मायावती को फिर याद आया 25 साल पुराना दर्द, आज फिर बोलीं- सपा को सिखाएंगी सबक

1995 के ‘गेस्ट हाउस कांड में केस वापस लेकर गलती की’

मायावती करेंगी बीजेपी का समर्थन, "विधायक तोड़ने वाली पार्टी" को सिखाएंगी सबक
 

गेस्ट हाऊस केस पर मायावादी का 8 नवंबर 2019 का ट्वीट, जिसमे उन्होंने लिखा था- केस को 26.02.2019 को मा. सुप्रीम कोर्ट से वापस लिया था

- मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब "बहनजी" में गेस्ट हाउस में उस दिन की घटना की पर्याप्त जानकारी मिलती है
- "गेस्ट हाउस कांड" की उस दिन की घटना से सबक लेते हुए ही मायावती ने अपने कपड़े पहनने का ढंग ही बदल दिया था

(धर्म नगरी / डीएन न्यूज) वाट्सएप- 6261868110
राजेश पाठक*
बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती आज (29 अक्टूबर) एकबार फिर समाजवादी पार्टी (एसपी) के विरुद्ध आक्रामक हो गई। उन्होंने प्रेस कांफ़्रेंस में कहा- एसपी ने राज्यसभा चुनाव में उनके साथ जिस तरह का काम किया है, अब बीएसपी उन्हें करारा सबक देगी। बीएसपी आगामी एमएलसी चुनाव (MLC Election) में बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में वोट करेगी।

एसपी को ये हरकत भारी पड़ेगी-
बीएसपी के सात विधायक तोड़े जाने के प्रकरण में मायावती ने कहा- एसपी को ये हरकत भारी पड़ेगी. लोकसभा चुनाव में एसपी के साथ हुए गठबंधन को उन्होंने अपनी सबसे बड़ी गलती करार (BSP-SP Alliance Big Mistake) देते हुए कहा कि उन्होंने सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए उनके साथ हाथ मिलाया था उन्होंने यूपी में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन एसपी की अंदरूनी लड़ाई की वजह से बीएसपी को चुनाव में ज्यादा फायदा नहीं मिल सका।

बीजेपी को समर्थन देने की मायावादी द्वारा आज घोषणा किया। इससे पहले बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में केवल 8 उम्मीदवार उतारकर बीएसपी के एक उम्मीदवार के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ कर दिया है. हालांकि, मायावती ने ये भी स्पष्ट किया, कि उनके बीजेपी के साथ मिले होने की बातें बेबुनियाद हैं।
मायावती आज (29 अक्टूबर) को प्रेस कांफ़्रेंस में 

‘गेस्ट हाउस कांड' केस को लेकर गलती की-
बीएसपी के सात विधायक तोड़े जाने के मामले पर मायावती ने कहा कि एसपी को ये हरकत भारी पड़ेगी. मायावती ने लोकसभा चुनाव में एसपी के साथ हुए गठबंधन को अपनी सबसे बड़ी गलती करार देते हुए कहा कि उन्होंने सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए उनके साथ हाथ मिलाया था. उन्होंने यूपी में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए काफी मेहनत की थी, लेकिन एसपी की अंदरूनी लड़ाई की वजह से बीएसपी को चुनाव में ज्यादा फायदा नहीं मिल सका।
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मायावती ने गेस्टहाउस कांड का उल्लेख करते हुए कहा, साल 1995 में उनके साथ जो कुछ भी हुआ, उस मामले में उन्होंने केस वापस लेकर गलती कर दी
 उन्हें केस वापल लेना ही नहीं चाहिए था। इसके साथ उन्होंने कहा, केस वापस लेने को लेकर सतीश चंद्र मिश्रा पर दबाव बनाया गया था।

बागी विधायकों की BSP से सदस्यता रद्द होगी- 
मायावती ने कहा, सात बागी विधायकों को पार्टी ने निलंबित कर दिया था, अब उनकी पार्टी से सदस्यता भी रद्द की जाएगी। उन्होंने एसपी से दो टूक शब्दों में कहा कि उनका षड्यंत्र कभी कामयाब नहीं होगा
 मायावती ने मुलायम सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा, कभी उन्होंने भी बीएसपी के विधायक तोड़े थे और आज फिर वहीं किया गया है। 
मायावती, मुलायम सिंह व अखिलेश यादव के साथ 

सपा से टूटा, जुड़ा, फिर से टूटा बसपा का साथ-
आज से 25 साल 4 महीने 27 दिन पहले (2 जून 1995 को) एसपी का बीएसपी से गठबंधन टूट गया था,  उत्तर प्रदेश की राजनीति में व्यापक परिवर्तन हुआ, उसके बाद मई-जून 2017 में फिर जुड़ने की बात उठी। इसका कारण तब "बीजेपी की लहर से भिड़ने" बताते हुए एसपी और बीएसपी एकसाथ होने की बात कही थी। उसके बाद 
मोदी से टक्कर लेने विपक्ष एकजुट हो रहा था। कांग्रेस और लालू के प्रयासों से 27 अगस्त 2017 को उत्तर प्रदेश की धुरविरोधी पार्टियां एसपी-बीएसपी दूसरी बार एक साथ मंच साझा करती दिखीं, जिसने (एसपी-बीएसपी) 1993 में अभूतपूर्व गठबंधन किया था और मुलायम सिंह ने सत्ता संभाली थी।

तब राष्ट्रपति शासन चल रहा था-

BSP प्रमुख मायावती द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति
एसपी और बीएसपी के बीच 1993 में जब गठबंधन हुआ, तब उत्तर प्रदेश में बाबरी विध्वंस के बाद लगा राष्ट्रपति शासन चल रहा था। मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते ध्रुवीकरण चरम पर था। उसी क्रम में धुरविरोधी पार्टियों के प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मायावती ने एक साथ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। अपेक्षा के अनुरूप किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। माया-मुलायम के गठबंधन ने 4 दिसंबर 1993 को सत्ता की बागडोर संभाल ली। लेकिन आपसी मनमुटाव के चलते 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से किनारा कस लिया और समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। इस कारण मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आकर गिर गई. इसके बाद 3 जून, 1995 को मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता की बागडोर संभाली।

मुलायम, अखिलेश के साथ हुई मायावती, लालू ने की पहल-
एसपी-बीएसपी का  गठबंधन 2 जून 1995 को टूट गया तब उत्तर प्रदेश की राजनीति में आमूल-चल परिवर्तन हुआ। उसके बाद  2017 में बीजेपी की लहर से फिर से भिड़ने एसपी और बीएसपी एकसाथ हो गए। इसके लिए तब बिहार में नीतीश के साथ मिलकर बीजेपी को हराने वाले आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पहल की थी। उसके बाद मायावती ने कहा था-  बीजेपी को हराने के लिए वे 'किसी भी राजनीतिक दल' के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं। वहीं, अखिलेश कई बार सभी विपक्षी दलों के एक साथ आने की बात कही थी। हलांकि, तब लालू की पटना रैली में मायावती के शामिल होने को लेकर , जिसका बयान अखिलेश यादव ने बयान भी दिया था , संशय बना था। कारण, वहीं "गेस्ट हाउस कांड" था। तब सपा प्रमुख मुलायम सिंह थे। 
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2 जून : देश की राजनीति पर एक कलंक का दिन- 
2 जून 1995 को यूपी की राजनीति में जो हुआ वह शायद ही कहीं हुआ होगा। मायावती उस दिन और उस समय को जीवनभर नहीं भूल सकतीं। उस दिन को उत्तर प्रदेश की राजनीति का 'ब्लैक डे' भी कहते हैं। उस दिन एक उन्मादी भीड़ ने सबक सिखाने के नाम पर बीएसपी सुप्रीमो की आबरू पर हमला करने का जूनून चढ़ा था। उस हमले को यूपी की राजनीति में "गेस्ट हाउस काण्ड" कहा जाता है, जो प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति पर एक  कलंक है। उस 2 जून 1995 के दिन सदैव एक कौतुहल का विषय रहा, कि 2 जून 1995 को लखनऊ के राज्य अतिथि-गृह में हुआ क्या था ? मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' में गेस्टहाउस में उस दिन घटी घटना की पर्याप्त जानकारी मिलती है।

उल्लेखनीय है, कि माया के समर्थन वापसी के बाद जब मुलायम सरकार पर संकट के बादल गहरा गए, तब सरकार को बचाने के लिए जोड़-घटाव किए जाने लगे। ऐसे में अंत में जब बात नहीं बनी, तो एसपी के नाराज कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए, जहां मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी हुई थीं।

उस दिन गेस्ट हाउस के कमरे में बंद बीएसपी सुप्रीमो मायावती के साथ कुछ गुंडों (जिसमें अतीक अहमद का नाम प्रमुख रूप से आया) ने बदसलूकी और हाथापाई की। मायावती के कपड़े फाड़ दिए। उस दिन कुछ बीजेपी नेताओं और पुलिस के कुछ कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के कारण उनकी जान बच पाई थी। बताते हैं, इस घटना से सबक लेते हुए ही मायावती ने अपने कपड़े पहनने का ढंग ही बदल दिया था। गेस्ट हाउस कांड से पहले मायावती साड़ी पहना करती थीं, लेकिन उसके बाद उन्होंने सलवार-कुर्ता पहनना शुरू कर दिया
*संपादक - धर्म नगरी, DN News मो. 9752404020 
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