हिन्दू माह के इस दिन करें कष्ट से निवारण का उपाय...
कोई कष्ट है, तो "कृष्ण पक्ष की चतुर्थी" को करें ये उपाय
(धर्म नगरी / DN News मो. 6261868110)
आज 7 अगस्त (शुक्रवार) को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। वहीं, भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी भी आज है। प्रत्येक माह इस तिथि (कृष्ण पक्ष की चतुर्थी) का अपना महत्व है।
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं। कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या ऐसे लोग शिवपुराण में बताया एक प्रयोग कर सकते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (अर्थात पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं, वो नष्ट हों।
छः मंत्र इस प्रकार हैं-
ॐ सुमुखाय नम: सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
ॐ दुर्मुखाय नम: अर्थात, भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है, तो भैरव देख दुष्ट घबराये।
ॐ मोदाय नम: मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले। उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें।
ॐ प्रमोदाय नम: प्रमोदाय, दूसरों को भी आनंदित करते हैं। भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी। आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है।
ॐ अविघ्नाय नम:
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:
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(धर्म नगरी / DN News मो. 6261868110)
आज 7 अगस्त (शुक्रवार) को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है। वहीं, भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी भी आज है। प्रत्येक माह इस तिथि (कृष्ण पक्ष की चतुर्थी) का अपना महत्व है।
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं। कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या ऐसे लोग शिवपुराण में बताया एक प्रयोग कर सकते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (अर्थात पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं, वो नष्ट हों।
छः मंत्र इस प्रकार हैं-
ॐ सुमुखाय नम: सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
ॐ दुर्मुखाय नम: अर्थात, भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है, तो भैरव देख दुष्ट घबराये।
ॐ मोदाय नम: मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले। उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें।
ॐ प्रमोदाय नम: प्रमोदाय, दूसरों को भी आनंदित करते हैं। भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी। आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है।
ॐ अविघ्नाय नम:
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