भूखी और गर्भवती हथिनी की ऐसी हत्या ?

केरल में अत्यंत क्रूरता से मारी गई हथिनी के गर्भ में उसका "शिशु"
  • फल में पटाखे रखकर खिलाया, तीन दिन तक भूखी और गर्भवती हथिनी नदी में तड़पती रही 
  • तीन दिन तड़पने के बाद जब हथिनी मरी, तो सभी उसको नदी से निकलते हुए देखने आ गए, उससे पहले कोई नहीं पहुंचा  
  • केरल के मल्लापुरम की यह घटना का पता सोशल मीडिया के माध्यम से चला 
  • मल्लापुरम देश का सबसे बड़ा हिंसक जिला, सरकार करे कानून में बदलाव करें -मेनका गाँधी   
  • राहुल गाँधी चुप क्यों ? इस घटना से बच नहीं सकते राहुल, क्योंकि वहाँ के सांसद हैं


पलक्कड़, केरल में भूखी गर्भवती हथिनी की नृशंस हत्या पर ऐसे चित्र से भी दुःख जताया लोगों ने  
धर्म नगरी / डीएन न्यूज (6261868110-वाट्सएप)
केरल में भूखी और गर्भवती हथिनी के साथ भयानक रूप से हत्या कर दी गई। पाइन एप्पल में पटाखे रखकर हथिनी को खिला दिया। मुंह के अंदर विस्फोट हुआ।  भयानक घाव हुआ उस हथिनी को। भयंकर कष्ट और पीड़ा हुई उसे। उस पीड़ा और जलन से बचने वेलियर नदी में चली गई वह। उस नदी में वह भूखी हथिनी तीन दिन तक रही। उसके पेट में उसका बच्चा भी भूखा-प्यासा तड़पता रहा। उसी असहनीय पीड़ा, तड़प और जलन को सहन करते-करते अंत मर गई।  

ये घटना है देश के सबसे अधिक साक्षर वाले राज्य की। वहाँ की क्रूरता की। हैवानियत की।

न हमला किया, न किसी को हानि पहुंचाई- 
मारी गई हथिनी का चित्र, विलियर नदी से निकले जाने के पश्चात : धर्म नगरी 
जब हथिनी वेलियार नदी में 27 मई को लोगों ने पटाखे से भरा खाना खिला दिया। फिर हथिनी तीन दिन तक नदी में  तड़पती रही। सड़क पर सार्वजनिक रूप से कांग्रेसियो द्वारा गाय को काटने वाले केरल में इस निर्दोष गर्भवती हथिनी की क्रूरतम हत्या की घटना से एकबार फिर प्रमाणित कर दिया, कि केरल हिंसा, निर्दयता, क्रूरता, वहशीपन कितना है ? गाय काटने वाले कांग्रेसी युवक की तब राहुल गाँधी के साथ वाली फोटो खूब वायरल हुई थी। इसबार कांग्रेस संसद राहुल गाँधी के क्षेत्र में घटी इस घटना के घंटो बाद कांग्रेस के युवराज का कोई बयान नहीं आया। कोरोना के लॉकडाउन में असहाय, भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूर के पास पहुंचकर, मिलने और बातचीत कर फोटो खिचवाने, मीडिया में बयान देने वाले राहुल गाँधी का अब तक कोई बयान नहीं आया।
हथिनी की क्रूर हत्या पर News18 का कार्टून 

मल्लापुरम सबसे हिंसक जिला-
मल्लापुरम देश का सबसे हिंसक ज़िला है यहां औरतों, बच्चों और जानवरों पर आए दिन हमले होते रहते हैं. लोग कहते हैं पूर्वी यूपी खराब हैं लेकिन मल्लापुरम के सामने पूर्वी यूपी संत लगता है. यहां पहले मारते हैं फिर बात करते हैं. इस क्षेत्र में कोरोना के दौरान कुत्तों को मारने के लिये ज़हर फैलाया गया.... 'त्रिचूर के इरीनजलकुडा शहर में कूडालमिनक्यम मंदिर में एक युवा हाथी को बंधक बनाकर पीटा जा रहा है. उसकी टांगों को चार दिशानों में बांधकर खींचा जा रहा है. मैंने एक महीने पहले शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की है. बहुत जल्द ही ये हाथी भी मर जाएगा.' - मेनका गांधी 

एक साल में मारे गए 600 हाथी
केरल राज्य में 1 साल में करीब 600 हाथी मारे गए लेकिन केंद्र और राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि प्रकाश जावडेकर जी क़ानून में बदलाव करें. सरकार और सुप्रीम कोर्ट हाथियों का निजी स्वामित्व ख़त्म करे. आखिर सुप्रीम कोर्ट कब तक इंतज़ार करेगा. 7 साल में केरल में इस राज्य में 1 हज़ार हाथी मारे गए हैं.

93% साक्षर केरल में ऐसा क्यों ?
केरल में सुअर और जंगली जानवरों को मारते हैं। कहने को तो केरल में 93% से अधिक पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उसी राज्य में ऐसी निर्मम हत्या हुई एक बेकसूर प्राणी की...कोल्लम जिले में पिछले माह भी ऐसी घटना हुई थी...हमें प्रकृति के साथ तालमेल रखकर सिखाया ही नहीं जाता। केरल के बीते 10 साल का इतिहास उठाकर देखें, तो बहुत सी ऐसी घटनाएं हुई, लेकिन वहां के न सांसद, न मुख्यमंत्री ने कोई कदम उठाया। -नरेंद्र शर्मा, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट 


केरल जैसे शिक्षित राज्य में एक गर्भवती हथिनी मल्लपुरम की सड़कों पर खाने की तलाश में निकलती है। उसे अनन्नास ऑफर किया जाता है। वह मनुष्य पर विश्वास करके खा लेती है। वह नहीं जानती थी कि उसे पटाख़ों से भरा अनन्नास खिलाया जा रहा है। पटाख़े उसके मुँह में फटते हैं। उसका मुँह और जीभ बुरी तरह चोटिल हो जाते हैं। 

मुँह में हुए गहरे चोट के कारण वह कुछ खा नहीं पा रही थी। गर्भ के दौरान भूख अधिक लगती है। उसे अपने बच्चे की भी देखभाल रखना था। लेकिन मुँह में चोट के कारण वह कुछ खा नहीं पाती है। घायल हथिनी भूख और दर्द से तड़पती हुई सड़कों पर भटकती रही। इसके बाद भी वह किसी भी मनुष्य को नुक़सान नहीं पहुँचाती है, कोई घर नहीं तोड़ती। पानी खोजते हुए वह नदी तक जा पहुँचती है। मुँह में जो आग महसूस हो रही होगी उसे बुझाने का यही उपाय सूझा होगा। 
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को जब इस घटना के बारे में पता चलता है तो वे उसे पानी से बाहर लाने की कोशिश करते हैं लेकिन हथिनी को शायद समझ आ गया था कि उसका अंत निकट है। और कुछ घंटों बाद नदी में खड़े-खड़े ही वह दम तोड़ देती है।

फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के जिस ऑफिसर के सामने यह घटना घटी उन्होंने दुःख और बेचैनी में इसके बारे में फेसबुक पर लिखा। जिसके बाद यह बात मीडिया में आई। 

पढ़े-लिखे मनुष्यों की सारी मानवीयता क्या सिर्फ मनुष्य के लिए ही हैं? ख़ैर पूरी तरह तो मनुष्यों के लिए भी नहीं। हमारी प्रजाति में तो गर्भवती स्त्री को भी मार देना कोई नई बात नहीं। 

इन पढ़े-लिखे लोगों से बेहतर तो वे आदिवासी हैं जो जंगलों को बचाने के लिए अपनी जान लगा देते हैं। जंगलों से प्रेम करना जानते हैं। जानवरों से प्रेम करना जानते हैं। 

वह समाचार अधिक पुरानी नहीं हुई है जब अमेज़न के जंगल जले। इन जंगलों में जाने कितने जीव मरे होंगे। आग लगाने वाला "शांतिप्रिय" समाज का निकला था, ऑस्ट्रेलिया में हज़ारों ऊँट मार दिए गए, यह कहकर कि वे ज़्यादा पानी पीते हैं। कितने ही जानवर मनुष्य के स्वार्थ की भेंट चढ़ते हैं।

भारत में हाथियों की कुल संख्या 20000 से 25000 के बीच है। भारतीय हाथी को विलुप्तप्राय जाति के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।

एक ऐसा जानवर जो किसी ज़माने में राजाओं की शान होता था आज अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है। धरती का एक बुद्धिमान, समझदार याद्दाश्त में सबसे तेज़, शाकाहारी जीव क्या बिगाड़ रहा है हमारा जो हम उसके साथ ऐसा सलूक कर रहे हैं? 

कोरोना ने हम इंसानों का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया है। यह बता दिया है कि हमने प्रकृति के दोहन में हर सीमा लाँघ दी है। लेकिन अब भी हमें अकल नहीं आई। हमारी क्रूरता नहीं गई। मनुष्य इस धरती का सबसे क्रूर और स्वार्थी प्राणी है। 


"धर्म नगरी" की यही प्रार्थना है, यह हथिनी इन निकृष्ट मनुष्यों के बीच फिर कभी जन्म ना ले। उसे सद्गति प्राप्त हो... ॐ शांतिः  
सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया-
#elephantkerala  #JusticeForElephant 
Humans are but not humanity - @theprithvising1
"She trusted everyone. When the pineapple she ate exploded, she must have been shocked not thinking about herself, but about the child she was going to give birth to in 18 to 20 months," Mr Krishnan said.
.
No one can hurt you anymore  -@Ivynguyen1212


No comments