इजराइल-यूएई में समझौते से मुस्लिम दुनिया में खिंच तलवारे...

इजराइल-यूएई संबंधों से भौचक्का मुस्लिम जगत
- भारत के हित में है सउदी अरब-इजराइल समझौता
- कश्मीर पर इस्लामिक देशों में समर्थन जुटाना भारत के लिए हुआ आसान
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-अनुराधा त्रिवेदी*
इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के संबंधों के ऐतिहासिक मोड़ आया है। इससे मुस्लिम जगत भौचक्का है। अरब और इजराइल की आदिकालीन शत्रुता जग-जाहिर है। दोनों के बीच फिलीस्तीन महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। गाजा पट्टी को लेकर भी दोनों देशों में लंबा विवाद है। इजराइल को मुस्लिम जगत अपने लिए खतरा मानता है। अमेरिका और भारत जैसे देश इजराइल से मित्र देश माने जाते हैं। इजराइल से भारत की निकटता बहुत गहरी है।

इजराइल और यूएई के बीच कूटनीतिक समझौते पर मुस्लिम दुनिया में तलवारे खिंच गई हैं। तुर्की ईरान, मलेशिया और इस्लामिक आतंकवादी संगठन इजराइज और यूएई के खिलाफ युद्ध-मानसिकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। इजराइल के पास जो सुरक्षा शक्ति है, उसका प्रयोग अरब समूह की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है। अरब समूह पर ईरान, तुर्की जैसे देशों से युद्ध का खतरा मंडराता रहता है। ईरान और तुर्की जैसे देश अरब समूह के कई देशों में हूजी और हिजबुल-मुजाहीदीन जैसे मुस्लिम आतंकवादी संगठनों को संरक्षण और सहायता देकर आतंकवाद की घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं। इस कारण अरब समूह के कई देशों की सुरक्षा को लेकर चिन्ताएं भी बढ़ी हैं। इजराइल और अरब के समझौते से अमेरिका को भी बहुत लाभ मिलने वाला है। अरब समूह में चीन, उत्तर कोरिया, रूस और ईरान की सुरक्षा-गठजोड़ के खिलाफ सशक्त पार्टनर की आवश्यकता अमेरिका को थी।
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इजराइल के अरब-समूूह के देशों में सक्रियता बढऩे से अमेरिकी सामरिक शक्ति भी मजबूत होगी। मजहब के आधार पर धु्रवीकरण के खिलाफ ये गठजोड़ एक सशक्त हथियार बनेगा और इससे दुनिया में फैले तमाम आतंकवादी संगठनों की मानसिकता कमजोर होंगी। इजराइल और अरब देशों के बीच जो समझौता हुआ, उसपर ईरान की टिप्पणी आई, कि ये शर्मनाक है, मुसलमानों की पीठ में छूरा भोंकने जैसा है।

अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद इजराइल और यूएई में 13 अगस्त को एक ऐतिहासिक शांति-समझौता हुआ। इसके अंतर्गत दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल हो गए। इसके साथ ही इजराइल फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक पर अपनी दावेदारी छोडऩे को तैयार हो गया। इस समझौते के बाद इस्लामिक जगत में हा-हाकार मच गया।

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ईरान और तुर्की ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे मुसलमानों के साथ धोखा बताया और धमकी देते हुए यूएई से भविष्य में सामने आने वाले इसके परिणामों की जिम्मेदारी लेने के लिए भी कहा है। इसके पूर्व संयुक्त अरब अमीरात का इजराइल के साथ कोई संबंध नहीं था। 1948 में इजराइल के आजाद होने के बाद यह तीसरा अरब-इजराइल समझौता है। इस समझौते ने दोनों देशों की 49 साल पुरानी दुश्मनी को खत्म किया है। एक संयुक्त बयान के अनुसार, इस ऐतिहासिक कूटनीतिक सफलता से पश्चिमी एशिया में शान्ति स्थापित करने में मदद मिलेगी।----
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सउदी अरब और इजराइल का समझौता भारत के हित में है। इस्लामिक देशों में कश्मीर मुद्दे पर समर्थन जुटाना भारत के लिए आसान हो गया है और पाकिस्तान की कूटनीतिक चाल को मात देने में मदद मिलेगी। हालांकि, ईरान के साथ पहले से ही तनावपूर्ण हो चुके भारत के रिश्तों पर इसका और ज्यादा खराब प्रभाव पडऩे की संभावना है। भारत पश्चिम एशिया में शान्ति और सौहाद्र स्थापित करने के हर प्रयास का समर्थन करता है। यूएई और इजराइल दोनों भारत के पारंपरिक रणनीतिक सहयोगी हैं।

भारत विश्व का पांचवा देश है, जिसके साथ सऊदी अरब ने रणनीतिक समझौता किया था। दूसरी तरफ भारत को इजराइल हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा हथियार आपूर्ति करने वाला देश बनकर उभरा है। अंतर्राष्ट्रीय मंचों से लेकर चीन व पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर भी इजराइल भारत का खुलकर समर्थन करने वाला देश है। इस समझौते से दुनियाभर में फिलीस्तीन के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिसके बारे में कहा जा रहा है, कि सऊदी अरब और इजराइल के बीच कूटनीतिक संबंध हो जाने के बाद फिलीस्तीन मुद्दे का समाधान निकालना ज्यादा आसान हो गया है। 

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भारत ने एक तरह से पाकिस्तान से सऊदी अरब को छीन लिया है। इस नए समझौते के साथ ही इस्लामिक दुनिया का धु्रवीकरण होता हुआ नजर आ रहा है। फिलहाल, दुनिया के मुस्लिम देश तीन खेमें में बंटे दिखते हैं। एक खेमे में ईरान अलग-थलग नजर आता है, दूसरे में अरब और यूएई एकसाथ नेतृत्व करते दिखते हैं और तीसरा खेमा तुर्की, मलेशिया और पाकिस्तान का है। कुल मिलाकर इस्लामिक दुनिया की ये गुटबाजी इस निर्णय के बाद और भी बढ़ जाएगी। चीन के साथ जाकर पाकिस्तान ने वैसे भी खुद को अलग-थलग कर लिया है। इस्लामिक देशों में पाकिस्तान एकमात्र देश है, जो न्यूक्लियर पावर है। इसलिए इसका दबदबा इस्लामिक देशों पर रहेगा। 
*सम्पादकीय सलाहकार- "धर्म नगरी", DN News 
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