#WeSupportFrance : हिन्दुस्थान की देश विरोधी मीडिया और आबादी को लेकर...

#Social_Media से... 
व्यंग : भारत के संदर्भ में 
India की दिन चौगुनी, रात सोलह गुनी बढ़ती आबादी 

फ्रांसीसी शिक्षक सैमुएल पैटी को एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि का 
सीधा प्रसारण देखने के लिए 
पेरिस (फ्रांस) इकट्ठा हुए लोग 

आज सुबह सपना देखा कि पेरिस में इफेल टावर के नीचे कुछ मोहतरमायें बैठी हैं, बच्चे भी हैं, बिरयानी बांटी जा रही है, कुछ लिबरल लोग माइक पकड़कर तरह-तरह की बकवास कर रहे हैं।
मोहतरमायें नारा लगा रही हैं-  

"हम कागज नही दिखाएंगे"
"हम भी फ्रेंच हैं।"
"सभी का खून शामिल है इस मिट्टी में, किसी के बाप का फ्रांस थोड़ी है।"
"सेन-लवार तहज़ीब ज़िंदाबाद।"
"हम किरायेदार नही हैं।"
"हमे चाहिए आज़ादी।"

NDTV और आजतक की ओबी वैन आ चुकी हैं
 अंजना 768 कश्यप, चित्रा त्रिपाठी और रवीश कुमार जैसे पढ़े लिखे और समझदार पत्रकार स्क्रिप्ट देकर मोहतर्माओं के इंटरव्यू ले रहे हैं हर तरह मैक्रॉन सरकार विरोधी माहौल है।

बस बात आगे बढ़ ही रही थी, शाम होने को थी, चारों ओर चहल पहल बढ़ गयी थी, अचानक से भीड़ बढ़ने लगी, हम भी उत्साहित थे कि अब वो समय आ गया है जब इफेल टावर की शेरनियां 500-500 फ्रेंच यूरो लेकर कारें हिलाकर विरोध करेंगी और मैक्रॉन सरकार को हिला देंगी।

फिर साला हमारी आँख खुल गयी और हमारा सारा उत्साह मायूसी में तब्दील हो गया, हमने अपनी नींद को बहुत गरियाया की थोड़ी देर और नही रुक सकती थी..!

खैर, फ्रांस में तो संघी और भाजपाई नही हैं, न ही मोदी और अमित शाह हैं, फिर भी वहां कागज़ दिखाए बिना ही मुस्लिमों को बाहर करने की नौबत आ गयी है, क्योंकि उनके कर्म ही ऐसे हैं, इसलिए भारत को भी सीख लेनी चाहिए फ्रांस से और अब आर-पार की कार्यवाही की जानी चाहिए।

क्योंकि हिंदुस्तान को आज का यूरोप नही बनना है, और न ही इतिहास का मेसोपोटामिया, पर्शिया, कांस्टेण्टिनोपोल बनना है, और ये वो क़ौम हैं जिनको आप इंसान नही बना सकते।

अपने आसपास देखकर ही सबक लिया जाता है।
नोट- दुआ करना कि आगे और सपना आये है और हम कार क्रांति देख लें..!!
#साभार सोशल_मीडिया से 

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