... तो नेपाल बनेगा नार्थ कोरिया !
नेपाल में भारतीय मूल की सांसद सरिता गिरि को देश से निकालने की हो रही है मांग...
भारत से नेपाल के विवादित नक्शे का विरोध करने वाली एकमात्र सांसद सरिता गिरि ने कहा, एक सांसद की सदस्यता है, जिसे खत्म करने का फैसला लिया जाता है और कोई आधिकारिक बयान तक जारी नहीं किया जाता है। कोई प्रेस विज्ञप्ति भी मीडिया को जारी नहीं की जाती। नेपाल की राजनीति में चीनी प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिसको लेकर नेपाल में राजनीतिक बहस बहुत गरम है।
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नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरि |
नेपाल में इस वक्त जबरजस्त उथल-पुथल मची हुई है। नेपाली प्रधानमंत्री ओली चीन की गोद में बैठकर हजारों वर्ष पुराने भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक रिश्तों को खत्म करने पर पूरी तरह से आमदा हैं। चीन के इशारे पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार के प्रधानमंत्री ओली ने भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को अपना बताया। उस संबंध में संसद में नक्शा भी पास करा लिया, जिसमें भारतीय क्षेत्र को अपना बताया गया था।
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सांसद सरिता गिरी - PM नेपाल |
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भारत और नेपाल में सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच तनातनी है। बीते 8 मई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से धाराचूला तक नई सड़क का उद्घाटन किया था। इसके बाद नेपाल ने विरोध करते हुए लिपलेख को नेपाल का हिस्सा बताया। फिर 18 मई को नेपाल ने एक नया मैप जारी किया, जिसमें भारत के लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी इलाकों पर अपना दावा किया था।
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सांसद सरिता गिरि ने बिल पर एक संशोधन प्रस्ताव भी दर्ज किया था। हालांकि, पार्टी के मुख्य सचेतक उमाशंकर अरगरिया ने सरिता गिरि को संसोधन प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश दिया, लेकिन उन्होंने इसका पालन नहीं किया। नए नक्शे के लिए संविधान में संसोधान का विरोध करने वाली सरिता गिरि का अपराध ये है, कि उन्होंने सरकार से पूंछ लिया कि किस आधार पर इन क्षेत्रों को नक्शे में शामिल किया जा रहा है ? उन्होंने कहा, काला पानी, लिपुलेक, लिंपिया धुरा पर दावे के लिए सरकार के पास कोई आधार नहीं है। उन्होंने बताया, कि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के भी खिलाफ है, जिसमें बताया गया है कि किसी राष्ट्रीय प्रतीक में बदलाव के लिए पर्याप्त आधार की आवश्यकता है। सरकार ने इस विधेयक में शामिल नए नक्शे को लेकर कोई आधार और सुबूत नहीं दिया है।
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सरिता गिरी ने इस मामले में कहा, 'अभी निर्णय लिया गया है। पहले यह लोग संसद सचिवालय को लिखेंगे। जब तक संसद सचिवालय कोई फैसला नहीं लेता, तब तक इसे बर्खास्तगी नहीं कहा जाएगा। यह फैसला कुछ पदाधिकारियों ने लिया है। अभी तक मेरे पास लिखित तौर पर कुछ भी नहीं आया है। अभी मेरे पास आधिकारिक तौर पर कोई भी जानकारी नहीं है। मैं सिर्फ मीडिया से सुन रही हूं।'
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नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरी |
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नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरी |
सरिता पहले बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम करती रहीं। उन्होंने नेपाल के ही मधेसी समुदाय पर बहुत काम किया। नेपाल में मधेसियों की संख्या डेढ़ करोड़ के आसपास है। ये मैथिली बोलते हैं, साथ में हिन्दी और नेपाली भी। भारत के साथ इनका काफी पुराना रोटी-बेटी का संबंध है, लेकिन 50 लाख लोगों को नेपाल की नागरिकता अभी तक नहीं मिल पाई है। इसीलिए मधेसी समुदाय आए दिन आंदोलन करता है। सरिता गिरि ने इन्हीं के साथ काम की शुरुआत की। सरिता गिरि ने कहा, एक सांसद की सदस्यता है, जिसे खत्म करने का फैसला लिया जाता है और कोई आधिकारिक बयान तक जारी नहीं किया जाता है। कोई प्रेस विज्ञप्ति भी मीडिया को जारी नहीं की जाती। नेपाल की राजनीति में चीनी प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिसको लेकर नेपाल में राजनीतिक बहस बहुत गरम है।
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नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरी |
नेपाली सांसद सरिता गिरि ने बहुत मुखर होकर कहा, अगर सचेत न हुए और चाइना की दखलअंदाजी रोकी नहीं गई, तो नेपाल को नार्थ कोरिया बनाने की कोशिशें कामयाब हो जाएंगी। नेपाल की राजनीति में इन दिनों कई नए और बाहरी किरदारों की सक्रियता है। इस बात को लेकर सरिता गिरि ने कहा- मैं लगातार संसद में चीन की भूमिका लेकर सवाल उठाती हूं। जिस तरह से पट्टे दिए गए, जिस तरह से आणविक हथियारों को लेकर बिल संसद में पारित हुआ, हुआवेई कंपनी के बारे में भी मैंने प्रश्न उठाया, कि प्रधानमंत्री का कंट्रोल रूम भी इसी कंपनी के द्वारा चलाया जा रहा है। इसको लेकर कम्युनिस्ट सरकार के निशाने पर मैं आ गई।
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चीन की राजदूत हाओ यांकी नेपाल के PM केपी शर्मा ओली के साथ |
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चीन की राजदूत हाओ यांकी (विषकन्या) |
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नेपाल के PM - चीनी राष्ट्रपति के साथ |
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-अनुराधा त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल |
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