छठ पूजा : 36 घंटे तक रखना होता निर्जला व्रत, जाने व्रत के नियम, पूजा की पूरी सामग्री
परिवार के सभी सदस्य भी दूर रहते हैं तामसिक भोजन से
(धर्म नगरी / DN News) वाट्सएप- 6261868110
छठ पूजा व्रत के नियम-
1. चार दिनों की छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्यक्ति को पलंग या तखत पर सोना वर्जित होता है। वह जमीन पर चटाई बिछाकर सो सकता है तथा कंबल आदि का प्रयोग कर सकता है।
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सूर्य की आस्था का महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ आज से हो रहा है। सायंकाल नहाय-खाय से व्रती अपने व्रत का शुभारंभ करेंगे। छठ पूजा बिहार समेत देश के कई बड़े शहरों में मनाया जाता है। यह व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि यह व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखना होता है। छठ पूजा के व्रत का नियम भी सभी व्रतों से अलग होता है।
यदि आप छठ पूजा का व्रत रखते हैं, तो आपको इसके नियमों की जानकारी होनी चाहिए। नियमपूर्वक व्रत न करने से छठी मैया और सूर्य देव का आशीष प्राप्त नहीं होता है। व्रत भी निष्फल हो जाता है। छठ पूजा का व्रत संतान प्राप्ति, उसकी सुरक्षा तथा सफल जीवन के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि राजा सगर ने सूर्य षष्ठी का व्रत सही से नहीं किया था, जिसके प्रभाव से ही उनके 60 हजार पुत्र मृत्यु को प्राप्त हुए।
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छठ पूजा : नियम और किस प्रकार इसका पालन करना चाहिए।छठ पूजा व्रत के नियम-
1. चार दिनों की छठ पूजा का व्रत रखने वाले व्यक्ति को पलंग या तखत पर सोना वर्जित होता है। वह जमीन पर चटाई बिछाकर सो सकता है तथा कंबल आदि का प्रयोग कर सकता है।
2. व्रती को चारों दिन नए और साफ वस्त्र पहनना होता है। इसमें भी इस बात का ध्यान दिया जाता है कि वे वस्त्र सिले न हों। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं। हालांकि, आजकल लोग कोई भी वस्त्र पहन लेते हैं।
3. व्रत रखने वाले को मांस, मदिरा, झूठी बातें, काम, क्रोध, लोभ, धूम्रपान आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4. छठ पूजा का व्रत रखते हैं तो परिवार के सभी सदस्य को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। इन चार दिनों में सात्विक भोजन ही करें।
5. छठ पूजा के व्रत में बांस के सूप का प्रयोग होता है। सूर्य देव की जब संध्या तथा प्रात:काल की पूजा होती है, तो उस समय सूप में ही पूजन सामग्री रखकर उनको अर्पित किया जाता है।
6. छठ पूजा में छठी मैया तथा भगवान भास्कर को ठेकुआ तथा कसार (चावल के आटे के लड्डू) का भोग लगाना चाहिए।
7. छठी मैया की पूजा का व्रत साफ-सफाई का है। पहले दिन घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई की जाती है। घाटों की भी सफाई की जाती है।
8. छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए गन्ने का प्रयोग अवश्य करें। इसमें पत्ते वाले गन्ने का उपयोग किया जाता है।
4. छठ पूजा का व्रत रखते हैं तो परिवार के सभी सदस्य को तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। इन चार दिनों में सात्विक भोजन ही करें।
5. छठ पूजा के व्रत में बांस के सूप का प्रयोग होता है। सूर्य देव की जब संध्या तथा प्रात:काल की पूजा होती है, तो उस समय सूप में ही पूजन सामग्री रखकर उनको अर्पित किया जाता है।
6. छठ पूजा में छठी मैया तथा भगवान भास्कर को ठेकुआ तथा कसार (चावल के आटे के लड्डू) का भोग लगाना चाहिए।
7. छठी मैया की पूजा का व्रत साफ-सफाई का है। पहले दिन घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई की जाती है। घाटों की भी सफाई की जाती है।
8. छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए गन्ने का प्रयोग अवश्य करें। इसमें पत्ते वाले गन्ने का उपयोग किया जाता है।
छठ पूजा की पूरी सामग्री-
महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ 18 नवंबर (बुधवार) से हो रहा है। कोरोना को देखते हुए लोगों को सतर्कता भी बरतने की जरूरत है। आप या आपके कोई सगे-संबंधी इस बार छठ पूजा का व्रत रखने वाले हैं, तो आपके लिए यह जानना आवश्यक है, कि छठ पूजा में क्या-क्या सामग्री लगती है।
छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियां-
1. व्रत रखने वाले के लिए नए वस्त्र जैसे साड़ी, सूट और पुरुषों के लिए कुर्ता-पजामा या जो उनको पसंद हो।
2. बांस का बना हुआ सूप। कुछ लोग पीतल सूप का भी प्रयोग करते हैं।
3. बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां। इसमें छठ पूजा का प्रसाद रखा जाता है।
4. दूध तथा जल रखने के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली खरीद लें।
5. पूजा में प्रयोग के लिए 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों।
6. हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा।
7. पानी वाला हरा नारियल।
8. शरीफा, केला, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू (डाभ)।
9. दीपक, चावल, सिंदूर और धूप।
10. पान और साबुत सुपारी।
11. शकरकंदी तथा सुथनी।
12. मिठाई।
13. शहद।
14. चंदन, अगरबत्ती या धूप, कुमकुम तथा कपूर।
15. गेहूं और चावल का आटा तथा गुड़।
प्रसाद : ठेकुआ, कसार
खरना वाले दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। छठ पूजा के लिए प्रसाद में ठेकुआ जरूर बनाया जाता है। यह गेहूं के आटे, गुड़ या चीनी मिलाकर तैयार किया जाता है। चावल के आटे से कसार भी बनाते है, जो चावल के आटे से बना लड्डू होता है।
सूर्य देव को अर्घ्य देने तथा छठ मैया की पूजा के लिए डाल सजाया जाता है। बांस के बड़े टोकरे में पूजा की सामग्री, प्रसाद आदि रखा जाता है। परिवार का पुरुष सदस्य उस डाल को सिर पर रखकर घाट तक पहुंचाता है। वहां छठ मैया की पूजा होती है। उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा संतान की कामना, उसके सुखी तथा सफल जीवन के लिए की जाती है। छठ पूजा में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
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आवश्यकता है-
"धर्म नगरी" का विस्तार हर जिले में हो रहा है. इसलिए शहरी (वार्ड, कालोनी तक) व ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की तुरंत आवश्यकता है. प्रमुख जिलों, तीर्थ नगरी एवं राज्य की राजधानी में पार्टनर एवं ब्यूरो चीफ नियुक्त करना है. योग्यता- राष्ट्रवादी विचारधारा एवं सक्रियता। वेतन- अनुभवानुसार एवं कमीशन योग्यतानुसार होगा। सम्पर्क- वाट्सएप- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com
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