अयोध्या के 63वें शासक राजा दशरथ के पुत्र एवं ...

इक्क्षवाकु वंशीय श्रीराम के स्वर्णकाल का शुभारम्भ 
- अयोध्या में राम मन्दिर शिलान्यास
- श्रीराम की नगरी में नए युग का आरंभ 
श्रीराम मंदिर निर्माण भूमि-पूजन हेतु रजत ईट : धर्म नगरी 


धर्म नगरी / DN News (वाट्सएप- 6261868110) 
अयोध्या की स्थापना ई. पूर्व 2200 के आसपास हुई। महाकाव्य रामायण के अनुसार, श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इक्क्षवाकु वंश के राजा दशरथ उनके पिता थे, जो अयोध्या के 63वें शासक थे। भारत में बाबर के शासन के साथ ही #धर्म_नगरी_ अयोध्या विवादों में आ गई। जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों का उल्लेख आता है, अयोध्या का नाम अवश्य आता है। अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका, पुरी चैव द्वारा सप्ततैता: मोक्षदायिका। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार गौतम बुद्ध ने अयोध्या में 16 वर्षों तक निवास किया था। रामानन्दी संप्रदाय का मुख्य केन्द्र अयोध्या ही रहा। बाबर के आने के बाद विवाद को लगभग 500 साल हो चुके हैं। ऐतिहासिक तथ्यों एवं उत्खनन से प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार अयोध्या  राम मन्दिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी, जिसे मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद के नाम से बनाया था।

रामलला के भव्य मंदिर निर्माण हेतु PM नरेन्द्र मोदी द्वारा
शिलान्यास पर लगने वाली 22 किलो 600 ग्राम की चांदी की ईंट
आगामी पांच अगस्त भारत के गौरव का दिन है, जब भगवान राजा राम के मन्दिर की नींव रखी जाएगी। भगवान राजा राम भारत के केवल आराध्य नहीं हैं, रोम-रोम प्राण-प्राण श्वांस-श्वांस भी भारत के रग-रग में राम हैं। भारत के लिए पे्ररक वाक्य के तौर पर भारतीय अभिव्यक्ति राम के साथ सियाराम मैं सब जग जानू, करहु प्रणाम जोरि जुग पानी। ये हैं राम।
'अ' कार ब्रह्मा है, 'य' कार विष्णु तथा 'ध' कार रुद्र रूप हैं। इस प्रकार 'अयोध्या' वर्णत्रय से संपन्न होकर विद्यमान है। त्रिदेवों के सदा यहाँ निवास करने के कारण यह अयोध्या है। यह विष्णु की आद्यपुरी है। -स्कंध महापुराण 
आदि अनादि लोक-परलोक, स्वर्ग-नर्ग, जीवन-मृत्यु के अधिष्ठाता हैं राम। उन्हीं राम का पुन: राज्याभिषेक होने की तैयारी जोरों से है। देश के बाल, वृद्धए युवा, नर-नारी इस अद्भुत अलौकिक क्षण की प्रतिक्षा में हैं। पूरे देश में उल्लास और प्रसन्नता की लहर है। राम भारतीय जीवन के युग पुरुष हैं। राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। राम हैं, तो हम हैं। हम हैं तो देश है। राम मन्दिर से जुड़े उन तमाम तथ्यों को जाने बिना राम से एकाकार नहीं हुआ जा सकता। 


अयोध्या और सरयू श्रीराम के अस्तित्व का प्रमाण है। 1739 से 1754 ई. तक नवाब सफदरजंग ने अयोध्या को सैन्य मुख्यालय बनाया था। इसके बाद आए सुजाजुद्दौला ने फैजाबाद में किला बनवाया। फैजाबाद को कभी छोटा कोलकाता कहा जाता था। कलकत्ता से आते वक्त ये रास्ते में लखनऊ से केवल 130 किमी. दूर पड़ता है। सरयू का किनारा और लखनऊ से अयोध्या की करीबी इसे खास महत्व दिलाती रही है। जब नवाबों का शासन चरम पर था, तब बंगाल का नवाब अलीवर्दी खान ने इस शहर की स्थापना की। लेकिन दूसरे नवाब शहादत खान ने फैजाबाद की नींव रखी और फैजाबाद को अवध की राजधानी बनाया।
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राम मन्दिर आन्दोलन ने अयोध्या को विश्व पटल पर ला दिया। समय ऐसा भी आया, कि अयोध्या के आगे फैजाबाद फीका पड़ गया। राजनैतिक समीकरण, वोट बैंक की राजनति ऐसी बनीं, कि तत्कालीन सभी सरकारों ने अयोध्या की उपेक्षा की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अयोध्या को उसका स्वर्णकाल लौटा दिया। सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण के अनुसार विवस्वान के पुत्र वैवश्वत मनु महाराज द्वारा की गई। माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवश्वत मुनि लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे। वैवश्वत मनु के दस पुत्र हुए। इल, इक्क्षवाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिषयन्त, करुष, महावली, शर्याती और प्रषध थे। 

इक्क्षवाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि और भगवान हुए हैं। इसी कुल में आगे चलकर प्रभु श्रीराम हुए। महाभारत काल तक इक्क्षवाकु वंश का शासन अयोध्या पर रहा। प्राचीन उल्लेखों के अनुसार, तब अयोध्या का क्षेत्रफल 96 वर्गमील था। वाल्मीकि रामायण के पांचवे सर्ग में अयोध्या का विस्तार से वर्णन है। शोधानुसार पता चलता है, कि भगवान राम का जन्म 5114 ई.पू. हुआ था। चैत मास की नवमी तिथि को। अगस्त 2003 में पुरातत्व विभाग ने खुदाई करके बताया, कि यहां मंदिर होने के संकेत हैं। यहां एक शिव मंदिर भी दिखाई दिया था। भूमि के अंदर दबे खंबे और अवशेषों पर अंकित चिन्हों से मिली पाटरी से मंदिर होने के साक्ष्य मिले हैं।

भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या का पुननिर्माण करावाया था। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढिय़ों तक इसका अस्तित्व अपने संपूर्ण वैभव के साथ अस्तित्व में रहा। रामजन्म भूमि का अस्तित्व 14वीं सदी तक सुरक्षित रहा। भीटी के राजा महताब सिंह बद्रीनारायण ने रामजन्मभूमि को, जब तोड़ा जा रहा था, मंदिर बचाने के लिए उन्होंने बाबर की सेना से युद्ध किया। यह युद्ध कई दिनों तक चला, जिसमें हजारों हिन्दू वीर शहीद हुए।


पांच अगस्त भारत के इतिहास की वह स्वर्णकालीन तारीख होगी, जब भगवान राम के मन्दिर का शिलान्यास होगा। भारत के प्रधानमंत्री इस भूमि-पूजन के आयोजन में हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही अयोध्या के स्वर्णकाल की शुरूआत भी होगी, जिसमें तमाम तरह की विकास योजनाएं प्रस्तावित हैं। अयोध्या को उसका प्राचीन वैभव नई तकनीकि के साथ नए कलेवर में ढालने की कोशिश की जा रही है। अयोध्या का एक नाम साकेत भी है। साकेत सरयू को दूसरा वैकुण्ठ बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

हिन्दुस्तान का विचार हैं राम, हिन्दुत्व का आधार हैं राम, हिन्दुस्तान के प्राण हैं राम। 500 वर्षों तक अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई राम को ही लडऩी पड़ी। कई सालों तक हिन्दुस्तान के आराध्य टेन्ट में रहे। उनके फटे टेंट को बदलने के लिए भी अदालत की प्रतीक्षा करना पड़ता था। जितना क्लेश राम को राम के देश में सहना पड़ा, उसने हिन्दुत्व को आहत ही किया। 

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रबल इच्छाशक्ति ने न केवल राम को उनका राज्य दिया, बल्कि उनको उनके स्वर्णिम युग में ले जाने की कोशिश की। याद करिए राम प्रभु की सभ्यता और भद्रता की, जिन्होंने संपूर्ण मानवजाति में अपने व्यवहार, कार्य और निर्णय से जीवन जीने का सलीका सिखाया। अगर आज हिन्दू अपने सद्भाव, सदाशय, प्रेम, क्षमा, सहनशीलता जैसे गुणों के कारण जाना जाता है, तो श्रीराम से ही भारत ने सीखा है। कहा जाता है, कि भव के जितने भी फंदे हैं, वो राम का नाम लेने से कट जाते हैं। जितने कर्मों के बंधन हैं राम के स्मरण से कट जाते हैं। आप भी बोलिए जयश्रीराम। 
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