#तुलसी_विवाह : देवोत्थान एकादशी (25 नवंबर) को अखण्ड सौभाग्य देने वाला दिन
जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।
तुलसी जी का महत्व-
जिस घर में तुलसी का पौधा सम्मान के साथ पूजित होकर स्थिर रहता है। उस घर की स्त्रियां कभी आसाध्य रोग से पीड़ित नहीं होतीं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा-
कालान्तर में तुलसी देवी, भगवान गणेश के शापवश असुर शंखचूड़ की पत्नी बनी। असुर शंखचूड़ के आतंक के कारण भगवान श्री हरि ने वैष्णवी माया फैला कर शंखचूड़ का वध कर दिया, तत्पश्चात् भगवान श्री हरि शंखचूड़ का रूप धारण कर साध्वी तुलसी के घर पहुंचे वहां उन्होनेे शंखचूड़ समान प्रदर्शन किया, तुलसी ने पति को युद्ध में आया देख उत्सव मनाया, तब श्री हरि ने शंखचूड़ के वेश में शमन किया, उस समय तुलसी जी के साथ उन्होंने सुचारू रूप से हास-विलास किया तथापि तुलसी को इस बार पहले की अपेक्षा आकर्षण में व्यतिक्रम का अनुभव हुआ, अत: उसे वास्तविकता का अनुमान हो गया, तब तुलसी ने कहा क्योंकि आपने मेरा सतीत्व नष्ट कर दिया, इसलिए मैं आपको श्राप दे रही हूँ, तुलसी के वचन सुनकर श्राप के भय से भगवान श्री हरि ने लीलापूर्वक अपना सुन्दर मनोहर स्वरूप प्रकट किया। उन्हें देखकर पति के निधन का अनुमान करके तुलसी ने श्रीहरि को पाषाण रूप होकर पृथ्वी पर रहने का श्राप दिया, तब भगवान श्री हरि ने कहा कि तुम मेरे लिए भारतवर्ष में रहकर बहुत दिनों तक तपस्या कर चुकी हो, अब तुम दिव्य देह धारण कर मेरे साथ सानन्द रहो, मैं तुम्हारे श्राप को सत्य करने के लिए भारतवर्ष में पोषाण (शालिग्राम) बनकर रहूँगा और तुम एक पूजनीय पौधे के रूप में पृथ्वी पर रहोगी। गण्डकी नदी के तट पर मेरा वास होगा, बिना तुम्हारे मेरी पूजा नहीं हो सकेगी। तुम्हारे पत्रों और मंजरियों से मेरी पूजा होगी। इस प्रकार शालिग्राम जी का पृथ्वी पर उद्भव हुआ। अत: तुलसी शालिग्राम जी का विवाह पौराणिक आख्यानों पर आधारित है।
तुलसीदल के बारे-
1. तुलसी पत्र बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए। इससे पूजन कार्य निष्फल हो जाता है।
2. वायु पुराण के अनुसार पूर्णिमा, अमवस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्याकाल के बीच तथा रात्रि में तुलसी नहीं तोडऩा चाहिए, तेल मालिश किए हुए भी तुलसी ग्रहण न करें।
3. जन्म या मृत्यु के अशौच में, अपिवत्र समय में तुलसी पत्र ग्रहण नहीं करना चाहिए, क्योंकि तुलसी श्रीहरि के स्वरूप वाली ही हैं।
4. धर्म पुराण के अनुसार तुलसी पत्र को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भी नहीं तोड़ना चाहिए।
5. तुलसीदल कभी दांतों से नहीं चबाना चाहिए।
6. गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र चढ़ाना वर्जित है।
#तुलसी_विवाह_एवं_देव_उठनी_ #तुलसीविवाह #तुलसी_विवाह
Jai #TulsiMata -@MKsharma24
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः।।
देवोत्थान एकादशी के दिन सनातन हिन्दू धर्मावलम्बी तुलसीजी विवाह भी मनाते हैं। यह विशुद्ध मांगलिक कार्य, पूजन एवं आध्यात्मिक प्रसंग है। देवता जब जागते है तेा सबसे प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं, इसलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहुर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। तुलसी विवाह के लिए कार्तिक, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि ठीक है परन्तु कुछ लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन कर पांचवे दिन तुलसीन है, यह विवाह अखण्ड सौभाग्य देने वाला होता है। यह विवाह कार्तिक शुक्ल एकादशी को आयोजित किया जाता है।
तुलसी पूजन महत्व-
तुलसी पूजन महत्व-
तुलसी जी एक पूज्य वृक्ष है, इसका एक-एक पत्र वैष्णवों के लिए द्वादशाक्षर मंत्र ऊँ नमो: भगवते वासुदेवाय की भांति प्रभाव करने वाला होता है, वृहद धर्म पुराण के अनुसार हिन्दुओं के धार्मिक कार्य तथा संस्कार बिना तुलसी के अधूरे रहते हैं। कार्तिक मास में तुलसी पूजन महत्वपूर्ण है, भगवान विष्णु ने परमसती तुलसी की महत्ता स्वीकार की थी, तुलसी विवाह सामूहिक रूप से होता है, ऐसे माता पिता जिनके पुत्र अथवा पुत्री के विवाह में विलम्ब हो रहा है उनको श्रद्धापूर्वक तुलसी विवाह सम्पन्न कराना चाहिए, इसका फल तत्काल मिलता है। विशेष रूप से कार्तिक मास में तुलसी विवाह का आयोजन कन्या दान के रूप में करते हैं।
तुलसीजी का आवाहन-
"आगच्छ त्वं महादेवि! स्थाने चात्र स्थिरा भव।
"आगच्छ त्वं महादेवि! स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करि यामि तावत त्वं संनिधौ भव।।"
तुलसी देवी मावाहा यामि। आवाहनार्य पुष्पा लिं समर्पयामि।
अर्थात, भगवती तुलसी आप पधारें, पूजा हेतु स्थिर हों।
तुलसी देवी मावाहा यामि। आवाहनार्य पुष्पा लिं समर्पयामि।
अर्थात, भगवती तुलसी आप पधारें, पूजा हेतु स्थिर हों।
जिस घर में तुलसी का पौधा सम्मान के साथ पूजित होकर स्थिर रहता है। उस घर की स्त्रियां कभी आसाध्य रोग से पीड़ित नहीं होतीं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा-
कालान्तर में तुलसी देवी, भगवान गणेश के शापवश असुर शंखचूड़ की पत्नी बनी। असुर शंखचूड़ के आतंक के कारण भगवान श्री हरि ने वैष्णवी माया फैला कर शंखचूड़ का वध कर दिया, तत्पश्चात् भगवान श्री हरि शंखचूड़ का रूप धारण कर साध्वी तुलसी के घर पहुंचे वहां उन्होनेे शंखचूड़ समान प्रदर्शन किया, तुलसी ने पति को युद्ध में आया देख उत्सव मनाया, तब श्री हरि ने शंखचूड़ के वेश में शमन किया, उस समय तुलसी जी के साथ उन्होंने सुचारू रूप से हास-विलास किया तथापि तुलसी को इस बार पहले की अपेक्षा आकर्षण में व्यतिक्रम का अनुभव हुआ, अत: उसे वास्तविकता का अनुमान हो गया, तब तुलसी ने कहा क्योंकि आपने मेरा सतीत्व नष्ट कर दिया, इसलिए मैं आपको श्राप दे रही हूँ, तुलसी के वचन सुनकर श्राप के भय से भगवान श्री हरि ने लीलापूर्वक अपना सुन्दर मनोहर स्वरूप प्रकट किया। उन्हें देखकर पति के निधन का अनुमान करके तुलसी ने श्रीहरि को पाषाण रूप होकर पृथ्वी पर रहने का श्राप दिया, तब भगवान श्री हरि ने कहा कि तुम मेरे लिए भारतवर्ष में रहकर बहुत दिनों तक तपस्या कर चुकी हो, अब तुम दिव्य देह धारण कर मेरे साथ सानन्द रहो, मैं तुम्हारे श्राप को सत्य करने के लिए भारतवर्ष में पोषाण (शालिग्राम) बनकर रहूँगा और तुम एक पूजनीय पौधे के रूप में पृथ्वी पर रहोगी। गण्डकी नदी के तट पर मेरा वास होगा, बिना तुम्हारे मेरी पूजा नहीं हो सकेगी। तुम्हारे पत्रों और मंजरियों से मेरी पूजा होगी। इस प्रकार शालिग्राम जी का पृथ्वी पर उद्भव हुआ। अत: तुलसी शालिग्राम जी का विवाह पौराणिक आख्यानों पर आधारित है।
तुलसीदल के बारे-
1. तुलसी पत्र बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए। इससे पूजन कार्य निष्फल हो जाता है।
2. वायु पुराण के अनुसार पूर्णिमा, अमवस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्याकाल के बीच तथा रात्रि में तुलसी नहीं तोडऩा चाहिए, तेल मालिश किए हुए भी तुलसी ग्रहण न करें।
3. जन्म या मृत्यु के अशौच में, अपिवत्र समय में तुलसी पत्र ग्रहण नहीं करना चाहिए, क्योंकि तुलसी श्रीहरि के स्वरूप वाली ही हैं।
4. धर्म पुराण के अनुसार तुलसी पत्र को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भी नहीं तोड़ना चाहिए।
5. तुलसीदल कभी दांतों से नहीं चबाना चाहिए।
6. गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र चढ़ाना वर्जित है।
सोशल_मीडिया से-
#तुलसी_विवाह
On the occasion of Dev Uthani Ekadashi, I pray that the blessings of Lord Vishnu are always there to show us the right path to walk on. -@Amit__Singh_
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May the sacred day of Dev Uthani Ekadashi & Tulsi Vivah shower you with good health, wealth, peace, prosperity and profound happiness. -@DivyaKShandilya
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#tulsivivah At My Home -@NkMalviya10
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Wish You All A Very Happy #tulsivivah#तुलसी_विवाह_एवं_देव_उठनी_ #तुलसीविवाह #तुलसी_विवाह
Jai #TulsiMata -@MKsharma24
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