हिन्दुओं के साथ ठगी का कोई अंत नहीं...

आखिर कब तक ठगा जाएगा हिंदुओं को ?
महाराष्ट्र सरकार मदरसों को बांटेगी 1.80 करोड़ रु, हिंदुओं के लिए चवन्नी भी नहीं !
कथित हिंदुत्ववादी शिवसेना भी अब इस काम मे तेजी से आगे बढ़ रही है !

धर्म नगरी / DN News (वाट्सएप-6261868110 -सदस्यता, सहयोग व शुभकामना हेतु) 

किसी भी देश में ऐसा नही होता है, कि बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ अत्याचार करके अल्पसंख्यक समुदाय को खुश किया जा रहा हो, लेकिन भारत मे ऐसा चल रहा है। यही नहीं, 1947 में हिन्दू-मुस्लिम धर्म के आधार पर हिन्दुओं को मिले भारत में हिन्दुओं को समान अधिकार भी नही मिल रहा है। आधे दर्जन राज्यों में बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक हो चुके #Hindu समुदाय को ऊपर से उनसे टैक्स और उनके धार्मिक स्थलों के पैसे लेकर अल्पसंख्यक समुदाय में उपयोग किया जा रहा है बहुसंख्यक समुदाय को चवन्नी भी नही दी जा रही है और न ही कोई सरकारी सुविधाएं मिलती है। कैसा अन्याय है हिन्दुओं के विरुद्ध और सबकुछ सहते-सहते कैसा हो गया है आज का हिन्दू ?

हिंदुओं के मंदिर और उनकी सम्पदाओं को नियंत्रित करने के उद्देश से सन 1951 में एक एक्ट बनाया नेहरू ने– “The Hindu Religious and Charitable Endowment Act-1951.” इस एक्ट के अंतर्गत राज्य सरकारों को मंदिरों की मालमत्ता का पूर्ण नियंत्रण प्राप्त है, जिसके अंतर्गत वे मंदिरों की जमीन, धन आदि मूल्यवान सामग्री को कभी भी कैसे भी बेच सकते हैं और जब भी, जैसे भी चाहे उसका उपयोग कर सकते हैं। मंदिरों के पैसे से सरकारे हिंदुओं का ही दमन कर रही हैं आजतक मस्जिदों अथवा चर्च से एक पैसे का भी टैक्स नही लिया गया, लेकिन मंदिरों के पैसे उनके उपयोग में लाये जाते है।

समाचार महाराष्ट्र से है, जहां सरकार ने प्रदेश में स्थित मस्जिदों और मौलवियों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस की धर्म निरपेक्ष गठबंधन सरकार ने मौलवियों और मस्जिदों को 1.80 करोड़ रु बतौर वेतन देने का ऐलान किया है।

महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने यह सूचना जारी की। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में प्रदेश के 121 मदरसों को 1.80 करोड़ रु बतौर वेतन दिए जाएँगे।  मलिक ने यह भी बताया कि यह राशि डॉ जाकिर हुसैन मदरसा आधुनिकरण योजना के तहत जारी की जाएगी।

https://twitter.com/ANI/status/1286315906629398529?s=19

👉महाराष्ट्र सरकार ने यह योजना राज्य के मदरसों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शुरू की थी। इसके अलावा योजना का उद्देश्य राज्य के मदरसों का आधुनिकरण करना और उनकी बुनियादी सुविधाएँ पूरी करना था।

🕍इस राशि से नए मदरसों में आने वाले शिक्षक को वेतन दिया जाएगा और पढ़ने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। यह योजना साल 2013 के दौरान कॉन्ग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार में शुरू की गई थी।

🤨लेकिन इस योजना का एक और पहलू भी है। जुलाई के पहले हफ्ते में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री विजय वाडेत्तिवर ने कहा था, कि सरकार आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है। जिसकी वजह से सरकार को कर्मचारियों का वेतन देने के लिए क़र्ज़ लेना पड़ेगा। मंत्री जी का यह भी कहना था कि केंद्र सरकार से आर्थिक मदद न मिलने पर ऐसा हो रहा है।

इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारियों का वेतन देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ वही महाराष्ट्र सरकार मदरसों के आधुनिकरण के लिए मौलवियों को वेतन बाँटने वाली है। वही सरकार अब फंड जारी करके मदरसों की मदद करेगी।

👹बता दें कि दो महीने पहले तमिलनाडु सरकार ने 47 मंदिरों को CM राहत कोष में 10 करोड़ रुपए देने का आदेश दिया है। इसके विपरीत राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को रमजान के महीने में प्रदेश की 2,895 मस्जिदों को 5,450 टन मुफ्त चावल वितर‌ित करने आदेश दिया था।

👉इससे पहले तेलंगाना सरकार ने क्रिसमस के लिए 200 चर्च को 1-1 लाख रु दिया और केरल सरकार 2 लाख मदरसों के शिक्षकों को प्रतिमाह 7500 देगी। दिल्ली सरकार भी वेतन मौलवियों को वेतन दे रही है।

ये सभी सेक्युलर सरकार हिंदुओं के मंदिरों के पैसे लेकर चर्चो और मस्जिदों एवं उनके धर्मगुरुओं पर खर्च कर रहे है जबकि हिंदू पुजारियों को, साधुओं को, मंदिर के निर्माण अथवा मरम्मत के लिए या गुरुकुलों के खर्च नही किये जाते है ऊपर से टैक्स लिया जाता है।

केंद्र सरकार को चाहिए कि इसमे बदलाव करें, मंदिरों के पैसे किसी भी धर्म को नही देने चाहिए राज्य सरकार का नियंत्रण उस पर से हट जाना चाहिए। मस्जिदों और चर्चो पर भी टैक्स लगना चाहिए।

🛕राज्य सरकार को चाहिए की मंदिरों के पैसे का उपयोग सिर्फ हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ही करना चाहिए जैसे कि वैदिक गुरुकुल, आर्युवेदिक हॉस्पिटल, मंदिर निर्माण, हिंदू धर्म ग्रँथ, मीडिया में हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार, गरीब हिंदुओं की सहायता, अन्नक्षेत्र, साधु-संतों को पगार आदि के लिए उपयोग करना चाहिए अगर ऐसा नही कर सकते है तो सरकार को अपना नियंत्रण हटा देना चाहिए खुद हिंदू अपने मंदिर संभाल लेंगे।

🛕हिंदू भी जिस मंदिर में अपना दान देते हैं उनके संचालकों से हिंदू धर्म के लिए पैसे उपयोग करने के लिए बताएं।

"धर्म नगरी" ने इस एक्ट– “The Hindu Religious and Charitable Endowment Act 1951” को तत्काल प्रभाव से समाप्त किए जाने की माँग करते हुए पूर्व में रिपोर्ट प्रकाशित की थी। यदि इस एक्ट को खत्म न किया जाए, तो इस एक्ट में वो सारे प्रावधान हों, जिससे हिन्दू मंदिरों को मिलने वाले दान एवं चढ़ावे के उपयोग केवल सनातन हिन्दू धर्म के लिए एवं हिन्दुओ के हित में लगाया जाए। इससे  संबंधित ड्राफ्ट  या प्रावधान हमने बनाया भी है- संपादक (राजेश) 
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