सुशांत पर SC का निर्णय = "न्याय सर्वोपरि सबके लिए"

सुशांत केस में SC का निर्णय, प्रतिक्रिया में भारतीयों ने लिखा- सत्यमेव जयते !...  
ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के सम्मुख सुशांत की साधु संग ये चित्र #Social_Media में बहुत वायरल हुई 
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-अनुराधा त्रिवेदी*
एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस की सीबीआई जांच को सुप्रीम कोर्ट (SC) से स्वीकृति देते हुए निर्णय में कहा, कि इस केस की जांच का अधिकार सीबीआई को है। SC ने बिहार में दर्ज एफआईआर को भी सही ठहराया और मुंबई पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। SC ने मुंबई पुलिस को आदेश दिया, कि सीबीआई जांच में मुंबई पुलिस को पूरी तरह सहयोग करना होगा। सभी दस्तावेज, केस डायरी और कई अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज मुंबई पुलिस सीबीआई को सौंपेगी।

उल्लेखनीय है, मुंबई पुलिस सीबीआई जांच के खिलाफ थी और उसने बिहार की पुलिस को भी सहयोग नहीं दिया था। बल्कि, मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस के साथ दुव्र्यवहार किया था। सबसे बड़ी बात जो सुप्रीम कोर्ट ने कही, वो यह कि महाराष्ट्र सरकार को जांच में पूरा सहयोग सीबीआई को करना होगा। सरकार की तरफ से सीबीआई के लिए कोई व्यवधान खड़े नहीं किए जाएंगे, जिससे जांच प्रभावित हो।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में बहुत महत्वपूर्ण बातें कही हैं। जैसे- अब सुशांत केस में कोई भी एफआईआर दर्ज होगी, तो उसकी जांच भी सीबीआई ही करेगी। दूसरी सबसे बड़ी बात जो कोर्ट ने कही, वह यह कि सीबीआई को अपनी जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है और न ही सुबूत इकट्ठे करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की अनुमति लेना पड़ेगी। SC के फैसले के बाद ये माना जाएगा, कि सीबीआई जांच की स्वीकृति सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से है। इसके साथ ही कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती की याचिका खारिज कर दी।
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पढ़ें-
SC ने कहा, सुशांत सिंह राजपूत केस की CBI जांच हो
आम भारतीय की प्रतिक्रिया-

http://www.dharmnagari.com/2020/08/sushant-Singh-Rajput-SSR-Justice.html
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सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस को बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे ने ट्वीट करते हुए लिखा- सत्यमेव जयते। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब सीबीआई की टीम मुंबई जाएगी। मुंबई पुलिस से केस डायरी, सभी गवाहों और संदिग्धों के बयान, फॉरेंसिक और ऑटोप्सी रिपोर्ट मांगेगी। शीर्ष अदालत ने रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, कि बिहार सरकार का सीबीआई से मामले की जांच का अनुरोध करना उचित था और पटना में एफआईआर दर्ज होना भी कानूनी रूप से सही था।

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने 'न्याय सर्वाेपरि सबके लिए न्यायÓ की अवधारणा को स्थापित किया है। उल्लेखनीय है, कि संदेहास्पद परिस्थितियों में सुशांत की मृत्यु होना, जिसे मुंबई की पुलिस और सरकार आत्महत्या बताती रही, जबकि साक्ष्य, गवाह इंगित करते रहे कि यह हत्या का मामला है। अगर हम पीछे चलें तो राजकपूर के गुजरने के बाद पंजाबी लॉबी का बॉलीवुड में वर्चस्व घट गया और अंडरवल्र्ड के पैसों से फिल्में बनना, अंडरवल्र्ड का फिल्म इंडस्ट्री में दखल बढ़ गया। वो प्रवृत्ति फिल्मकारों में भी आई। एक जमाना था, जब यूसुफ खान को फिल्मों में हिट होने के लिए अपना नाम दिलीप कुमार रखना पड़ा था। राजकपूर के देहांत के बाद मुसलमान कलाकार अपने असली नाम से फिल्मों में आने लगे। ग्लैमर के झांसे में फंसी भारतीय बहुसंख्यक जनता इनकी फिल्में हिट कराने लगी। इससे एक तरह से इन हीरो-हीरोइनों का वर्चस्व बढऩे लगा।
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पढ़ें-
सुशांत सिंह राजपूत की जांच कौन करेगा ! 
आम भारतीय की प्रतिक्रिया-

http://www.dharmnagari.com/2020/08/sushant-Singh-Rajput-SSR-Justice.html
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सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने बॉलीवुड में बाहरी कलाकारों के संघर्ष और नेपोटिज्म की बहस को तेज कर दिया था। फिल्म इंडस्ट्री के तबके का आरोप है, कि बाहरी होने के कारण सुशांत को निशाना बनाया जा रहा था। फिल्मी पर्दे से उतरकर ये हीरो-हीरोइनें इन अंडरवल्र्ड डॉन के चौखटों पर मुजरा बजाने लगे। उनकी पार्टियों में नाचने जाने लगे। फिल्म स्टार्स और अंडरवल्र्ड की जुगलबंदी में बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री ने परिवारवाद को आगे बढ़ाया। देश के कोने-कोने से मंजे हुए मध्यम व अत्यन्त साधारण परिवारों के कलाकार बच्चे फिल्म इंडस्ट्री में अपना भविष्य तलाशने पहुंचे और वहां अंडरवल्र्ड की जुगलबंदी के कलाकार उन बच्चों के रास्ते में कांटे बिछाने लगे।

 सुशांत सिंह राजपूत का ये कोई पहला केस नहीं है। हम याद करें गायक यशुदास, गायक जसपाल सिंह और कुछ मंजे हुए कलाकार, जो खामोशी से इन इंडस्ट्री के कर्ता-धर्ता का विरोध किए बिना इंडस्ट्री छोड़कर चले गए। ये जो भारत में टुकड़े-टुकड़े गैंग है, इनके अलावा जावेद अख्तर, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, रणबीर सिंह, दीपिका पादुकोण, सोनम कपूर और सबसे बड़ा महेश भट्ट और करन जौहर। ये भी इस तरह की करतूतों में शामिल हैं। खुद को बुद्धिजीवी होने का पाखंड रचते हुए ये लोग सरकार के कामकाज पर, बहुसंख्यकों के अधिकारों पर हमेशा उंगली उठाते रहते हैं। सुशांत के परिवार को महाराष्ट्र सरकार के संजय राउत जिस अंदाज में केस को लेकर धमकाते थे, उससे देश को ये संदेह था, कि कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।

ये भूल जाते हैं, कि देश से बड़ा कोई भी कलाकार नहीं होता। जब देश का बहुसंख्यक एकसाथ खड़ा हो जाता है, तो सुशांत सिंह राजपूत के साथ हुए अन्याय की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआई करती है। ये न्याय के लिए बॉलीवुड में ऐतिहासिक लड़ाई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का बेटा, उसके साथ ही बॉलीवुड की दबंग परिवार सीबीआई जांच के घेरे में है। सरकारों की तुष्टीकरण की नीति के चलते हुए इन लोगों के द्वारा किए गए पूर्व के अपराधों पर पर्दा पड़ता रहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिन परिस्थितियों में जांच के आदेश दिए हैं, उसमें विलंब हो गया है। अब तक तो मुंबई पुलिस और वहां की सरकार अपने चहेतों को बचाने के लिए काफी सुबूत नष्ट कर चुकी होगी, लेकिन कहावत है, चोर चोरी से बच सकता है, हेराफेरी से नहीं। और कानून के हाथ बड़े लंबे हैं। कहीं न कहीं, कोई न कोई सुराख सुशांत सिंह के हत्यारों को सलाखों के पीछे जरूर पहुंचाएगा। हैरत ये, कि सुशांत की मृत्यु के 56 दिन बाद भी मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। फिर किस आधार पर मुंबई पुलिस केस को लेकर पूंछताछ करती रही।

56 दिन तक महाराष्ट्र सरकार ने इस पूरे प्रकरण की एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पूंछताछ क्यों नहीं की ? कौन हैं वो लोग, जिनको महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस बचा रही थी ? किसलिए, किसके कहने पर और क्यूं बचा रही थी ? ऐसा क्या था, कि सरकार और मुंबई पुलिस सीबीआई जांच का लगातार विरोध कर रहे थे। रिया चक्रवर्ती ने शुरुआत में खुद अमित शाह को ट्वीट करके सीबीआई जांच की मांग की थी, फिर ये क्यों सुप्रीम कोर्ट पहुंची, कि जांच मुंबई पुलिस से कराई जाए सीबीआई से नहीं। महेश भट्ट और रिया चक्रवर्ती का क्या कनेक्शन है ? इस उम्र में महेश भट्ट लड़कियों के कंधे पर सिर रखकर जिस तरह की फोटो खिंचवाते हैं, उनका और रिया चक्रवर्ती का क्या रोल है ? अब जब सीबीआई जांच शुरु होगी, तो बड़े-बड़े चेहरों से नकाब हटेगा और इनके आकाओं के चेहरे से भी। 
*सम्पादकीय सलाहकार- "धर्म नगरी", DNNews .
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