#Social_Media : Gandhi Vs Godse : क्या वो दिन आएगा... जब गांधी की जगह गोडसे की मूर्तियां लगेंगी ! क्योकि...


गोडसे सही साबित हो रहे, जिहादी बार-बार गांधी को गलत साबित कर रहे  !


"मैंने गांधी को क्यों मारा" : 
नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान

- जब ओवैसी ने बिहार के सीमांचल में 5 सीटें जीत लीं तो जिहादियों ने गांधी को गलत साबित कर दिया

- 1947 के पहले बलूचिस्तान से बंगाल तक 9 से 10 करोड़ मुसलमान थे । अलग देश के लिए जिहादियों ने हिंदुओं की नोआखाली... कलकत्ता... पंजाब.... वगैरह में हत्याएं शुरू कीं तो गांधी ने लड़ने की बजाय हारकर बंटवारा स्वीकार कर लिया

- तब कांग्रेस में मौजूद सरदार पटेल लॉबी ने बिलकुल साफ कहा । अंबेडकर ने भी कहा कि सुनियोजित बंटवारा करो और सारे जिहादियों को बाहर निकालो... पाकिस्तान बनाया है तो वहीं भेज दो ताकी सांप्रदायिकता की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए लेकिन गांधी नहीं माना और यहां भी जिहादियों को रखने के लिए अनशन किया

- अब टूटे फूटे भारत में 9 करोड नहीं 25 करोड़ जिहादी हैं और वो (अधिकांशत:) पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं या फिर उसका समर्थन करते हैं या मुखर होकर विरोध नहीं करते हैं ।

- यानी बिलकुल साफ है कि जिहादियों ने बार-बार गांधी के पूरे अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता के सिद्धांतों को खारिज कर दिया है

- अब ओवैसी कहता है, कि हम तुमको 15 मिनट में खत्म कर देंगे... और कश्मीर से किसी मौलाना की आवाज उठती है कि अब देश में इतने जिहादी हो गए हैं कि फिर से बंटवारा कर सकते हैं तो बार-बार गोडसे सही साबित होते हैं और गांधी गलत साबित होता है

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- जिहादियों ने उस वक्त भी गांधी को गलत साबित कर दिया, जब दिल्ली में छत से सुरक्षाबलों पर तेजाब की बाल्टियां उड़ेल दी गईं थीं ।

- जिहादियों ने उस वक्त भी गांधी को गलत साबित कर दिया जब शाहीनबाग में जिन्ना के समर्थन में नारे लगे । शरजील इमाम जैसा अलगाववादी विचारक भी गांधी को गलत साबित करता है ।

- अभी जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ईशनिंदा करने वाले की हत्या करने के नारे लगे... तब भी मुसलमानों ने गांधी को गलत साबित कर दिया था

- अभी जब वल्लभगढ़ में निकिता तोमर की सरेआम हत्या कर दी गई... तो भी गांधी ही गलत साबित हुआ

- गांधी बार बार गलत साबित होता है इसीलिए कहता हूं कि लोगों के दिलों से गांधी की प्रतिमा उखड़ चुकी है अब देखना ये है कि गली मोहल्लों चौराहों में और कितने दिन ये मूर्तियां खड़ी रहती हैं ?

- इतिहास गोडसे का पुनर्मूल्यांकन करेगा

#साभार #Social_Media से 

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भारत देश की आजादी के महानायक महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाथूराम गोड़से ने गांधी के करीब से उन्हें तीन गोली मारीं थी। जिस वहज से गांधी का निधन हो गया था। महात्मा गांधी की हत्या के जुर्म में नाथूराम गोड़से को 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में फांसी दी गई थी। नाथूराम गोडसे हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक था। नाथूराम गोडसे ने अदालत में महात्मा गांधी की हत्या की वजह भी बताई थी। आइए जानते हैं कि नाथूराम गोडसे कौन था और क्यों कि थी गांधी जी की हत्या ?

गोडसे ने क्यों की थी गांधी जी की हत्या ? 
देश की आजादी के बाद नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की तीन गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। देश की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान था। लेकिन लोगों के मन में आज भी यह सवाल उत्पन्न होता है कि आखिर महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने क्यों मारा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी की हत्या में अकेले शामिल नहीं थे। उनके अलावा इसमें पांच लोग और शामिल थे। गांधी जी की हत्या के सिलसिले में दिल्ली के लाल किले में चले मुकदमे में जज आत्मचरण की कोर्ट ने नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सज़ा सुनाई थी। 

इसके अलावा वाकि के लोगों को पांच लोगों मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, विष्णु करकरे, गोपाल गोडसे और दत्तारिह परचुरे को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने शंकर किस्तैया और दत्तारिह परचुरे को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था। बताया जाता है कोर्ट में चल रहे ट्रायल के दौरान नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की बात को स्वीकार किया था। नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए गांधी जी की हत्या की वजह भी बताई। नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में कहा था कि गांधी जी पर गोली चलाने से पहले मैं उनके सम्मान में इसीलिए नतमस्तक हुआ था कि उन्होंने देश की सेवा की थी। इसी वहज से मैं उसका आदर करता था।

लेकिन लोगों को धोखा देकर पूज्य मातृभूमि के बंटवारे का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को भी नहीं है। गांधी जी ने देश को छल करके उसके कर दिए। ऐसा कोई न्यायालय या कानून नहीं था, जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दंड दिया जा सकता, इसीलिए मैंने गांधी जी को गोली मारी थी।


नाथूराम गोडसे कौन थे ?  
नाथुराम विनायक गोडसे / नाथुराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को महाराष्ट्र राज्य में पुणे के निकट बारामती नमक स्थान पर चित्तपावन मराठी परिवार में हुआ था।नाथुराम गोडसे के पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे था और वे पोस्ट आफिस में काम करते थे और माता लक्ष्मी गोडसे एक गृहणी थीं। नाथुराम गोडसे एक कट्टर हिन्दू राष्ट्रवादी समर्थक थे, जिसने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। नाथुराम गोडसे हाई स्कूल (दसवीं) की पढ़ाई बीच में छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे। बताया जाता है कि नाथुराम गोडसे अपने भाइयों के साथ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से भी जुड़ा था।


इसके बाद नाथुराम गोडसे ने 'हिंदू राष्ट्रीय दल' के नाम से अपना संगठन बनाया था। इस संगठन का मकसद स्वतंत्रता के लिए लड़ना था। नाथुराम गोडसे ने 'हिंदू राष्ट्र' के नाम से अपना एक समाचार पत्र भी निकाला था। क्योंकि नाथुराम गोडसे लिखने में अधिक रुचि रखते थे। नाथुराम गोडसे ने धार्मिक पुस्तकों में अधिक रुचि रखते थे। उन्होंने रामायण, महाभारत, गीता, पुराणों के अतिरिक्त स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, बाल गंगाधर तिलक तथा महात्मा गांधी के साहित्य का इन्होंने गहरा अध्ययन किया था।


गोडसे का राजनैतिक जीवन
नाथुराम गोडसे का अपने राजनैतिक जीवन के प्रारम्भिक दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। साल 1930 के अंत में उन्होंने आरएसएस को छोड़ दिया। इसके बाद गोडसे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा में शामिल हो गए। नाथुराम गोडसे ने 2 समाचार-पत्र अग्रणी और हिन्दू राष्ट्र नामक का सम्पादन भी किया था। नाथुराम गोडसे ने शुरूआत में मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) का समर्थन किया लेकिन बाद में गांधी जी के द्वारा लगातार और बार-बार हिन्दुओं के विरुद्ध भेदभाव पूर्ण नीति अपनाए जाने और मुस्लिम तुष्टीकरण किए जाने के कारण गांधी के प्रबल विरोधी हो गए थे। नाथुराम गोडसे मोहम्मद अली जिन्ना की अलगाववादी विचार-धारा का भी विरोध किया करते थे।

विशेष- मोहनदास करमचंद गाँधी या महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता नहीं है, इसका खुलासा केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार ने स्वयं 2013 में लखनऊ की छात्रा ऐश्वर्या के RTI का उत्तर देते हुए लिखा था. भारत सनातन है, अनादि कल से सनातन हिन्दू धर्म के अनुयायियों एवं देवी-देवताओं के अवतारों, उनकी लीलास्थली, उनके कर्मभूमि देश हैं. ऐसे से कोई व्यक्ति कैसे इस देश का राष्ट्रपिता हो सकता है ? हाँ, राष्ट्रपुत्र हो सकता है... लेकिन राष्ट्रपिता कदापि नहीं। फिर भी निजी एवं सरकारी न्यूज़ चैनल्स में, समाचार पत्रों आदि में क्यों राष्ट्रपिता बोला, लिखा जाता हैं,  समझा से परे है. यह इस बात का भी प्रमाण हैं, कि हमारे इतिहास को कितना विकृत करके लिखा गया हैं, हमने कितना झूठा इतिहास पढ़ा है, जिसमे पूरी दुनियाभर में विख्यात एवं तब दुनिया की सबसे बड़ी सेना को हराने वाले महाराणा प्रताप को "महान" न बताकर उनसे पराजित होने वाले और समझौता करने वाले को हमारे देश के सत्तालोलुप एवं दोगले नेताओं ने "महान" लिखवाया। -रा.पाठक  राष्ट्रवादी पत्रकार 9752404020 ट्वीटर- www.twitter.com/DharmNagari   

- हम एक ऐसे राष्ट्रवादी नेटवर्क (संगठन नहीं) को मूर्त रूप दे रहें हैं, जो प्रत्येक आने वाली हिन्दू पीढ़ियों एवं देश की एकता-अखंडता के लिए कार्य करेगा। अपने नौ (9) प्रमुख उद्देश्यों को लेकर यह नेटवर्क हर एक ऐसे राष्ट्रवादी व्यक्ति, संगठन, NGO, संस्था, समस्त हिन्दू जातियों आदि** के साथ कार्य करेगा, जो यथार्थवादी राष्ट्रवादी विचारधारा के हों एवं देश-काल-परिस्थिति के अनुसार परिणाममूलक कार्य में अपने परिश्रम से अर्जित धन के साथ स्वेच्छापूर्व कार्य करना चाहते / चाहती हों. नेटवर्क योजनाबद्ध एवं चरणबद्ध तरीके से निश्चित उद्देश्य एवं उनकी प्राप्ति को लेकर कार्य करेगा। इसमें हम सहयोग लेने एवं सहयोग देने को कार्यरत हैं... जय सियाराम, जय महाकाल, वन्दे मातरम्  _/\_

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