गोपाष्टमी को करें पूजन, होगी सारी मनोकामना पूरी
दीपावली के आठ दिन पश्चात देवतुल्य गौ-वंश की भगवान श्रीकृष्ण के समय से हो रही है पूजा
(धर्म नगरी / DN News वाट्सएप- 6261868110)
दीपावली के आठ दिन पश्चात कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व रविवार 22 नवंबर को मनाया जाएगा। वैसे तो गौ-वंश सदैव से पूजनीय रही है और रहेगी, परन्तु गोपाष्टमी पूजन का विशेष महत्व रहता है। गोपाष्टमी गौ-वंशों की पूजा का पर्व है।
गौ-वंश भारतीय संस्कृति की जीवन प्राण हैं, संसार का सबसे पवित्र प्राणी (पशु) है, जिसे देवतुल्य माना जाता है। गाय के सभी अंगों में, रोम-रोम में देवी-देवताओं का निवास माना जाता है। गाय के गोवर और गौमूत्र से लिपी भूमि,देव पूजा व यज्ञ के लिए सर्वोत्तम मानी गयी है।भगवान श्रीकृष्ण का "गोविंद" नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने गोपालन-गोसंरक्षण-संवर्दन व गो सेवा के प्रति सभी लोगों को प्रेरित किया था।
गोपाष्टमी पूजा विधि- गोपाष्टमी के दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल अष्टमी को प्रातःकाल उठकर गौ माता को साफ पानी से स्नान करवाएं। इसके बाद रोली और चंदन से गौ-माता का तिलक कर उन्हें प्रणाम करें। इसके बाद उनको पुष्प, अक्षत्, धूप अर्पित करें। इसके बाद ग्वालों को दान-दक्षिणा देकर उनका आदर-सम्मान और पूजन करें। अब पूजा के लिए प्रसाद को गौ-माता को अर्पित करें, उनकी परिक्रमा करें और उन्हें कुछ दूर तक साथ लेकर टहलाने जाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के काल से पूजन-
गोपाष्टमी द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के समय से मनाई जाती है। इंद्र के प्रकोप से गोप-गोपियों और गायों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से अष्टमी तक गोवर्धन पर्वत को धारण किये रहे। अंत मे इंद्र ने अपने अहंकार को त्यागकर भगवान श्रीकृष्ण से छमा याचना की और कामधेनु नाम गाय ने भगवान श्रीकृष्ण का अपने दूध से अभिषेक किया।श्रीकृष्ण ने भी उस दिन कामधेनु गाय की स्तुति की और गायों की रक्षा एवं पालन करने की प्रतिज्ञा की।सभी ग्राम वासियों ने भगवान श्रीकृष्ण की और सभी गायों की पूजा की इस उपलक्ष्य में ब्रज में उत्सव मनाया गया जो बाद में गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा।इस दिन गाय, गोवत्स(बछड़ों) तथा गोपालों के पूजने का विधान है।
सभी मनोकामनाएं होती पूरी-
शास्त्रानुसार, जो व्यक्ति इस दिन गायों को ग्रास खिलाता है, उनकी सेवा करें तथा सांयकाल मे गायों का पंचोपचार से पूजन करता है, तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आधुनिक युग में यदि गोपाष्टमी पर गौशाला के लिए दान करें और गायों की रक्षा के लिए प्रयत्न करें, तो गोपाष्टमी का कृत्य पूर्ण होता है, उसका पुण्य प्राप्त होता है।
कैसे करें गायों की पूजा-
इस दिन गायों को स्नान कराकर पैरों में मेहंदी आदि लगाकर श्रृंगार करें।गायों के सींगों में मुकुट आदि धारण कराएं, गायों की परिक्रमा कर उनके पैरों की मिट्टी को अपने सिर पर लगाएं। इस दिन गौशाला में विशेष आयोजन होते हैं।
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