... तो नेपाल बनेगा नार्थ कोरिया !

नेपाल में भारतीय मूल की सांसद सरिता गिरि को देश से निकालने की हो रही है मांग... 

भारत से नेपाल के विवादित नक्शे का विरोध करने वाली एकमात्र सांसद सरिता गिरि ने कहा, एक सांसद की सदस्यता है, जिसे खत्म करने का फैसला लिया जाता है और कोई आधिकारिक बयान तक जारी नहीं किया जाता है। कोई प्रेस विज्ञप्ति भी मीडिया को जारी नहीं की जाती। नेपाल की राजनीति में चीनी प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिसको लेकर नेपाल में राजनीतिक बहस बहुत गरम है। 

नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरि  

धर्म नगरी / DN News (वाट्सएप-6261868110 -केवल सदस्य, सहयोग, विज्ञापन व शुभकामना हेतु) 

नेपाल में इस वक्त जबरजस्त उथल-पुथल मची हुई है। नेपाली प्रधानमंत्री ओली चीन की गोद में बैठकर हजारों वर्ष पुराने भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक रिश्तों को खत्म करने पर पूरी तरह से आमदा हैं। चीन के इशारे पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार के प्रधानमंत्री ओली ने भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को अपना बताया। उस संबंध में संसद में नक्शा भी पास करा लिया, जिसमें भारतीय क्षेत्र को अपना बताया गया था।
सांसद सरिता गिरी - PM नेपाल 
नेपाल मेें भारतीय इलाकों को शामिल करने वाले नक्शे का विरोध करने वाली एकमात्र सांसद सरिता गिरि ने नेपाल सरकार का सदन में तगड़ा विरोध करते हुए कहा था, कि नेपाल अनावश्यक रूप से भारतीय भूमि को अपनी बता रहा है। सांसद सरिता गिरि को इस वजह से हटाने की सिफारिश समाजवादी पार्टी ने की है। पार्टी महासचिव रामसहाय प्रसाद यादव के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स ने मंगलवार को सिफारिस की, कि सरिता गिरि को संसदीय सीट और पार्टी की सामान्य सदस्यता से हटा दिया जाए। बताया गया कि टास्क फोर्स के सदस्य मोहम्मद इश्तियाक ने बताया कि सरिता गिरि को सांसद के पद से हटाने की सिफारिश की गई, क्योंकि उन्होंने पार्टी के संसदीय दल के निर्देशों का पालन नहीं किया। उन्होंने संविधान संसोधन विधेयक का विरोध किया, जिसे काला पानी, लिपुलेक, लिंपिया धुरा सहित नक्शे में संशोधन करने के लिए लाया गया था।
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भारत और नेपाल में सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच तनातनी है। बीते 8 मई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से धाराचूला तक नई सड़क का उद्घाटन किया था इसके बाद नेपाल ने विरोध करते हुए लिपलेख को नेपाल का हिस्सा बताया। फिर 18 मई को नेपाल ने एक नया मैप जारी किया, जिसमें भारत के लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी इलाकों पर अपना दावा किया था। 
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सांसद सरिता गिरि ने बिल पर एक संशोधन प्रस्ताव भी दर्ज किया था। हालांकि, पार्टी के मुख्य सचेतक उमाशंकर अरगरिया ने सरिता गिरि को संसोधन प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश दिया, लेकिन उन्होंने इसका पालन नहीं किया। नए नक्शे के लिए संविधान में संसोधान का विरोध करने वाली सरिता गिरि का अपराध ये है, कि उन्होंने सरकार से पूंछ लिया कि किस आधार पर इन क्षेत्रों को नक्शे में शामिल किया जा रहा है ? उन्होंने कहा, काला पानी, लिपुलेक, लिंपिया धुरा पर दावे के लिए सरकार के पास कोई आधार नहीं है। उन्होंने बताया, कि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के भी खिलाफ है, जिसमें बताया गया है कि किसी राष्ट्रीय प्रतीक में बदलाव के लिए पर्याप्त आधार की आवश्यकता है। सरकार ने इस विधेयक में शामिल नए नक्शे को लेकर कोई आधार और सुबूत नहीं दिया है।
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सरिता गिरी ने इस मामले में कहा, 'अभी निर्णय लिया गया है पहले यह लोग संसद सचिवालय को लिखेंगे जब तक संसद सचिवालय कोई फैसला नहीं लेता, तब तक इसे बर्खास्तगी नहीं कहा  जाएगा यह फैसला कुछ पदाधिकारियों ने लिया है अभी तक मेरे पास लिखित तौर पर कुछ भी नहीं आया है अभी मेरे पास आधिकारिक तौर पर कोई भी जानकारी नहीं है मैं सिर्फ मीडिया से सुन रही हूं'
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नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरी 
नेपाल में भारतीय मूल की सांसद सरिता गिरि के घर पर काला झंडा लगा हुआ है और विरोधी उन्हें देश से निकालने की मांग कर रहे हैं। पुलिस भी श्रीमती गिरि को कोई सहयोग नहीं कर रही है। इसकी एकमात्र वजह नेपाल की महिला सांसद का कथित तौर पर भारत का पक्ष लेना है। उनके घर के बाहर पत्थरबाजी भी हुई। हिन्दुस्तान के बिहार के चंपारण में उनका जन्म हुआ। शादी के बाद नेपाल में बस गईं। हालांकि, उनके पास अभी तक भारतीय नागरिकता है। उन्हें लगातार देश से निकालने की धमकी मिल रही है और उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा खड़ा हो गया है। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ऐसे किसी भी व्यक्ति को नेपाल में रहने की अनुमति देने के मूड में नहीं है, जो भारत का पक्ष लेता हो। 
नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरी 
सरिता गिरि ने संसद में कहा- नेपाली जनता भारत से अपना दोस्ताना संबंध रखना चाहती है, लेकिन प्रधानमंत्री चीन के रिश्तों के चलते, चीन की शह पर, भारत विरोधी गतिविधियों का बढ़ावा दे रहे हैं। नेशनल यूथ एसोसिएशन ने मांग की, कि सांसद सरिता गिरि देश विरोधी हैं, उन्हें पार्टी से और देश से निकाल दिया जाना चाहिए। पहले भी संसद में किसी न किसी बहाने उनपर आरोप लगते रहे हैं, कि वो नेपाल की होकर भारत के  हित की बात करती हैं।

सरिता पहले बतौर सामाजिक कार्यकर्ता काम करती रहीं। उन्होंने नेपाल के ही मधेसी समुदाय पर बहुत काम किया। नेपाल में मधेसियों की संख्या डेढ़ करोड़ के आसपास है। ये मैथिली बोलते हैं, साथ में हिन्दी और नेपाली भी। भारत के साथ इनका काफी पुराना रोटी-बेटी का संबंध है, लेकिन 50 लाख लोगों को नेपाल की नागरिकता अभी तक नहीं मिल पाई है। इसीलिए मधेसी समुदाय आए दिन आंदोलन करता है। सरिता गिरि ने इन्हीं के साथ काम की शुरुआत की। सरिता गिरि ने कहा, एक सांसद की सदस्यता है, जिसे खत्म करने का फैसला लिया जाता है और कोई आधिकारिक बयान तक जारी नहीं किया जाता है। कोई प्रेस विज्ञप्ति भी मीडिया को जारी नहीं की जाती। नेपाल की राजनीति में चीनी प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिसको लेकर नेपाल में राजनीतिक बहस बहुत गरम है।
नेपाल के संसद में बोलते हुए सांसद सरिता गिरी 

नेपाली सांसद सरिता गिरि ने बहुत मुखर होकर कहा, अगर सचेत न हुए और चाइना की दखलअंदाजी रोकी नहीं गई, तो नेपाल को नार्थ कोरिया बनाने की कोशिशें कामयाब हो जाएंगी। नेपाल की राजनीति में इन दिनों कई नए और बाहरी किरदारों की सक्रियता है। इस बात को लेकर सरिता गिरि ने कहा- मैं लगातार संसद में चीन की भूमिका लेकर सवाल उठाती हूं। जिस तरह से पट्टे दिए गए, जिस तरह से आणविक हथियारों को लेकर बिल संसद में पारित हुआ, हुआवेई कंपनी के बारे में भी मैंने प्रश्न उठाया, कि प्रधानमंत्री का कंट्रोल रूम भी इसी कंपनी के द्वारा चलाया जा रहा है। इसको लेकर कम्युनिस्ट सरकार के निशाने पर मैं आ गई।
चीन की राजदूत हाओ यांकी नेपाल के PM केपी शर्मा ओली के साथ   

चीन की राजदूत हाओ यांकी (विषकन्या) 
उन्होंने चीन की राजदूत हाओ यांकी की सक्रियता को लेकर भी प्रश्न उठाया और कहा, कि वे दूतावास के बजाय कम्युनिस्ट नेताओं के घरों पर ज्यादा रहती हैं। इससे नेपाल की स्वतंत्रता पर अपरोक्ष रूप से चीन का कब्जा दिखता है।
नेपाल के PM - चीनी राष्ट्रपति के साथ 
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नेपाल यात्रा के दौरान 18-सूत्रीय समझौता होता है। उसके तुरन्त बाद राजदूत की सक्रियता बढ़ जाती है। उससे सीधी बात समझ में आती है, ये कोई डेवलपमेंट पार्टनरशिप नहीं है। ये दो संप्रभु देशों के बीच समझौता भी नहीं है, बल्कि ये दिखाई देता है कि किस तरह देश की सुरक्षा, अंदरुनी गवर्नेस, देश की नीतियां उनके साथ चीन का तालमेल बनाने और खोजने की एक कोशिश की जा रही है। जबकि नेपाल को स्वतंत्र और संप्रभु होना चाहिए।
 -अनुराधा त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल
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