नेपाल में सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर मचा है सत्ता का घमासान


PM ओली ने भारत विरोध का सहारा लिया, अपनी उपलब्धि गिनाई,  भारत के विरुद्ध की बयानबाजी  
 

धर्म नगरी / DN News
 
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-अनुराधा त्रिवेदी*
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में राजनतिक घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहा है। संसद को भंग करने का निर्णय लेने के बाद नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक कठोर निर्णय लेते हुए पुष्पकमल दहल प्रचंड को नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पद से हदा दिया है। साथ ही नारायाक काजी को भी प्रवक्ता के पद से हटा दिया है।

केपी शर्मा ओली देश-दुनिया में चर्चा में तब आए, जब उन्होंने चीन के साथ मिलकर भारत के अधिकार क्षेत्र वाले भू-भाग को नेपाल का हिस्सा बताना शुरू किया। बात यहीं तक नहीं रुकी, आगे बढ़कर उन्होंने भगवान श्रीराम को नेपाली बताते हुए असली अयोध्या नेपाल में होना बताने लगे। इसी तरह की छोटी-मोदी कई बातें, जो केपी शर्मा ओली लगातार कहते रहे, जिसके फलस्वरूप भारत और नेपाल के संबंध इतिहास में पहली बार सबसे निचले स्तर पर पहुंचे। 

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नेपाल में हमारी विदेश नीति असफल क्यों ?  

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नेपाल के PM केपी शर्मा ओली, नेपाल में चीनी (महिला) विदेश मंत्री, पुष्पदल कमल प्रचंड 

नेपाल की जनता ने भारत विरोध के मुद्दे पर अपने प्रधानमंत्री का साथ नहीं दिया और विरोध सड़कों तक उतरा। चीन की नेपाल में महिला विदेशमंत्री ने केपी शर्मा ओली को भारत के खिलाफ प्रपंच रचने में भरपूर सहयोग किया। विदेश मंत्रालय के नियमों के बाहर जाकर चीनी विदेश मंत्री ने सरकार के कामकाज में भी दखल दिया। केपी शर्मा ओली के लगातार विवादास्पद कार्रवाही के चलते उनकी ही पार्टी में उनके खिलाफ विरोध के स्वर गूंजने लगे।

अब प्रचंड गुट ने काठमांडू में एक बैठक बुलाई है, जिसमें केपी ओली को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने, प्रधानमंत्री पद से हटाने और पार्टी से निकाले जाने तक को लेकर मंथन हो सकता है। केपी शर्मा ओली ने संसद को भंग करने की सिफारिश की और राष्ट्रपति द्वारा उसे तुरंत मंजूरी देने के बाद नेपाल में आगामी अप्रैल या मई में चुनाव हो सकते हैं। हालांकि, नेपाल में संसद भंग होने को लेकर जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी ओली के फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं। 

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...तो नेपाल बनेगा नार्थ कोरिया !  
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संसद भंग करने के बाद पीएम ओली ने भारत के विरोध का सहारा लिया है। ओली ने कहा, कि पार्टी में फूट है, चुनाव कराने के अलावा और बहुमत हासिल करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। ओली ने अपने भाषण में भारत के विरोध का सहारा लिया और अपनी उपलब्धि गिनाते हुए भारत के खिलाफ बयानबाजी की। नेपाल स्थित भारतीय दूतावात और भारत सरकार को साजिशकर्ता बताया। जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्पदल कमल ओली पर तानाशाही तरीके से सरकार चलाने का आरोप लगाते हैं। ओली सरकार पर लगातार आरोप लगता रहा है, कि वह चीन के इशारे पर काम कर रही है। 
भारत के लिए लोकतंत्र का नेपाल में होना आवश्यक है। भारत के हित नेपाल की लोकतंत्रात्मक सरकार के साथ जुड़े हुए हैं। चीन पर नेपाल की जमीन हथियाने के आरोप भी लगते रहे हैं और ये कहा जाता था, कि ओली चीन की गोद में बैठकर नेपाल की सत्ता चला रहे हैं। 

अपने लगातार भारत विरोधी बयान के कारण नेपाली जनता के आक्रोश का शिकार हुए ओली को लेकर नेपाल के जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक श्याम श्रेष्ठ कहते हैं, ओली ने अपने संबोधन में देश से झूठ बोला। ओली देश में अस्थिरता का कारण हैं। जिन हालात से नेपाल गुजर रहा है, उसके जिम्मेदार भी केपी शर्मा ओली हैं। ओली के पास देश चलाने का शानदार अवसर था, लेकिन वह असफल रहे। नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर ही सत्ता का घमासान मचा हुआ है। राष्ट्रपति ने संसद भंग करने की अनुशंसा कर दी थी। पार्टी के सह-अध्यक्ष पुष्पकमल दहल प्रचंड से उनकी सारी वार्ताएं विफल हो गई हैं। 

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