महान फुटबॉल खिलाडी डिएगो मैराडोना नहीं रहे
अर्जेंटीना के पूर्व कप्तान मैराडोना का हृदय गति रुकने से निधन
- 60 वर्षीय मैराडोना ने अर्जेंटीना के लिए 91 मैचों में 34 गोल किए
डिएगो अरमांडो मैराडोना, फुटबॉल की दुनिया का एक ऐसा सितारा जिसे अपनी प्रतिभा, तकनीक, जुनून और अनूठी उपलब्ध्यिों के लिए जीते जी लेजेंड कहलाने का गौरव प्राप्त हुआ। 10 साल की उम्र से क्लब फुटबॉल खेलने वाले मैराडोना को 1982 में उन्हें पहला वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिला। वह पांच मैचों में दो गोल ही कर पाए।
वर्ष 1986 फुटबॉल के मैदान पर मैराडोना के नाम रहा। 1986 के विश्व कप में उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गई। क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना का सामना इंग्लैंड से था। दोनों टीमें गोल करने के लिए जोर लगा रहे थे, फिर माराडोना ने वो किया जो इतिहास के पन्नों में हैंड ऑफ गॉड के नाम से दर्ज हो गया। फाइनल में वेस्ट जर्मनी को हराकर उन्होंने अर्जेंटीना को विश्व विजेता बना दिया। उन्होंने पांच गोल किए और पांच में मदद की। उन्हें टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का गोल्डन बॉल अवॉर्ड भी मिला। सिर्फ उनके देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में ‘डिएगो-डिएगो' का नाम गूंज उठा।
मैराडोना दो दशक से लंबे अपने कैरियर में फुटबालप्रेमियों के नूरे नजर रहे। नशे की लत, बिगडते स्वास्थ्य और बढती उम्र के कारण खेल की रफतार में कमी आने के कारण 1997 में अपने जन्मदिन पर उन्होंने फुटबॉल से संन्यास ले लिया। फीफा ने उन्हें 2001 में ब्राजील के पेले के साथ खेल के इतिहास के दो महानतम खिलाड़ियों में शामिल किया था। उनकी लोकप्रियता ही है कि निधन के बाद मैराडोना भारत में सोशल मीडिया पर टेंड करने लगे। फुटबॉल का जादूगर भले ही हमसबको छोडकर भगवान की फुटबॉल टीम में शामिल हो गये हों लेकिन उनको अपना आदर्श मानने वाले लियनल मेसी ने कहा कि डियगो नाम अमर रहेगा।
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