के बीच या कहें इन सबसे हम सबका आम-जीवन, फैक्ट्री, उत्पादन, देश की अर्थव्यवस्था के अलावा एक चीज और बुरी तरह प्रभावित हुई है, वह है-श्रमिकों या मजदूरों का पलायन। देश में कोरोना से संक्रमित मामले और मौत की संख्या भी बढ़ती जा रही है। 12 मई सुबह 9 बजे तक भारत में कुल 70,756 कोरोना प्रभावित हो गए। 2,293 लोगों की मॉत हुई। 22,454 लोग स्वस्थ भी हुए हमारे मेडिकल सेवा देने वाले डॉक्टरों, नर्स, एंबुलेंस आदि, पुलिस व स्थानीय प्रशासन के कोरोना-योद्धाओं के कारण। परन्तु, श्रमिकों, मजदूरों का पलायन भी मर्मस्पर्शी है, क्योंकि अपने घर-परिवार-गाँव से सैकड़ों किलोमीटर दूर किराए के कमरों या झुग्गियों में रहने वाले इन श्रमिकों बेरोजगार हो गए, जो पैसा उनके पास था, खत्म हो गया।

कई-कई दिनों तक भूखे रहने, पैदल चलते हुए, सिर और कंधों पर अपने जरूरी सामानों की गठरी, बैग, बोरी और छोटे-छोटे बच्चों को लेकर पैदल चल रहे हैं। इस मई की धूप में, उमस में। कोई पैर के छाले दिखा रहा है, तो कोई लंगड़ाते हुए अपनी लाठी के सहारे चल रहा है। जेब में मात्र कुछ रुपए, हाथ में बोतल जिसका पानी भी खत्म हो गया। विचार करें, जिस समान को हम ट्रेन से उतरने बाद उठाकर रेलवे स्टेशन से बाहर ले जाने में समस्या होती है, उसे कैसे ये अपने सिर-कंधों पर लादकर लिए जा रहे है ? जरा सी धूप से बचने हम उपाय करते हैं, ये लगातार घंटों तक उसी धूप में हाईवे, सड़कों पर चले जा रहे हैं।

मित्रों, एक प्रत्यक्ष घटना को देख-अनुभव कर हम भी आप सबके सहयोग से इन मजदूरों-श्रमिकों की थोड़ी बहुत सहायता करने का निश्चय किया है... निश्चय इसलिए, कि लॉकडाउन कब तक और कहाँ-कहाँ रहेगा, ये पता नहीं... पंजाब, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना ने स्पष्ट से लॉकडाउन को 17 मई के बाद भी बढ़ाने की मांग प्रधानमंत्री से की है... अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों भी चलाई जा रही हैं जिससे जाने के लिए 3 घंटे में 54 हजार से अधिक टिकट की बुकिंग हो गई... इससे इसकी गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है... पर उनका क्या, जो कई-कई दिनों से अपने घर-गांव पहुंचने के लिए पैदल विभिन्न राज्यों से मजदूर श्रमिक अपने बच्चों व जरूरी सामान के बोझ को लिए निकल चुके हैं... अभी भी धूप-उमस में चल रहे हैं...

मित्रों, विगत 16 अप्रैल को औरंगाबाद में मजदूरों की ट्रेन से कटकर हुई मौत के बारे में विचार करें... 40 किमी. से अधिक पैदल चलकर थकान और पीड़ा को सहन कर, उसी थकान व पीड़ा के साथ अपने घर पहुंचकर अपने बच्चों, परिजनों से मिलने की सुखद स्मृतियों के साथ उसी ट्रेन की पटरी पर सो गए... उस पटरियों पर, जिसके सहारे वे चल रहे थे... ताकि रास्ता न भटके और कोई ट्रेन मिल जाएगी... एक प्रश्न उठता है मेरे मन में बार-बार उठा, क्या उस जिले में ट्रेन की पटरी पर एकसाथ चल रहे 20 से अधिक मजदूरों को, उस रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ रहने वालों लोगों में किसी ने नहीं देखा... नहीं देखा ऐसा कैसे हो सकता है और देखा तो केवल दर्शक क्यों बने रहे... उसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को क्यों नहीं दिया... या स्वयं पहुंचकर क्या उनकी थोड़ी-बहुत सहायता क्यों नहीं की ? या उनके पास पहुंचकर केवल उन मजदूरों का मनोबल ही बढ़ा देते... उनको सात्वंना देते हुए अपने मोबाइल से स्थानीय प्रशासन, पुलिस, कलेक्टर, स्थानीय विधायक को ही बता देते... मित्रों  तो केवल एक उदाहरण है, ऐसी सैकड़ों घटनाएं हमने-आपने टीवी पर देखी होंगी और आगे भी देखेंगे...

बन्धुओं, इन सब परिस्थितियों को देखते हुए आपका सहयोग इसलिए, क्योंकि इस संक्रमण-काल व लॉकडाउन में मूवमेंट वर्जित है... हम सब, आपके सहयोग से... (हो सकता है) आपके जिले में ऐसे श्रमिकों मजदूरों का सहयोग कर सके... उनके लोकेशन को स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाने, अपने धर्म नगरी से जुड़े रिपोर्टर/प्रतिनिधि या जो तुरंत बनना चाहें... परिचितों, स्वेच्छा से सहयोग करने वालों के साथ मिलकर एक प्रयास कर रहे हैं... ऐसा कार्य हम विगत कुंभ, अद्र्धकुंभ व प्रयाग माघमेला में हेल्प-लाइन नंबर जारी कर, मेला क्षेत्र में शिविर लगाकर कर चुके हैं... उसी अनुभ्ज्ञव के आधार पर हम हेल्प-लाइन नंबर एवं यह अभियान शुरू कर रहे हैं, क्योंकि हममें अधिकांश लोग अपने-अपने घरों में ही हैं... हम मेले के वहीं दोनों मोबाइन नंबर पुन: शुरू कर रहे हैं... इसको भोपाल स्थित रजिस्टर्ड कार्यालय (मुख्यालय) से संचालित करेंगे... ये दो मोबाइल नंबर- 9752404020, 6261868110 हैं। आप भी तन-मन-धन से हमारे, हम सबके कार्य में सहभागी बन सकते हैं... हम यथासंभव आर्थिक व अन्य रूप से इन श्रमिकों मजदूरों व उनके बच्चों का तभी सहयोग कर पाएंगे... जब इसकी जानकारी भी आपसे मिले और आपका सहयोग भी मिले... शेष किसी जानकारी, सूचना या आपके मार्गदर्शन हेतु हमें आपके फोन की प्रतिक्षा है...

आप जानते हैं इस शाश्वत सत्य को, कि जिस तरह सूरज उगता है तो डूबता भी है, रात होती है तो दिन भी निकलता है, उसी तरह ये कोरोना भी खत्म होगा... कब, कैसे ये हम नहीं बता सकते, लेकिन खत्म तो होगा ही... आप भी सकारात्मक सोच रखें, स्वयं को भाग्यशाली समझें कि आप सुरक्षित अपने-अपने घरों में हैं, खाना नहाना टीवी देखना इंटरनेट चलाना आदि सबकुछ सहज कर पा रहे हैं... अवैतनिक संपादक एवं अधिमान्य पत्रकार (रा.पाठक) धर्म नगरी (आरएनआई/2012) ट्वीटर- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com  स्थान- भोपाल, 12 मई 2020 (मंगलवार) सुबह 10 बजे

यदि आप उसक कार्य सहयोग करना चाहें, सहभागी बनना चाहें, तो "धर्म नगरी" के बैंक खाते के द्वारा करें और इसकी सूचना हमे दें। हम आपके सहयोग राशि के उपयोग का डिटेल देंगे एवं इसका प्रकाशन हम "धर्म नगरी" के आगामी अंक में करेंगे
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