#Kharmas : खरमास आज से : धार्मिक महत्व, क्या करें, क्या न करें, करें उपाय...
खरमास से जुड़ी मान्यताएं, राशियों पर प्रभाव
खरमास में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए
धीमी हो जाती है सूर्य की गति-
खरमास का माह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव की गति खरमास के दौरान धीमी पड़ने लगती है। खरमास को सौर मास भी कहा जाता है। इस एक माह में शुभ कार्य रुक या बंद हो जाते हैं।
कब तक है खरमास ?
पंचांग के अनुसार जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए वृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो अगले एक माह तक खरमास लगता है। इन 30 दिनों की अविधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए खरमास के दौरान विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं इसके साथ ही इस दौरान भवन निर्माण, नया बिजनेस, नई चीजों की खरीदारी नहीं की जाती है।
खरमास का धार्मिक महत्व-
खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है. इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. खरमास के दौरान पवित्र नदी में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. इस मास में पड़ने वाली एकादशी पर व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
कौन-कौन से कार्य होते हैं वर्जित ?
सूर्य हर माह में राशि परिवर्तन करते हैं। इसी क्रम में दिसंबर के मध्य में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में आते हैं, तो खरमास लग जाते हैं। इस बार सूर्य धनु राशि में 15 दिसंबर को प्रवेश कर रहे हैं।
मंगलवार (15 दिसंबर) को सूर्य वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि परिवर्तन को धनु संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद सूर्य मकर राशि में आते हैं, जिसे मकर संक्रांति (14/15 जनवरी) कहते हैं।
धीमी हो जाती है सूर्य की गति-
खरमास का माह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव की गति खरमास के दौरान धीमी पड़ने लगती है। खरमास को सौर मास भी कहा जाता है। इस एक माह में शुभ कार्य रुक या बंद हो जाते हैं।
सूर्य के राशि परिवर्तन का राशियों पर प्रभाव-
जिन लोगों को क्रोध आता हो या रक्तचाप बढ़ा रहता हो, उनके लिए अच्छा नहीं होगा। जिन लोगों को हड्डियों की समस्या है, उन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए। जिनकी राशि वृष, कर्क, कन्या, तुला या मकर है, उन्हें समस्याएं परेशान कर सकती हैं। जो लोग प्रशासन के क्षेत्र में या आध्यात्म के क्षेत्र में हैं, उन्हें लाभ होगा. जो लोग सूर्योदय के पूर्व उठते हैं, वे तमाम मुश्किलों से बचे रहेंगे. मेष, सिंह, धनु और कुंभ राशि के लिए यह परिवर्तन लाभकारी होगा।
जिन लोगों को क्रोध आता हो या रक्तचाप बढ़ा रहता हो, उनके लिए अच्छा नहीं होगा। जिन लोगों को हड्डियों की समस्या है, उन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए। जिनकी राशि वृष, कर्क, कन्या, तुला या मकर है, उन्हें समस्याएं परेशान कर सकती हैं। जो लोग प्रशासन के क्षेत्र में या आध्यात्म के क्षेत्र में हैं, उन्हें लाभ होगा. जो लोग सूर्योदय के पूर्व उठते हैं, वे तमाम मुश्किलों से बचे रहेंगे. मेष, सिंह, धनु और कुंभ राशि के लिए यह परिवर्तन लाभकारी होगा।
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पंचांग के अनुसार जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए वृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो अगले एक माह तक खरमास लगता है। इन 30 दिनों की अविधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए खरमास के दौरान विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं इसके साथ ही इस दौरान भवन निर्माण, नया बिजनेस, नई चीजों की खरीदारी नहीं की जाती है।
खरमास का धार्मिक महत्व-
खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है. इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. खरमास के दौरान पवित्र नदी में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. इस मास में पड़ने वाली एकादशी पर व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
खरमास में ये करें-
खरमास में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए। पीपल पूजन करना चाहिए। जिनको किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन कराकर उपहार देना चाहिए। कुछ ज्योतिर्विदों के अनुसार, प्रेम-विवाह या स्वयंवर का मामला हो तो विवाह किया जा सकता है। ऐसे कार्य नियमित रूप से हो रहे हों, उनको करने में भी खरमास का कोई बंधन या दबाव नहीं है। सीमान्त, जातकर्म और अन्नप्राशन आदि कर्म पूर्व निश्चित होने से खरमास में किए जा सकते हैं। गया में श्राद्ध भी इस अवधि में किया जा सकता है।
खरमास में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए। पीपल पूजन करना चाहिए। जिनको किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन कराकर उपहार देना चाहिए। कुछ ज्योतिर्विदों के अनुसार, प्रेम-विवाह या स्वयंवर का मामला हो तो विवाह किया जा सकता है। ऐसे कार्य नियमित रूप से हो रहे हों, उनको करने में भी खरमास का कोई बंधन या दबाव नहीं है। सीमान्त, जातकर्म और अन्नप्राशन आदि कर्म पूर्व निश्चित होने से खरमास में किए जा सकते हैं। गया में श्राद्ध भी इस अवधि में किया जा सकता है।
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कौन-कौन से कार्य होते हैं वर्जित ?
खरमास में विवाह करना शुभ परिणाम नहीं देता, इसलिए विवाह करना वर्जित माना जाता है। खरमास में हर प्रकार की व्यसनों से बचना चाहिए। अपने मन को शांत रखना चाहिए। मन में अच्छे विचार रखते हुए संयम और धैर्य के साथ मास को पूर्ण करना चाहिए। वास्तव में अभावग्रस्त लोगों की सहायता करनी चाहिए। खरमास के समय गृह निर्माण भी वर्जित होता है, क्योकि इस काल में निर्मित मकान सुख नहीं देते। इसी प्रकार नया व्यवसाय आरम्भ करना, ऐसे कार्यों को जिसे लंबे समय तक चलाना है, उनको भी इस समय रोक देना चाहिए।
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