दीपावली 2020 : धनतेरस से दिवाली और भाई दूज तक...

पांच पर्वों का त्यौहार है दीपावाली


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सनातन हिंदू धर्म में दीपावाली का त्यौहार पांच पर्वों का है, जिसका अति विशेष महत्व है। दीपावाली पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज को सम्पन्न होता है। इस वर्ष दीपावाली 14 नवंबर (शनिवार) को पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान श्रीराम लंकापति रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। भगवान राम की वापसी पर अयोध्या में घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया गया था। कहते हैं, तभी से इस आनंद में दीपावाली मनाई जाती है। हालांकि इस साल धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दीपावाली की तिथियों को लेकर लोगों के बीच भ्रम है। जानिए धनतेरस, छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) और दीपावाली की सही तिथि और शुभ मुहूर्त।

धनतेरस-
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस  का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा। त्रयोदशी 12 नवंबर की शाम से लग जाएगी एवं धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा। 

छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी)-
इस साल छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी 14 नवंबर को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी पर स्नान का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 5:22 से सुबह 6:43 बजे तक रहेगा। चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर (शनिवार) दोपहर एक बजकर 16 मिनट तक ही रहेगी। इसके बाद अमावस्या लगने से दिवाली भी इसी दिन मनाई जाएगी।

दीपावली (दिवाली)- 
सोमवार 15 नवंबर की सुबह 10 बजे तक ही अमावस्या तिथि रहेगी। अमावस्या तिथि में रात में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। ऐसे में दिवाली भी इस साल 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
 
भाईदूज- 
15 नवंबर 2020 को गोवर्धन-पूजा होगी और अंतिम दिन 16 नवंबर (सोमवार) को भाई दूज या चित्रगुप्त-जयंती मनाई जाएगी। इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि नहीं है, जिसके कारण तिथि घट रही हैं।

धनतेरस यम दीपदान-
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धनवन्तरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है।
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यम दीपदान विधि-
यमदीपदान विधिमें नित्य पूजाकी थालीमें घिसा हुआ चंदन, पुष्प, हलदी, कुमकुम, अक्षत अर्थात अखंड चावल इत्यादि पूजासामग्री होनी चाहिए। साथ ही आचमनके लिए ताम्रपात्र, पंच-पात्र, आचमनी ये वस्तुएं भी आवश्यक होती हैं। यमदीपदान करनेके लिए हलदी मिलाकर गुंथे हुए गेहूं के आटे से बने विशेष दीपका उपयोग करते हैं।
यमदीपदान प्रदोषकाल में करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लें और उसे स्वच्छ जल से धो लें। तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियाँ बना लें। उन्हें दीपक में एक-दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियोँ के चार मुँह दिखाई दें। अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें।

प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पुजन करें। उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी-सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है। दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए चार मुँह के दीपक को खील (लाजा) आदि की ढेरी के ऊपर रख दें। 

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।।

अर्थात् त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
उक्त मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें। 

धनतेरस पूजा मुहूर्त-
धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग 2 घण्टे 33 मिनट तक रहता है।
सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 33 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है. प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है

13 नवम्बर सूर्यास्त समय सायं स्थिर लग्न 6:05 से लेकर 8:05 तक वृषभ लग्न रहेगा. मुहुर्त समय में होने के कारण घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 
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चौघाडिया मुहूर्त-
अमृ्त काल मुहूर्त सायं 5:27 से 6:52 तक। 
चर सायं 4:36 से लेकर 6:01 तक। 
उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है. शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है।

सांयकाल में शुभ महूर्त-
प्रदोष काल का समय सायं 6:01 से रात्रि 8:33० तक रहेगा, स्थिर लग्न वृषभ काल 6:05 शाम से 8:05 तक रहेगा. 

धनतेरस पर खरीददारी के लिये शुभ मुहूर्त-
13 नवंबर शुक्रवार को खरीददारी का शुभ मुहूर्त प्रातः शुभ की चौघड़िया 
प्रातः ०९:३४ से १०:५८ तक  अमृत काल।
प्रातः ०६:४५ से ०८:०९ तक चर की चौघड़िया।
मध्यान्ह १२:२३ से ०१:५७ तक शुभ काल।
सायं ०५:४९ से ०६:१३ तक गोधूलि बेला। 
रात्रि में 6:05 से 8:05 तक वृषभ स्थिर लग्न खरीदारी के लिए अति शुभ मुहूर्त हैं।      
                       
राशि अनुसार धनतेरस पर क्या खरीदें-        
मेष- सोना तांबे पीतल के बर्तन भूमि मकान गणेश जी की मूर्ति तांबे का कलश खरीदना शुभ रहेगा।
वृष- चांदी सोना बर्तन हीरा इलेक्ट्रॉनिक से बना सामान गाड़ी फर्नीचर साज सज्जा का सामान शुभ रहेगा।    
मिथुन- सोना चांदी का सिक्का बर्तन हाथीदह से बना सामान झाड़ू कलम दवात लक्ष्मी पूजन का सामान खरीदना शुभ है। 
कर्क- चांदी कांसे का बर्तन वस्त्र दक्षिणावर्ती शंख मोती कुबेर की मूर्ति या कुबेर यंत्र खरीदना शुभ है।       
    
सिंह- सोना तांबे के बर्तन भूमि मकान तांबे का कलश गो श्री यंत्र माणिक रत्न लाभदायक होगा। 
कन्या- वाहन इलेक्ट्रॉनिक का सामान कांसे का बर्तन लक्ष्मी जी गणेश जी की मूर्ति साज सज्जा का सामान सौंदर्य वस्तु खरीदना शुभ रहेगा।
तुला- चांदी सोना हीरा वाहन कपड़े गो भूमि पूजन का सामान दीपक चांदी का सिक्का चांदी के गणेश लक्ष्मी की मूर्ति खरीदना शुभ रहेगा। 
वृश्चिक- सोना तांबे के बर्तन श्री यंत्र भूमि मकान मिट्टी के दीपक मिट्टी का गमला गौ माता के लिए पूजन का सामान झाड़ू खरीदना शुभ रहेगा। 

धनु- पीतल तांबे का सामान, सोना धार्मिक ग्रंथ कुबेर यंत्र पुखराज रत्न वस्त्र कलम दवात बही खाते लक्ष्मीजी का चित्र खरीदना शुभ रहेगा।   
मकर- इलेक्ट्रॉनिक आइटम वाहन वस्त्र स्टील के बर्तन लोहे का सामान चांदी का सिक्का कांसे का बर्तन खरीदना शुभ रहेगा।    
कुंभ-  लोहे से बना, स्टील से बना सामान, कपड़े वाहन इलेक्ट्रॉनिक सामान साज-सज्जा का सामान, सौंदर्य सामान खरीदना शुभ रहेगा।     
मीन- सोना चांदी तांबे के बर्तन, पीतल का सामान धार्मिक-ग्रंथ लक्ष्मी पूजन का सामान देवी-देवताओं की मूर्ति लक्ष्मीजी की मूर्ति, पीतल का कलश खरीदना लाभदायक रहेगा।
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कुछ अन्य उपाय टोटके-
धन तेरस पर धन प्राप्ति के अनेक उपाय बताए जाते हैं लेकिन सभी उपायों से बढ़कर है धन और आरोग्य के देवता धन्वं‍तरि का पावन स्तोत्र...
 
धन्वं‍तरि स्तो‍त्र-
ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय 
सर्व भयविनाशाय 
सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय 
त्रिलोकनाथाय 
श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वं‍तरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ 
इस स्तो‍त्र कम से कम तीन बार पढ़ें।

पूर्ण भाव से भगवान धन्वंतरि जी का पूजन करें।
घर में नई झाडू और सूपड़ा खरीदकर लाए और विधि से पूजन करें।
सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर अपने मकान, दुकान आदि को सुन्दर सजाये।
माँ लक्ष्मी को गुलाब के पुष्पों की माला पहनाये और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाये।
अपनी सामर्थ्य अनुसार तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।
धनतेरस के दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखने से परिवार की धन-संपदा में वृ्द्धि होती है।
कुबेर देवता का पूजन करें। शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गड़ी बिछाएं।

सायंकाल पश्चात १३  दीपक जलाकर  तिजोरी में भगवान कुबेर धन के देवता  का पूजन करें।

मृत्यु के देवता यमराज  के निमित्त दीपदान करें।

तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें। पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-

‘मृत्युना दंडपाशाभ्याम्‌ 
कालेन श्यामया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्‌ 
सूर्यजः प्रयतां मम।

अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नता के लिए सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें।
- परमानंद पांडेय, अध्यक्ष-अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी सेवा न्यास
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आवश्यकता है-
"धर्म नगरी" का विस्तार हर जिले में हो रहा है. इसलिए शहरी (वार्ड, कालोनी तक) व ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की तुरंत आवश्यकता है. प्रमुख जिलों, तीर्थ नगरी एवं राज्य की राजधानी में पार्टनर एवं ब्यूरो चीफ नियुक्त करना है. योग्यता- राष्ट्रवादी विचारधारा एवं सक्रियता। वेतन- अनुभवानुसार एवं कमीशन योग्यतानुसार होगा। सम्पर्क- वाट्सएप- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com


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