श्रीराम मंदिर की ऊंचाई एवं क्षेत्रफल बढ़ा

अयोध्या : तीन मंजिल स्वरूप से बढ़ेगी सबसे आधुनिक मंदिर की भव्यता 
- दो नहीं तीन तल का होगा श्रीराम मंदिर
- मंदिर की ऊंचाई अब 128 से 161 फीट 
श्रीराम मंदिर, अयोध्या का मॉडल 
धर्म नगरी / DN News (वाट्सएप-6261868110 -केवल सदस्य, सहयोग, विज्ञापन व शुभकामना हेतु) 

अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर अब दो नहीं, तीन तल का बनेगा। मन्दिर की धरातल से शिखर तक की ऊंचाई 161 फिट किया है। इस कारण एक तल (मंजिल) बढ़ाया गया है। देश के अनेक प्रसिद्ध तीर्थों का नक्शा सहित श्रीराम मन्दिर का मैप बनाने वाले वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने के अनुसार, मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाने के निर्णय एवं गुंबदों की संख्या तीन से पांच करने के बाद एक तल और बढ़ाना आवश्यक हो गया था। 

इससे पूर्व के नक्शे के अनुसार मंदिर की ऊंचाई 128 फिट प्रस्तावित थी। गुंबद और ऊंचाई के अलावा मंदिर के मुख्य परिसर का क्षेत्रफल भी थोड़ा बढ़ेगा। संतों और ट्रस्ट की इच्छा के अनुसार यह बदलाव किया गया है। तीन मंजिल के आधार पर फाइनल नक्शा भी जल्द तैयार कर लिया जाएगा।

सुप्रसिद्ध शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में श्रीराम मंदिर के प्रस्तावित नक्शे को बनाया था। चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राम मंदिर का मॉडल तैयार किया था। चूंकि मंदिर के पूरे क्षेत्र की किसी प्रकार के नाप-जोख करने की किसी को अनुमति नहीं थी, इसलिए सोमपुरा ने क्षेत्र में चलते हुए अपने कदमों से दूरी को नापा और उसके आधार पर प्रस्तावित श्रीराम मंदिर के डिजाइन पर कार्य किया। 

मंदिर परिसर का बढ़ेगा क्षेत्रफल- 
नागर शैली के इस मंदिर परिसर क्षेत्रफल पहले के नक्शे में लगभग  67 एकड़ में था, जिसे नए डिजाइन और ऊंचाई की आवश्यकता के अनुसार 100 से 120 एकड़ में विस्तारित किया जा सकता है। मंदिर की रूपरेखा तैयार होने के 15 दिन के भीतर ही नई डिजाइन के अनुसार मास्टरप्लान तैयार हो सकता है।

मंदिर के वर्तमान डिजाइन के अनुसार इसपर लगभग करीब 100 करोड़ रुपए व्यय होगा। फिर भी, अगर डिजाइन में कोई परिवर्तन होता है,ख् तो व्यय बढ़ जाएगा। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी, कि मंदिर को किस समय सीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की आवश्यकता होगी।

गर्भगृह में परिवर्तन नहीं- 
सोमपुरा ने स्पष्ट किया कि गर्भगृह, आरती स्थल, सीता रसोई, रंगमंडपम की संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले बनाए गए नक्शे के हिसाब से ही इसकी संरचना रहेगी। सोमपुरा ने कहा कि नए राम मंदिर की ऊंचाई बढ़ाई गई है, लेकिन यह भारत में सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर नहीं होगा। दक्षिण भारत में कई मंदिरों के शिखर की ऊंचाई 200 से 250 फिट से ज्यादा है। जबकि अक्षरधाम समेत कई मंदिरों में पांच गुंबद हैं। वहीं, द्वारका मंदिर तो सात मंजिला है।

तराशे 80 हजार घन फुट पत्थर- 
पूरे मंदिर के निर्माण में लगभग 1.75 लाख घन फुट पत्थर की आवश्यकता का अनुमान है। जबकि, अब तक 80 हजार घनफुट पत्थर तराशे जो चुके हैं। लगभग इतने ही पत्थर की और आवश्यकता पड़ सकती है। अक्षरधाम जैसे मंदिरों का डिजाइन तैयार कर चुके सोमपुरा ने बताया, यह पत्थर बंसी पहाड़पुर से लाया जाएगा। तराशी का कार्य भी भी बरसात के बाद तेज होगा और इसमें हजारों कारीगर लगाए जा सकते हैं।

पांच-छह बड़े ठेकेदार की आवश्यकता- 
मंदिर निर्माण का कार्य तीन से साढ़े तीन साल में पूरा करने के लिए कम से कम पांच-छह बड़े ठेकेदारों की आवश्यकता होगी। दो मंजिला मंदिर का निर्माण दो-ढाई साल में ही पूरा करने का लक्ष्य था। मंदिर निर्माण कार्य की जिम्मेदारी संभालने वाली स्वदेशी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो मिट्टी के परीक्षण लेकर उसकी ताकत को परख रही है। मिट्टी की ताकत के आधार पर नींव का निर्माण 60 से 70 फिट नीचे तक किया जाएगा।  

लागत भी बढऩे का अनुमान-
पहले के प्रस्तावित नक्शे के हिसाब से मंदिर निर्माण की लागत सौ करोड़ रुपये आंकी गई, जिसमें भी अब बढ़ोतरी आने का अनुमान है। अगस्त में आधारशिला रखे जाने के बाद बरसात जब बंद होगी तो यह निर्माण कार्य शुरू सकता है। निर्माण जितनी जल्दी शुरू होगा, लागत उतनी ही कम की जा सकती है। 

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