शत्रु पर विजय पाने का विशेष दिन है "नृसिंह जयंती"

नृसिंह जयंती : मुहूर्त, पूजा-विधि और पौराणिक कथा

वागीशा यस्य वदने लक्ष्मीर्यस्य च वक्षसि।
यस्यास्ते हदये सं वित तं नृसिंह महं भजे।
भगवान नृसिंह के प्रकटोत्सव (नरसिंह चतुर्दशी) की सभी को शुभ-मंगल कामनाएं...

धर्म नगरी/डीएन न्यूज (मो.6261868110) :
नृसिंह (नरसिंह) जयंती भगवान नरसिंह जी का जन्मोत्सव है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, भगवान नरसिंह का प्रकटोत्सव या अवतरण वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 6 मई को पड़ रही है। इसलिए नरसिंह जयंती 6 मई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान नरसिंह जगत के पालनहार विष्णु जी के छठे अवतार हैं। आइए जानते हैं इस दिन का विशेष मुहूर्त, पूजा विधि और उनके जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।

नरसिंह जयंती 2020 मुहूर्त-
नरसिंह जयंती सायंकाल पूजा का समय- सायंकाल- 3:50 से 06:27 बजे तक
अवधि- 2 घण्टे 37 मिनट
पारण समय - 5:21 बजे प्रातः , मई 7, 2020
मध्याह्न संकल्प का समय- प्रातः 10:36 से अपराह्न 1:13 बजे, मई 07, 2020
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मई 05, 2020 प्रातः 11:21 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - मई 06, 2020 को सायंकल 7:44   बजे

नरसिंह जयंती पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
व्रत का संकल् लें।
भगवान नृसिंह और लक्ष्मीजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
पूजा में फल, फूल, पंचमेवा, केसर, रोली, नारियल, अक्षत, पीतांबर गंगाजल, काला तिल और हवन सामग्री का प्रयोग करें।
भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए नरसिंह गायत्री मंत्र का जपें।
अपनी इच्छानुसार वस्त्रादि का दान भी करें।

भगवान नरसिंह के अवतरण की पौराणिक कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि वह न तो किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके न ही किसी पशु द्वारा। न दिन में मारा जा सके, न रात में, न जमींन पर मारा जा सके, न आसमान में। इस वरदान के नशे में आकर उसके अंदर अहंकार आ गया। जिसके बाद उसने इंद्र देव का राज्य छीन लिया और तीनों लोक में रहने वाले लोगों को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। उसने घोषणा कर दी कि मैं ही इस पूरे संसार का भगवान हूं और सभी मेरी पूजा करो।

हिरण्कश्यप के स्वभाव से विपरीत उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। पिता के लाख मना करने और प्रताड़ित करने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। जब प्रहला ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी तो उसने अपने ही बेटे को पहाड़ से धकेल कर मारने की कोशिश कि, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की जान बचा ली। इसके बाद हिरण्कश्यप ने प्रहलाद को जिंदा जलाने का असफल प्रयास किया।

अंततः  क्रोधित होकर हिरण्कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को दीवार में बांध कर आग लगा दिया। भक्त प्रहलाद  से बोला- बता तेरा भगवान कहां है ? प्रहलाद ने बताया कि भगवान यहीं हैं, जहां आपने मुझे बांध रखा है। जैसे ही हिरण्कश्यप अपने गदे से प्रह्लाद को मारना चाहा, वैसे ही भगवान विष्णु नरसिंह का अवतार लेकर खंभे से बाहर निकल आए और हिरण्कश्यप का वध कर दिया। जिस दिन भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद के जीवन की रक्षा की, उस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

No comments