अपने प्राण देकर पायलट ने बचाया लोगों का जीवन

पायलट के पिता सेना में, भाई कारगिल में बलिदान
- कोझीकोड में 'काल' का है रन-वे
- चेतावनियों को एयरपोर्ट अथॉरिटी ने की उपेक्षा  
कोझीकोड (केरल) में प्लेन क्रेश, बचाव कार्य का एक दृश्य
(धर्म नगरी / DN News M./W.app 6261868110)   
केरल के कोझीकोड में जब प्लेन क्रेश हुआ, केवल तेल का रिसाव हो रहा था, उसमें आग नहीं लगी। जीवित बचने वाले विमान-यात्रियों के लिए यह वरदान साबित हुआ। ऐसा सम्भतः विमान के पायलटों के कारण हुआ।  

जिस एयर इंडिया एक्सप्रेस AXB1344 एक B737 विमान कल शुक्रवार शाम 7.41 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुआ, उसमें क्रू मेंबर समेत 191 लोग यात्रा कर रहे\ थे। सभी यात्री कोरोना काल में "वन्दे भारत मिशन" के अंतर्गत दुबई में फंसे थे
  
दुर्घटना के बाद देर रात तक बचाव अभियान चला। केरल राज्यपाल ने बताया, विमान दुर्घटना को लेकर राष्ट्रपति ने फोन कर चिंता जताई। वहीं, अभी (8 अगस्त सुबह) तक प्लेन का 'ब्लैक बॉक्स, डाटा मिलना नहीं मिला है। फ्लाइट का सॉफ्टवेयर मिलना है। जिन पायलटों की मृत्यु हुई है, वो बहुत अनुभवी थे। उनकी योग्यता को लेकर कोई शंका नहीं थी। 

कल दुर्घटना के बाद आज (8 अगस्त) सुबह 171 यात्री 13 अलग-अलग हॉस्पिटल में भर्ती हैं। 123 लोगों का उपचार अभी भी चल हैं, जिसमें एक गर्भवती महिला है। 18 लोग मारे गए हैं। दुर्घटना में घायल यात्रियों के उपाचार में सहायता हेतु रक्त (ब्लड) देने वालों की लंबी लाइन लग गई है। 

पायलट के पिता सेना में, भाई कारगिल में बलिदान-
दोनों पायलटों ने अपनी जान देकर लोगों का जीवन बचाया। इन दो पायलट में एक कैप्टन दीपक वसंत साठे 2003 में एयरफोर्स से रिटायर्ड हुए। वह एयरफोर्स के टेस्ट पायलट थे। उनके पिता सेना में थे। भाई ने कारगिल में बलिदान दिया। अर्थात 15 साल एयफोर्स के बाद का अनुभव था। दूसरे पायलट 35 वर्षीय के थे। 
पायलट में एक कैप्टन दीपक वसंत साठे
नौ साल से चेतावनी की अनदेखी-
केरल में कुल चार एयरपोर्ट हैं। इनमें कोझीकोड का यह एयपोर्ट पहाड़ी इलाके में बना है। जिस रन-वे पर नंबर-10 पर दुर्घटना हुई, वो असुरक्षित था। यह रनवे पूरी तरह असुरक्षित था, इसकी चेतावनी नौ साल पहले दी गई थी। रनवे को बढ़ाने को कहा गया था। बड़े विमानों को न उतारने, विमानों के टेक-ऑफ और मरम्मत पर ध्यान देने का सुझाव दिया गया था, पर कोझीकोट एयरपोर्ट ने इसकी उपेक्षा की या चेतावनियों पर गंभीरता से कार्यवाही नहीं की। 

ये है एयरपोर्ट, रन-वे की सच्चाई-
एयपोर्ट अथॉरिटी कोझीकोट को जिम्मेदारी 3250 फीट तक बढ़ाया जाना चाहिए, जबकि अभी रनवे 2880 फीट ही है। एयरपोर्ट के दोनों ओर खाई है, एक ओर 50 फीट गई है। जिस ओर विमान गिरा, उस ओर लगभग 30 फीट गहरी खाई थी। वहीं, एयरपोर्ट के आसपास 1300 से अधिक लोग रह रहे है। जहाँ दुर्घटना हुई, उस रनवे पर क्रेक भी हुआ है। जरा सी वर्षा होने पर पानी इकट्ठा हो जाता है। जबकि केरल में कई दिनों से वर्षा हो रही थी, जिसकी उपेक्षा भी एयरपोर्ट अथॉरिटी ने की। दोषी कौन है और क्या कार्यवाई की जाती है, यह तो आगे समय ही बताएगा 

क्यों खतरनाक है कोझीकोड एयपोर्ट- 
- एयरपोर्ट टेबल टॉप पर है, जिसे बहुत रिस्की माना जाता है
- टेबल टॉप का आशय ऐसे एयरपोर्ट से है, जिसका एक या दोनों सिरों के बाद ढलान हो। 
- टेबल टॉप पर होने और चेतावनियों बाद भी रन-वे की लंबाई भी नहीं बढ़ाई गई
- खराब मौसम में इस एयरपोर्ट में लैंडिंग और भी खतरनाक हो जाती है
- इस एयरपोर्ट के रनवे का सेफ्टी एरिया और साइड पट्टियां छोटी हैं
- जिस रन-वे नंबर-10 पर विमान दुर्घटना हुई, वो बहुत असुरक्षित था
- जहाँ विमान दुर्घटना हुई, उस रन-वे पर क्रेक भी हुआ है। जरा सी वर्षा होने पर पानी इकट्ठा हो जाता है
- जबकि DGCA ने रन-वे पर रबड़ बिछाने को कहा था
- चेतावनी व सुझाव के पश्चात भी एयरपोर्ट के आसपास की जमीन अधिग्रहण नहीं किया जा सका, क्यों ? क्योंकि इससे एयरपोर्ट का एरिया भी नहीं बढ़ा 
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