चीन ने बेचा घटिया हथियार, लगाया अपने मित्र देशों नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान को चूना

विश्व में पांचवे सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश चीन ने तोड़ा अपने मित्र देशों का विश्वास 
पाकिस्तान की चीन निर्मित LY-80 LOMADS वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली #फोटो साभार  

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चीन की चालबाजी अब पूरी दुनिया अच्छी तरह से जान गई है। चीन ने व्यापार के नाम पर अपने ही मित्र देशों को नहीं छोड़ा, उनको भी ठग लिया। चीन ने अपने ही मित्र देशों के साथ कई बार खराब हथियार बेचकर विश्वासघात किया है। एक बार फिर उसकी दगाबाजी की पोल खुल गई है। अपने देश के खराब हो चुके और दोषपूर्ण हथियारों का निर्यात कर चीन फिर से विवादों के घेरे में है। चीन विश्व में पांचवां सबसे बड़ा हथियार निर्यात करने वाला देश है। उसने अपने मित्र देशों को जो हथियार सप्लाई किए हैं, उनमें से अधिकांश बेकार पाए गए। 
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विश्व स्तर पर अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी के बाद चीन हथियारों का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन इसके लिए चीन कई गरीब और मजबूर देशों को घटिया हथियार बेचकर मुनाफा कमा रहा है। चीन के ज्यादातर बेचे जाने वाले हथियार और रक्षा उपकरण खराब और पुरानी तकनीकि के हैं, जिसका खुलासा खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में हो चुका है। हाल ही में तैयार एक रिपोर्ट में यह बताया गया है, कि बीजिंग ने एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका में मित्र राष्ट्रों को दोषपूर्ण हथियार और रक्षा उपकरण किस प्रकार से थोप दिए हैं।

चीन की वर्ष 2015-19 में कुल वैश्विक हथियारों के निर्यात में 5.5 प्रतिशत भागीदारी रही। चीन अब खुद को रूस के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है।  वर्ष 2015-19 में, एशिया और ओशिनिया में चीनी हथियारों के निर्यात का 74 प्रतिशत, अफ्रीका में 16 प्रतिशत और मध्य पूर्व में 6.7 प्रतिशत था। इसके अलावा वर्ष 2010-14 से 2015-19 के बीच ही चीन जिन देशों को हथियार भेजता है, उनकी संख्या में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2010-14 के बीच जहां चीन 40 देशों में हथियार बेचता था, वहीं 2015-19 के बीच इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई।

पाकिस्तान, चीन से प्रमुख तौर पर हथियार खरीदता है। वर्ष 2015-19 के बीच चीन ने अपने निर्यात के 35 प्रतिशत हथियार अकेले पाकिस्तान को बेचे हैं।
 
बांग्लादेश-
चीन ने 2017 में बांग्लादेश को 1970 में मिंग श्रेणी की 035G पनडुब्बिया बेची थीं। इन पनडुब्बियों की कीमत लगभग 100 मिलियन डॉलर के आसपास थी। इन पनडुब्बियों को केवल युद्ध की ट्रेनिंग में इस्तेमाल किया जाता है। ये पनडुब्बियां सर्विसिंग करने लायक भी नहीं रह जाती थी। अप्रैल 2003 में चीन से खरीदी गई मिंग क्लास की पनडुब्बी एक हादसे का शिकार हो गई थी। इसी तरह बांग्लादेश ने चीन से दो युद्धपोत BNS उमर फारूक और BNS अबू उबैदाह खरीदे, जिनमें नैविगेशन रडार और गन सिस्टम में खराबी पाई गई है।

नेपाल-
बांग्लादेश द्वारा नामंजूर किए गए चीन के (Y12e और MA60) छह विमानों को नेपाल ने अपने नेशनल एयरलाइंस के लिए खरीदा था। लेकिन ये सभी विमान नेपाल पहुंचते ही बेकार हो गए थे। ये विमान नेपाल जैसे देश के लिए अनुकूल न होने के साथ ही इसके स्पेयर पार्ट्स भी उपलब्ध नहीं थे।

पाकिस्तान-
चीन का खास दोस्त पाकिस्तान भी दगाबाजी से बच न सका। पाकिस्तान को भी चीन ने दोस्ती की आड़ में खराब सैन्य सामानों की पूर्ति की है। पाकिस्तान के लिए चीन ने युद्ध F22P दिया था। कुछ समय बाद ही कई सारी तकनीकी प्रोब्लम्स के चलते वह खराब हो गया। सितबंर 2018 में चीन को पाकिस्तान ने इस युद्धपोत की पूरी सर्विसिंग का प्रस्ताव दिया था लेकिन चीन को इसमें किसी तरह का लाभ दिखाई ने देने पर अपनी आंखें मूंद ली थी।

केन्या-
ठीक इसी तरह केन्या ने जब सैनिकों के लिए बख्तरबंद गाड़ियां खरीदी तो टेस्ट में ही चीन के सेल्स रिप्रजेंटेटिव ने इन गाड़ियों में बैठने से इंकार कर दिया था। केन्या को उस समय गाड़ियों की आवश्यकता थी। बाद में खामियों से भरी इन बख्तरबंद गाड़ियों में केन्या के कई सारे सैनिकों को अपनी जान भी गवांनी पड़ी थी। 
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