मेरे तन में राम, मन में राम, रोम-रोम में राम रे...

राम लला हम आएंगे मंदिर भव्य बनाएंगे...
अयोध्या करती है आह्वान ठाठ से कर मंदिर निर्माण...
श्रीराम की नगरी अयोध्या  
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(राजेश पाठक)
अयोध्या में राम मन्दिर भूमि-पूजन  पूरी अयोध्या राममय हो गई है। विष्णु के अवतार हैं श्रीराम, जिन्हें पीला रंग (पीतांबरी) प्रिय है। इसीलिए श्रीराम की अयोध्या नगरी को पीले रंग से रंगा जा रहा है। अयोध्या की दीवारों पर सीताराम सहित रामायण के प्रमुख प्रसंगों के दृश्य उकेरे जा रहे हैं। रामचरित मानस के सारे पात्र दीवारों पर चित्रकला के माध्यम से उकेरे जा रहे हैं। अयोध्या पहुंचने वालों को मन्दिर पहुंचने से पहले ही दीवारों से राम के दीदार हो जाएंगे। जन्मभूमि की ओर जाने वाले मार्गों में स्थित सभी भवनों को पीले रंग से रंगा गया है। रात्रि में पूरी अयोध्या नगरी और सरयूजी के घाट रंगीन रोशनी में जगमगा रहे हैं।
                                                                                                                                                        अयोध्या को त्रेता युग की तरह दिखाने के अथक प्रयास किए जा रहे हैं। जिस प्रकार की तैयारियां, साज सज्जा अयोध्या में हो रही है, उससे प्रतीत होता है कि राम की अयोध्या है। सारे अयोध्या शहर को फूलों से सजाया जा रहा है। जब भगवान राम ने अयोध्या पर शासन किया था। पूरी अयोध्या शहर में भगवान राम की आभा है, रौनक है। वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात अब वो शुभ धड़ी आ गई श्रीराम मंदिर के निर्माण की। मन्दिर निर्माण का कार्य पांच अगस्त दोपहर सवा 12 बजे भूमि-पूजन के पश्चात आरंभ होगा।

अयोध्या नगरी में राम मन्दिर भूमि-पूजन की तैयारी हो गई है। भूमि-पूजन भव्यता सरयू नदी और शहर के अलग-अलग क्षेत्र में एक लाख से अधिक दिए के प्रकाश और रंग-बिरंगी विद्युत सज्जा से अलौकिक बना दिया है। ऐसा प्रतीत होता है, जैसा श्रीराम की नगरी में होली और दीवाली एक साथ मनाया जा रहा है। सड़क और दीवारों पर रंगीन चित्र होली और रंग-बिरंगी लाइट्स से दीपावली के पर्व को दर्शाता है। भूमि पूजन के ऐतिहासिक क्षण को अविस्मरणीय बनाने हर एक घर के बाहर रामायण के पात्रों व प्रसंगों पर आधारित पेंटिंग हो रहा है। बाय-पास के पास हनुमानजी की प्रतिमा लगाई जा रही है। यहां एक बगीचा बनाया जा रहा है, जिसमें फौव्वारा भी होगा।

अयोध्या का रंग और उल्लास पूरे भारत देश पर ही नहीं, दुनियाभर में सनातनधर्मियों को मानने वालों, हिन्दू धर्म के प्रति आस्था रखने वालों पर चढ़ गया है। भूमि-पूजन के लिए देशभर से पवित्र नदियों का जल, तीर्थ-स्थलों की पवित्र मिट्टी लाई जा रही है। भूमि-पूजन उस भव्य मन्दिर का, जो केवल पत्थरों से बनेगा। जिसमें लोहे का उपयोग नहीं होगा, केवल तांबे के क्लैप से सुन्दर नक्काशीदार पत्थरों से होगा। अयोध्या को पर मुस्लिम हमलावरों ने तोड़कर विवाद का स्थल बना दिया। जबकि अयोध्या नगरी की अनेक विशेषताएं रही हैं। अयोध्या शब्द सुनते ही रामायण की कहानी में बसी उस नगरी का ख्याल आता है, जहां विष्णु के अवतार भगवान राम का जन्म हुआ। उस शासक, उन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का स्मरण होता है, जिन्होंने इस पृथ्वी पर मनुष्य कातन लेकर मानव जीवन में नैतिकता की पराकाष्ठा पर पहुंचा दिया। 
देखें-.

  

https://www.youtube.com/watch?v=g2wkMZM6A_8

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त्रेता युग में रची गई रामायण और उसके पात्रों से जुड़े अनेक स्थान इस शहर में मिलते हैं। पौराणिक गाथाओं को आप यहां जीवित होता देख सकते हैं। श्रीराम और सीता के विवाह के समय उपहार स्वरूप दिया गया कनक भवन किसी महल से कम नहीं। कनक का अर्थ होता है सोना। पीले रंग में आप जब इस भवन को देखेंगे, तब आपको अनुभव होगा कि आप सोने का महल देख रहे हैं। भवन में बनें चांदी के मंडप में सोने के आभूषण और मुकुट पहने राम और सीता की मूर्ति है। बुंदेलखंडी और राजस्थानी शिल्पकारों की साझी शिल्पकारी आप भवन की चौखट और किनारी पर देख सकते हैं। 
अंत में-
सन 1992 में एक नारा लगा था-
"मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जयश्रीराम"

अब 2020 में वह नारा बदल गया-
"गायब हैं मुलायम, नहीं रहे कांशीराम
चारों तरफ़ गूंज रहा है "जयश्रीराम"                                                                                                  -

भारत में सभी विपक्षी पार्टियों के नेता सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर निर्णय देने से पहले व्यंग करते हुए कहा करते थे-
राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन डेट नहीं बताएंगे...
और अब... ? 
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ये भी पढ़ें-
अयोध्या के 63वें शासक राजा दशरथ के पुत्र एवं...
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एक टीले में बने मंदिर पर पहुंचने के लिए आपको 70 सीढिय़ां चढऩी पड़ती है, जहां आपको केसरी रंग में रंगे ऊँचे स्तंभों से घिरे मन्दिर में माता अंजली और बाल हनुमान की प्रतिमा देखने को मिलेगी। अगर आप अयोध्या में धर्म और शिल्पकला का संगम देखना चाहते हैं, तो दशरथ भवन सुंदर कलाकारी से रंगी दीवारें अपने आप में सबल भी हैं और राजसी भी। कहते हैं राजा दशरथ अपने परिवार के साथ यहीं रहते थे। नागेश्वरनाथ मन्दिर भी इसी तरह की रंगीन शिल्पकारी से सजा हुआ है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम के पुत्र कुश ने इस मन्दिर को एक नागकन्या और शिव को समर्पित कर बनवाया था। पवित्र नदी सरयू के किनारे बना गुप्तार घाट आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। श्रीराम ने यहीं जल-समाधि लेकर धरती से पलायन किया था। इसी मान्यता व आस्था के साथ हजारों लोग सरयू नदी में डुबकी लगाकर मोक्ष का द्वार ढूँढते हैं।
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