कृषि कानूनों को रद्द करने तैयार नहीं सरकार

किसानों को आज लिखित प्रस्ताव देगी सरकार 

- "भारत बंद" का विशेष प्रभाव नहीं दिखा, सामान्‍य रहा जनजीवन 
- "भारत बंद" 
लोकतंत्र में पराजित विपक्षी दलों का पाखंड है : जावड़ेकर 


(धर्म नगरी / DN News
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देशभर में बुधवार (8 दिसंबर) को "भारत बंद" का विशेष प्रभाव नहीं दिखा। जनजीवन सामान्‍य रहा। किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के विरोध में सुबह 11 बजे से दोपहर बाद तीन बजे तक राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया था। 

- उत्‍तर प्रदेश में बंद का कोई विशेष प्रभाव नहीं दिखा, हालांकि पुलिस ने कानून और व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए कुछ स्‍थानों पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया। 
- बिहार में भी बंद का आमजीवन पर कोई असर नहीं रहा। रेल, सड़क और हवाई यातायात सामान्य रहा। कार्यालय, दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान खुले। सावधानी के तौर पर पटना विश्वविद्यालय सहित कई विश्वविद्यालयों में होने वाली परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। 
- गुजरात में कुछ एक क्षेत्रों को छोड़कर भारत बंद विफल रहा है। 
- मध्यप्रदेश में भी बंद का कोई प्रभाव नहीं दिखा। 
- तेलंगाना में श्रमिक संगठनों ने हैदराबाद में कई स्थानों पर प्रदर्शन किए। बैंक कर्मचारी संघों ने अपने को बंद से अलग रखा। सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भी कामकाज आम दिनों की तरह रहा। 
- पुद्दुचेरी में भी आमजीवन पर बंद का कोई विशेष प्रभाव नहीं था। 
- जम्मू में कोई असर नहीं देखा गया। बाजार खुले रहे और सड़कों पर यातायात भी सामान्य रहा। सभी केंद्रीय और केंद्र शासित प्रदेश के कार्यालयों, बैंकों और डाकघरों में कामकाज सामान्य रूप से चला। पेट्रोल पंप भी खुले रहे। प्रशासन ने किसी भी प्रकार की अवांछित गतिविधि को रोकने के लिए पर्याप्त प्रबंध किए थे।
- उत्तराखंड में विपक्षी दलों द्वारा समर्थित भारत बंद का कोई प्रभाव नहीं दिखा। राज्य के सभी कार्यालय, बैंक और वाणिज्यिक गतिविधियां सामान्य रूप से चलीं। सड़कों पर भी यातायात सामान्य रहा। हरिद्वार, देहरादून और कुछ अन्य स्थानों से किसानों और विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन के समाचार मिले।
 
महाराष्ट्र में मिला-जुला प्रभाव- 
- महाराष्ट्र में किसानों द्वारा भारत बंद के आह्वान का मिला-जुला प्रभाव देखा गया। राज्य के कुछ हिस्सों में बंद समर्थकों ने प्रदर्शन किए। महाराष्ट्र में भारत बंद बहुत प्रभावी नहीं रहा। राज्य के कई जिलों में विरोध प्रदर्शनियों के आलावा, नागरिको द्वारा कोई विशेष प्रतिसाद नहीं देखा गया। पहले से ही तालाबंदी से बेहाल, मुंबई, नागपुर, पुणे और औरंगाबाद जैसे प्रमुख शहर, आज के बंद में शामिल नहीं हुए जबकि अहमदनगर, यवतमाल, नांदेड़, पालघर और लातूर जैसे कुछ जिलों में दुकानें बंद रखी गई। 

किसानों के साथ साहनुभूति दिखाते हुए, राज्य के अधिकांश हिस्सों के कृषि उत्पाद बाज़ार समिति अर्थात एपीएमसी बाजार बंद रहे। हालांकि, दूध के वितरण एवं आवश्यक सेवाएं सामान्य रूप से काम करती रहीं। मुंबई में बस, टैक्सी और ट्रेनें भी सामान्य रूप से चल रही थीं, जबकि सभी दुकानें, होटल्स और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान भी खुले रहे। बैंकों और शेयर बाज़ार के संचालन में भी कोई रुकावट नहीं देखी गई, जबकि टेलीविजन और फिल्मो की शूटिंग में न कोई बाधा आई और न ही हवाई सेवाओं पर कोई असर पड़ा।

शरद पवार ने APMC कानून UPA के कृषि मंत्री के तहत तैयार किया था मॉडल कानून 

विपक्षी दलों का पाखंड है, वो लोकतंत्र में पराजित हुए हैं और पराजित होने के बाद कहीं भी अवसर मिलता है, तो उनको लगता है कि यही हमारा मौका है, तो उसका लाभ उठाएं। इसके सिवा कुछ भी नहीं है। अरे खुद शरद पवार ने एपीएमसी कानून यूपीए के कृषि मंत्री के तहत मॉडल कानून तैयार किया और सभी राज्‍यों को दिया। सभी राज्‍यों में से दस राज्‍यों ने उसको स्‍वीकार भी किया। तब अच्‍छा था एमपीएमसी का मॉडल कानून और आज अगर हम करते हैं तो बुरा है। ऐसा कैसे होगा। 

ये बात सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बंद का समर्थन करने के लिए विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना करते हुए कही। उन्होंने विपक्षी दल इन कानूनों को लेकर किसानों के बीच भ्रम फैलाने एवं मुद्दे पर राजनीति करने का स्पष्ट आरोप लगाया।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि ये कानून किसानों के हित में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, डीएमके और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर पाखंड कर रहे हैं क्योंकि जब वे सत्ता में थे तो उन्होंने अनुबंध पर खेती का कानून बनाया था।

"कान्‍ट्रेक्‍ट फार्मिंग का जहां तक मुद्दा है, अभी बीस राज्‍यों ने ऑलरेडी कानून किया ही है, तो राज्‍यों ने कानून किया वो करेक्‍ट है। वो रद्द करने की मांग क्‍यों नहीं करते फिर। अगर केन्‍द्र का कानून रद्द करना है तो राज्‍यों के भी रद्द करने पड़ेंगे, तो राज्‍यों के कानून चल रहे हैं और केन्‍द्र का केवल रद्द करोगे ऐसा तो नहीं होता न। और ये तो अमरिन्‍दर सिंह ने पेप्‍सीकोला के साथ कान्‍ट्रेक्‍ट फार्मिंग का उद्घाटन किया तो तब यह व्‍यवस्‍था जब कानून भी नहीं था अब तो किसान के हित में कानून भी बना है उसको संरक्षण देने वाला।"

श्री जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी कृषि से संबंधित कानून लाने का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि किसानों ने लागत के अलावा लाभकारी मूल्य दिए जाने की मांग की थी और सरकार उन्हें लागत से 50 प्रतिशत अधिक कीमत दे रही है।

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