भगीरथ के तप से गंगा पृथ्वी पर आई, सरयू से हुआ संगम

अयोध्‍या : राम मंदिर निर्माण,  सरयू नदी की चिंता कब ?

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मयार्दा पुरुषोत्तम श्रीराम के अवतरण, लीला परधाम गमन की साक्षी सरयू नदी का उद्गम स्थल यूं तो कैलाश मानसरोवर माना जाता है, परन्तु अब सरयूजी सिंगाही जंगल की झील से श्रीराम नगरी अयोध्या तक ही बहती है।

उत्तर प्रदेश में खैरीगढ़ स्टेट की राजधानी रही सिंगाही का एक समृद्ध सांस्कृतिक संस्कृति है। कस्बे से एक किमी. उत्तर में भूल-भुलैया स्थित है, तो दूसरी ओर वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण शिव मंदिर है। सरयू नदी पहले इसी शिव मंदिर के पास से बहती थी, परन्तु वर्तमान में लगभग एक किमी. सिंगाही के जंगलों में सटकर बह रही है। इसका अस्तित्व सिंगाही व बेलरायां झील से अयोध्या तक रह गया है।
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पुराणों, वाल्मीकि रामायण में उल्लेख-
भौगोलिक कारणों से इस नदी का अस्तित्व संकट में दिखाई देता है। मत्स्य पुराण के अध्याय-121 एवं वाल्मीकि रामायण के 24वें सर्ग में इस नदी का वर्णन है। उल्लेख है, कि हिमालय पर कैलाश पर्वत है जिससे सरयू जी निकली है, यह अयोध्यापुरी से सटकर बहती है। वामन पुराण के अध्याय-13, ब्रह्म पुराण के  अध्याय-19 एवं वायु पुराण के 45वें अध्याय में गंगा, जमुना, गोमती, सरयू और शारदा आदि नदियों का हिमालय से प्रवाहित होना बताया गया है। सरयू का प्रवाह कैलाश मानसरोवर से कब बंद हुआ, इसका विवरण तो नहीं मिलता, परन्तु सरस्वती और गोमती की तरह इसका भी प्रवाह भौगोलिक कारणों से बंद होना माना जाता रहा है।
सरयू नदी, अयोध्या River Sarayu at Ayodhya : धर्म नगरी 
श्रीहरि विष्णु के नेत्रों से प्रगट हुई- 
सरयू का भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रगट होना बताया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सरयू, घाघरा और शारदा नदियों का संगम तो हुआ ही है, सरयू और गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था।
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 'आनंद रामायण' के यात्रा कांड में वर्णित है कि प्राचीन काल में शंकासुर दैत्य ने वेद को चुराकर समुद्र में डाल दिया और स्वयं वहां छिप गया। भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध किया और ब्रह्मा को वेद सौंप कर अपना वास्तवित स्वरूप धारण किया। उस समय हर्ष के कारण भगवान विष्णु की आंखों में प्रेमाश्रु टपक पड़े। ब्रह्मा ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डालकर उसे सुरक्षित कर लिया। इस जल को महापराक्रमी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला। यही जलधारा सरयू नदी कहलाई। बाद में भगीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाया और उन्होंने ने ही गंगा और सरयू का संगम करवाया।
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