बोलिए सियावररामचन्द्र की... सियावररामचन्द्र की... -नरेंद्र मोदी

मोदी का वो प्रण,  पढि़ए संबोधन संपूर्ण.. 
बोलिए... सियावररामचन्द्र की... सियावररामचन्द्र की...जय सियाराम 
-आस्था और आदर्शों में राम बसे हैं
-सभी देशवासियों पर श्रीराम मां सीता का आशीर्वाद बना रहे... PM मोदी
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु भूमि-पूजन के पश्चात जन्मभूमि स्थल पर
 प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी सम्बोधित करते हुए : @DharmNagari M./W.app6261868110 
राजेश पाठक  (धर्म नगरी / DN News मो. 9752404020)   
सम्बोधन के कुछ अंश-
मुझे विश्वास है, हम सब आगे बढ़ेंगे, देश आगे बढ़ेगा!
भगवान राम का ये मंदिर युगों-युगों तक मानवता को प्रेरणा देता रहेगा, मार्गदर्शन करता रहेगा 

प्रभु श्रीराम ने हमें कर्तव्यपालन की सीख दी है, अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं इसकी सीख दी है!

उन्होंने हमें विरोध से निकलकर, बोध और शोध का मार्ग दिखाया है!
हमें आपसी प्रेम और भाईचारे के जोड़ से राममंदिर की इन शिलाओं को जोड़ना है 

हमें ध्यान रखना है, 

जब-जब मानवता ने राम को माना है विकास हुआ है, जब जब हम भटके हैं विनाश के रास्ते खुले हैं!
हमें सभी की भावनाओं का ध्यान रखना है।
हमें सबके साथ से, सबके विश्वास से, सबका विकास करना है 
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देखें (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अयोध्या में सम्बोधन, 5 अगस्त 2020 भूमि-पूजन पण्डाल)-.

 

https://www.youtube.com/watch?v=g2wkMZM6A_8

राम समय, स्थान और परिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं, करते हैं।
राम हमें समय के साथ बढ़ना सिखाते हैं, चलना सिखाते हैं।
राम परिवर्तन के पक्षधर हैं, राम आधुनिकता के पक्षधर हैं।
उनकी इन्हीं प्रेरणाओं के साथ, श्रीराम के आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है 

मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। 

मुझे विश्वास है कि यहां निर्मित होने वाला राममंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा 

आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है।

मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी 

जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों।

भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों।
भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं!
भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं 

उनका अद्भुत व्यक्तित्व, 

उनकी वीरता, उनकी उदारता 
उनकी सत्यनिष्ठा, उनकी निर्भीकता,
उनका धैर्य, उनकी दृढ़ता, 
उनकी दार्शनिक दृष्टि युगों-युगों तक प्रेरित करते रहेंगे। 
राम प्रजा से एक समान प्रेम करते हैं लेकिन गरीबों और दीन-दुखियों पर उनकी विशेष कृपा रहती है 

श्रीराम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था।

उन्होंने गुरु वशिष्ठ से ज्ञान, केवट से प्रेम, शबरी से मातृत्व, हनुमानजी एवं वनवासी बंधुओं से सहयोग और 
प्रजा से विश्वास प्राप्त किया।
यहां तक कि एक गिलहरी की महत्ता को भी उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया: PM

श्री रामचंद्र को 

तेज में सूर्य के समान,
क्षमा में पृथ्वी के तुल्य,
बुद्धि में बृहस्पति के सदृश्य.
और यश में इंद्र के समान माना गया है। 
श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना। 
इसीलिए ही श्रीराम संपूर्ण हैं 

इस मंदिर के साथ सिर्फ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा, बल्कि इतिहास खुद को दोहरा भी रहा है।

जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर और केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को भगवान राम की विजय का माध्यम बनने का सौभाग्य मिला.. 

जिस तरह दलितों-पिछ़ड़ों-आदिवासियों, समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गांधी जी को सहयोग दिया, 

उसी तरह आज देशभर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का ये पुण्य-कार्य प्रारंभ हुआ है..  

जैसे पत्थरों पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बनाया गया, वैसे ही घर-घर से,गांव-गांव से श्रद्धापूर्वक पूजी शिलाएं, यहां ऊर्जा का स्रोत बन गई हैं।

देश भर के धामों और मंदिरों से लाई गई मिट्टी और नदियों का जल, वहां के लोगों,वहां की संस्कृति और वहां की भावनाएं,आज यहां की शक्ति बन गई हैं 

कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमिपूजन का ये कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है।

श्रीराम के काम में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए, देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है 
इसी मर्यादा का अनुभव हमने तब भी किया, जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
हमने तब भी देखा था कि कैसे सभी देशवासियों ने शांति के साथ, सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए व्यवहार किया था । 

आज का ये दिन करोड़ों रामभक्तों के संकल्प की सत्यता का प्रमाण है। 

आज का ये दिन सत्य, अहिंसा, आस्था और बलिदान को न्यायप्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है: PM
राममंदिर के निर्माण की ये प्रक्रिया, राष्ट्र को जोडऩे का उपक्रम है। 

ये महोत्सव है-

विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का।
नर को नारायण से, जोड़ने का।
लोक को आस्था से जोड़ने का।
वर्तमान को अतीत से जोड़ने का।
और स्वं को संस्कार से जोडऩे का
देखें (रामलला के दर्शन करने वाले और हनुमान गढ़ी जाने वाले पहले प्रधानमंत्री)-.

 

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 इस मंदिर के बनने के बाद अयोध्या की सिर्फ भव्यता ही नहीं बढ़ेगी, इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र भी बदल जाएगा।

यहां हर क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे, हर क्षेत्र में अवसर बढ़ेंगे।
सोचिए, पूरी दुनिया से लोग यहां आएंगे, पूरी दुनिया प्रभु राम और माता जानकी का दर्शन करने आएगी 

श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, 

हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, 
हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा,
और ये मंदिर करोड़ों-करोड़ लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा 

यहां आने से पहले, मैंने हनुमानगढ़ी का दर्शन किया।

राम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं।
राम के आदर्शों की कलियुग में रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हनुमान जी की ही है।
हनुमान जी के आशीर्वाद से श्री राममंदिर भूमिपूजन का ये आयोजन शुरू हुआ है 

आप भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए।

इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, 
लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं 

राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं।

कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं 

राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था। 

जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, 
जिनकी तपस्या राममंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, 

सम्बोधन से-
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........................   आज इस देश में करोड़ों लोगों को बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी। आखिकर राम सबके हैं, राम सबमें हैं।
साथियों, मुझे विश्वास है, कि अयोध्या में बनने वाला राम मन्दिर भारत की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। .... इसलिए हमें ये भी सुनिश्चित करना है, कि भवगान राम मन्दिर का संदेश,हमारी हजारों वर्षों की परंपरा दुनिया तक कैसे पहुंचे। ...ये हमारी वर्तमान और भावी पीढिय़ों की विशेष जिम्मेदारी है। इसलिए आज देश में भारत में राम के चरण जहां-जहां पड़े, वहां श्रीराम सर्किट का निर्माण किया जा रहा है। ...अयोध्या तो श्रीराम की भूमि है जो कहते हैं, जन्मभूमि मम पुरी सुहावनी।
आज श्रीराम जनमभूमि की दिव्यता, भव्यता बढ़ाने के लिए कई ऐतिहासिक काम हो रहे हैं। न राम सदृश्य राजा... यानी कि पूरी पृथ्वी पर श्रीराम के समान नीतिवान शासक नहीं हुआ है। श्रीराम का कहना है, नहि दरिद्र कोई दुखी न दीना... नर नारी सभी समान रूप से सुखी हों। भेदभाव नहीं। श्रीराम का ... किसान पशुपालक सभी हमेशा खुश रहें। श्रीराम का आदेश हैं- कश्चित... बुजुर्गों की बच्चों की, चिकित्सकों की सदैव रक्षा होना चाहिए7ये कोरोना ने हमको सिखा दिया है ...

भाइयों और बहनों, ये भी श्रीराम की नीति है, वो क्या है- भय बिन होई न प्रीति। इसलिए हमारा देश जितना ताकतवर होगा, उतना ही प्रीति औरशांति बनी रहेगी। राम की यही नीति सदियों से मार्गदर्शन करती रही है। गांधी...साथियों, स्वयं प्रभु राम ने कहा है- ...अर्थात राम समय और स्थान औरपरिस्थितियों के हिसाब से बोलते हैं, सोचते हैं और करते भी हैं। राम हमें समय के साथ बढऩा भी सिखाते हैं। राम परिवर्तन के पक्षधर है। राम आधुनिकता के पक्षधर हैं। उनकी इन्हीं पे्ररणाओं के साथ, आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है।

साथियों, राम ने हमें विरोध से निकलकर शोध का मार्ग दिखाया है। ... हमें ध्यान रखना है, जब जब मानवता ने राम को माना है, विकास हुआ है। जब जब हम भटके हैं, विनाश के रास्ते खुले हैं। हमें सभी की भावनाओं का ध्यानरखना है। हमें सबके साथ से, सबके विश्वास से सबका विश्वास रखना है। ...आत्मविश्वास से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। तमिल रामायण में श्रीराम कहते हैं- ... अब देरी नहीं करनी है, अब हमें आगे बढऩा है।आज भारत के लिए, हम सबके लिए भगवान राम का यही संदेश है। हमें विश्वास है, हम सब आगे बढ़ेगे, देश आगे बढ़ेगा।

भगवान राम का ये मंदिर युगो-युगों तक मार्गदर्शन करता रहेगा, पे्ररणा देता रहेगा। वैसे आज की स्थि
दो गज की दूरी मास्क है जरूरी। मर्यादाओं का पालन करते हुए सभी देशवासियों को प्रभु राम, माता जानकी सुखी, स्वस्थ रखें, सभी देशवासियों पर श्रीराम मां सीता का आशीर्वाद बना रहे...
बोलिये- सियापति रामचन्द्र की... सियापति रामचन्द्र की...
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सम्बोधन के अंत में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने प्रधानमंत्री के प्रति धन्यवाद प्रकट किया।
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