तुलसी पूजन दिवस : महिमा, महत्व एवं प्रभाव जानने के पश्चात...


आप भी घर में स्थापित करेंगे तुलसी  

इस लेख के अंत () में पढ़ें तुलसीजी के प्रति जन सामान्य की प्रतिक्रियाएं
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राजेश पाठक* 
आज शुक्रवार (25 दिसम्बर) तुलसी पूजन दिवस है। तुलसीजी या तुलसी मैया का कितनी महिमा, महत्व है एवं कितना आधात्मिक-धार्मिक प्रभाव है, इसे जानने के पश्चात आपको भी तुलसीजी में श्रद्धा हो जाएगी। प्रत्येक सनातन हिन्दू घर में भोजन बनने के पश्चात सबसे पहले एक तुलसी दल (पत्ती) भोजन में डालकर, उस भोजन की थाली के चारों और पानी उतारते हुए भगवन को भोग लगता है. (ये विडंबना है, कि वही सनातन हिन्दू थूक, मूत्र लगाकर सब्जी फल बेचने वालों से सब्जी फल खरीदता है, हिन्दू से नहीं)  यदि आपके घर में तुलसीजी नहीं हैं, तो इन्हें आप स्थापित करने को आतुर हो जायेंगे। आप भी जाने तुलसीजी के बारे में-

- तुलसी के निकट जिस मंत्र-स्तोत्र आदि का जप-पाठ किया जाता है, वह अनंत गुना फल देने वाला होता है। ऐसा कहा जाता है, तुलसी के समीप आसन लगाकर यदि कुछ समय प्रतिदिन बैठा जाए तो श्वास व अस्थमा जैसे रोग आदि का प्रभाव कम होता है या छुटकारा मिलता है। 
- प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, भूत, दैत्य आदि तुलसी के पौधे से दूर भागते है।
- ब्रह्महत्या आदि ताप तथा पाप, बुरे विचार से उत्पन्न होने वाले रोग तुलसी के सामीप्य एवं सेवन से नष्ट हो जाते हैं।
- तुलसी का पूजन, रोपण व धारण पाप को जलाता है, स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदायक है।
- श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है।
- जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है।
- तुलसी के नाम-उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- तुलसी-दल ग्रहण करके मनुष्य पातकों से मुक्त हो जाता है।
- पदम् पुराण के अनुसार, तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल जो अपने सिर पर धारण करता है, उसे गंगा स्नान और 10 गोदान का फल प्राप्त होता है।

तुलसी (Tulsi) का पौधा वास्तु दोषों को समाप्त करता है। इसलिए तुलसी का पौधा घर में उस जगह अवश्य रखना चाहिए जहां वास्तु दोष हो। आध्यात्मिक व अन्य महत्व साथ तुलसी जी का वास्तु की दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व बताया गया है, तुलसी घर-आंगन में होने से कई प्रकार के वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं,  परिवार की आर्थिक स्थिति पर शुभ प्रभाव होता है, जो इस प्रकार है- 

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> घर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो, इसके लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में तुलसी के पौधे को रखें। इससे पैदा होती है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
> बहुत से लोग तुलसी के पौधे को घर के आंगन के सेंटर में रख देते हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार तुलसी के पौधे को हमेशा घर के किसी कोने में रखना चाहिए।
> अगर आप घर में तुलसी के एक से ज्यादा पौधे लगा रहे हैं तो ध्यान रखें कि आपको 3, 5, 7 ऑड नंबर में तुलसी के पौधों को लगाना है।
> तुलसी का पौधा जहां भी रखा हो वहां भूल से भी झाड़ू या डस्टबिन न रखें। तुलसी को देवतुल्य माना गया है. वास्तु के लिहाज से तुलसी बहुत ही शुभ पौधा है।
> घर में सुख समृद्धि के लिए तुलसी के पौधे में संध्या काल के समय दीपक जलाएं. इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
> वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे को अग्नि कोण से लेकर वायव्य कोण तक के खाली स्थान में लगा सकते हैं। यदि खाली जमीन न हो तो गमलों में भी तुलसी लगा सकते हैं। घर के ईशान कोण में किसी तरह का वास्तु दोष है, तो इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए।

तुलसी पूजन विधि-
सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें| उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढायें-
महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी।
आधि व्याधि हरा नित्यम् तुलसी त्वाम् नमोस्तुते।।
अर्थात– हे भक्ति का प्रसाद देने वाली माँ ! सौभाग्य बढ़ाने वाली, मन के दुःख, और शरीर के रोग दूर करने वाली तुलसी माता को हम प्रणाम करते है।

फिर ‘तुलस्यै नम:’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा वस्त्र व कुछ प्रसाद चढायें| दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की 7, 11, 21,51 व 108 परिक्रमा करें। उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें| तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है।

तुलसी– पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें। तुलसी के समीप रात्रि 12 बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद-विश्रांति पायें। तुलसी–नामाष्टक का पाठ भी पुण्यदायक है| तुलसी – पूजन अपने नजदीकी आश्रम या तुलसी वन में अथवा यथा–अनुकूल किसी भी पवित्र स्थान में कर सकते हैं।

तुलसी–नामाष्टक (आठ नाम)-
वृन्दां  वृन्दावनीं विश्वपावनी विश्वपूजिताम्

पुष्पसारां नन्दिनी च तुलसी कृष्णजीवनीम्
।।
एतन्नामाष्टकं  चैतत्स्तोत्रं  नामार्थसंयुतम्

य: पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत्


भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं- “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं| यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है।

जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :22.32-33)


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न तोड़ें तुलसी दल (पत्ते)-
शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते कुछ खास दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए। ये दिन हैं अमावस्या, पूनम,द्ववादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण काल। इन दिनों में और रात के समय तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता है। अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना, तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है।

प्रतिदिन करें तुलसी का पूजन-

अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए, उसकी हवा से भी अनेक लाभ होते हैं, मान्यता है, तुलसी को एक लोटा पानी अर्पण करने से सवा मासा (सवा ग्राम) सुवर्ण दान का फल मिलता है। प्रतिदिन तुलसीजी का पूजन करना चाहिए।  हर शाम तुलसी के पास दीपक लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है, जो लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक लगाते हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
 
प्रतिदिन करें एक पत्ती का सेवन- 
तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही, तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से हम सामान्य बुखार से बचे रहते हैं। तांबे के लोटे में एक तुलसी का पत्ता डालकर ही रखना चाहिए। तांबा और तुलसी दोनों ही पानी को शुद्ध करने की क्षमता रखते हैं। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। तुलसी का पत्ता खाते रहने से किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। 
मौसम परिवर्तन के समय होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाव हो सकता है। तुलसी की पत्ती सेवन करने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है, लेकिन हमें नियमित रूप से तुलसी की पत्ती का सेवन करते रहना चाहिए।

बुरी दृष्टि (नजर) से बचाव-
ऐसी मान्यता है कि तुलसी का पौधा होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती है। साथ ही, सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय नहीं हो पाती है। सकारात्मक ऊर्जा को बल मिलता है।

औषधि भी है तुलसी जी
तुलसी का धार्मिक महत्व तो है, साथ ही आयुर्वेद में इसे संजीवनीबूटी के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो कई बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक हैं। प्रतिदिन 4 पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त, कैंसर आदि दोष दूर होने लगते हैं। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में उपस्थित बीमारी फैलाने वाले कई सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर देती है।

सूखा पौधा न रखें घर में-
ऐसा कहते हैं कि यदि आपके घर में कोई संकट आने वाला है, तो सबसे पहले तुलसी को इसका ज्ञान होगा और वह सूख जाएगी। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें, धीरे-धीरे वह पौधा सूखने लगता है। यदि घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा सूख जाता है तो उसे किसी पवित्र नदी में या तालाब में या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए। तुलसी का सूखा पौधा घर में रखना अशुभ माना जाता है। एक पौधा सूख जाने के बाद तुरंत ही दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। मान्यता है, सूखा हुआ तुलसी का पौधा घर में होने से प्रगति-समृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसी कारण घर में सदैव पूर्ण रूप से स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाएं।

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Require- 
"Dharm Nagari" is being expanded in urban & rural area along with appointment of local "representative." We have also planned to organise result-oriented, phase-wise religious spiritual seminars, symposiums, discourse etc at district level in order to make Hindu active & unite at local level. You may also become part of these activities or activily involve in these programmes. For all these, we are searching for "Patrons" (NRI, Saint, Hindutva-loving people) who may support all the activities (after knowing the plan). Please, contact use +91-6261868110 emaildharm.nagari@gmail.com Twitter- www.twitter.com/DharmNagari
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#Social_Media में प्रतिक्रिया- 
विस10--डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक 'तुलसी' में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आणविक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है|
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Tulsi Pujan Diwas in Indian Culture is completely scientific, that teaches us the art of living a happy, healthy and dignified life. Hence, It is our duty that we all come forward to protect it. -@DharmNagari1 
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तुलसी पौधे का धार्मिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व भी है। असंख्य रोगों का उपचार तुलसी दल है। साथ ही 25 दिसंबर को श्रीमद् भगवत गीता जयंती भी है।हमारे शास्त्रों में गीता, गंगा और गाय का विशेष महत्व है #CelebrateVedicFestivals -@MunnaMishra8 
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आज मोक्षदा एकादशी भी है, मोक्षदा एकादशी का व्रत कथा सुनने से ही 7 पीढ़ियों को का उद्धार हो जाता है इतना पावन व्रत हिंदू संस्कृति में ही किया जाता हैं जिसके फल का अनंत गुना फल मिलता है। Sant Asharamji के शुरू किये गए 25 dec को Tulsi Pujan Diwas को हम सब मिलके मानेऐंगे -@Narayan65992015
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#तुलसी_पूजन_दिवस
In terms of health, Tulsi is nothing less than a boon for humans. Sant Shri Asharamji Bapu has given the priceless gift of Sanatan culture to the society on 25th December by celebrating Tulsi Pujan Diwas. -@sanjaybhind3
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