आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स...


तांडव वेब सीरीज  

सनातन धर्म का बन रहा मजाक

ठहाके लगा रहें कायर हिंदू !


🔺 तांडव वेब सीरीज रिलीज होते ही विवाद में घिरती नजर आ रही है। वेब सीरीज के पहले एपिसोड में जीशान अय्यूब भगवान शिव के वेश में नजर आ रहे हैं और यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि आखिर आपको किससे आजादी चाहिए।

⇒ उनके मंच पर आते ही एक मंच संचालक कहता है, 'नारायण-नारायण। प्रभु कुछ कीजिए। रामजी के फॉलोअर्स लगातार सोशल मीडिया पर बढ़ते ही जा रहे हैं। मुझे लगता है कि हमें भी कुछ नई स्ट्रेटेजी बना ही लेनी चाहिए।' इस पर शिव के रूप में नजर आ रहे जीशान अय्यूब कहते हैं, 'क्या करूं मैं तस्वीर बदल दूं क्या?' इस पर मंच संचालक कहता है, कि भोलेनाथ आप तो बहुत ही भोले हैं।

⇒ भगवान शिव का रूप दिखाना और भगवान राम के बारे में टिप्पणी करना स्वीकार नहीं किया जा सकता। 'अली अब्बास तांडव वेब सीरीज के डायरेक्टर हैं और इसमें पूरी तरह से लेफ्ट विंग के अजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। वह टुकड़े-टुकड़े गैंग को ग्लोरिफाई कर रहे हैं।' इसके अलावा वेब सीरीज का एक और हिस्से पर लोग आपत्ति जता रहे हैं।

⇒ वेब सीरीज में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, तिग्मांशू धूलिया, जीशान अय्यूब, सुनील ग्रोवर, गौहर खान समेत कई लोग नजर आ रहे हैं।

⇒ इस वेब सीरीज का डायरेक्शन जफर अली अब्बास ने किया है। जो एक जिहादी है और इनका एजेंडा मात्र हिंदू धर्म को नीचा दिखाना है |

⇒ कभी ये बॉलीवुड जिहादी ईसाई /इस्लाम का मजाक क्यों नहीं बनाते ? मात्र हिन्दू धर्म निशाने पर क्यों ?
क्योंकि हिन्दू कायर बनकर हंस रहा है अपने धर्म पर, हिन्दू सहनशील बन गया है। सहनशीलता इतनी, की वह कायरता और हिंजड़ापन बन गया है। क्या कायर हिंदुओं ने अपना धर्म /संस्कृति बेच दी है ?
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ट्वीटर पर रविवार 17 जनवरी शाम तक #प्रकाश_जावड़ेकर_इस्तीफ़ा_दो 155K पोस्ट हुए, वहीं #प्रकाश_जावेड़कर_हिंदू_विरोधी #प्रकाश_जावेडकर_कब_जागोगे
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@Harish_Nimje16
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आप पढ़ रहे हैं- "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." (17  जनवरी) 
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खत्म हो कांग्रेस के बनाए सारे एकतरफा, हिन्दू-विरोधी Acts 


कोई मुस्लिम लड़की किसी हिंदू या ईसाई से, कोई ईसाई लड़की किसी हिंदू  या मुस्लिम से विवाह करे,
तो उसे निरस्त करने का अधिकार मुसलमानों और ईसाइयों के पास है... 
किंतु,
यदि कोई हिंदु लड़की किसी मुस्लिम या ईसाई से विवाह करे, उसे रोकने का अधिकार हिंदुओं के पास नहीं है
इंग्लैंड से भारत को लूटने आये ईसाइयों के पास अपना `नोकिया कानून' अर्थात कैनन लॉ है...
और मुस्लिम देशों से भारत को लूटने आये मुसलमानों के पास भी अपना का क़ानून "शरियत लॉ" है...
किंतु जिनका यह देश है उन हिंदुओं के पास अपना कोई क़ानून नहीं है...
और कहते है कि अंबेडकर ने संविधान बनाया... क्यों नहीं है हिन्दुओं का भी अपना धार्मिक़ क़ानून ?  

Comment- जबकि संविधान को 14 समितियों ने मिलकर बनाया, जिनमे एक समिति के चेयरमैन थे बाबा साहब। बाकि के 13 समितियों के लोगों एवं बाबा साहेब की समिति के लोगों ने क्या क्या झक मारा था ? कुछ किया ही नहीं ! ...और संविधान तो अंग्रेजो के कानूनों सहित विभिन्न देश के कानूनों की कॉपी करके बना है, हम भारतियों की मूल परम्परा, भौगोलिक व ऐतिहासिक स्थिति आदि को ध्यान नहीं रखा गया हैं ?

देश को स्वतंत्र करने साढे 6 लाख से अधिक लोगों ने जान दिया, सैकड़ो क्रन्तिकारी फांसी पर लटकें, फिर भी हमें फर्जी तरह से बताया गया कि कांग्रेस ने देश स्वतंत्र कराया, जबकी कांग्रेस ने केवल हिंदुओं के साथ केवल छल किया... मुसलमानों को पाकिस्तान देने के बावजूद भारत में रोका (ताकि वो कांग्रेस के वोट बैंक बनें) और हिन्दुओं के खिलाफ अनेक कानून बनाएं। 

क्या हम हमारे निष्क्रिय एवं केवल कमाई (नौकरी, बिजनेश) करने वाले, अपने परिवार तक सीमित हिन्दुओं पर धिक्कार लिंखूं ? या उनको आत्मचिंतन के लिए कहूं, क्योंकि भविष्य में ऐसे हिन्दुओं की पीढ़ी भी खतरे में होगी, जिस तरह कश्मीरी हिन्दू परिवारों के साथ 19 जनवरी 1990 के दिन से हुए और वो आज तक उसका परिणाम भुगत रहें हैं...   
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फरवरी में सभी 7 वार 4-4 दिन के होंगे, देखें...  
 

धर्म नगरी का सहयोगी प्रकाशन- 2015 से प्रकाशित पं. अयोध्या प्रसाद गौतम पंचांग 
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असहिष्णुता ये है, जो 99%  हिन्दुओं में नहीं है !

मुसलमानों के अजमेर शरीफ दरगाह में जाने वाले सेकुलर हिंदुओं जरा मुसलमानों की इस कट्टरपंथी विचारधारा को देख लो... 
जिस फोटो को ये अपने पैरों तले रौद रहे हैं, यह स्वामी जितेंद्र सरस्वती की है जिन्होंने अजमेर में स्थित एकमात्र ब्रह्मा जी के मंदिर पर हिंदुओं को आने की प्रार्थना की थी जिसके बाद यह मुसलमान भड़क गए और बीच सड़क पर उनके पोस्टर को अपने पैरों तले कुचलने लगे...


स्वामी जीतेन्द्र सरस्वती जी का कड़वा वक्तव्य, जिसे उनको अजमेर में मुस्लिमों के मजहबी कट्टरता से पीड़ित होकर देना पड़ा था ? शायद यही भाषा दूसरे कौम के लोग समझते है ! स्वामीजी के बयान सुनने के लिए हमारे वाट्सएप पर जाएं 
 
Comment- हिन्दुओं को चाहिए कि अपना दान या किसी प्रकार का सहयोग ऐसे संपन्न, भौतिकवादी सन्तों, धर्माचार्यों कथावाचकों को कभी न दें, जो केवल धर्म के नाम पर कमाई करते है और धर्म के नाम पर डराते हैं. मेरा आशय फर्जी धर्मनिष्ठ सन्तों-धर्माचार्यों से है. पहले आप स्वयं देखें, पता लगाएं की वास्तव में जिनकों आप रुपया या अन्य चीजें दे रहें हैं, वो उनके पास नहीं हैं. इसलिए उनकों दें जो आपसे मांगते नहीं या धर्म के नाम पर डराते नहीं है. हम ऐसे दर्जनों नाम, सच्ची घटनाएं बता सकते, जो कुम्भ एवं अन्य धार्मिक आयोजन आदि के नाम पर खूब बटोरते हैं. इस कमेंट को आप सकारात्मक रूप (positive way) में लें...  -रा.पाठक 6261868110  
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कब तक मनमानी करेगी ये कौम ?

फिरोजाबाद UP की रूबी देवी को घेर कर मारते हुए मोहम्मद आदिल, दाऊद और मेहरबान अली... क्या ये मॉब लिंचिंग नहीं अब टोटी चोर, मायावती, पप्पू, पिंकी, केजरी, संजय दल्ला सब कहा मर गए ? 
वीडियो #साभार @SudarshanNews 


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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है. इस कॉलम (आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स...) में सभी पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट अक्षरशः सत्य हों, हम यथासम्भव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं, जिस प्रकार हम दैनिक राशिफल / भविष्यफल में होते हैं -सम्पादक 
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हमें पता ही नही चलता कि कैसे करते हैं धर्म परिवर्तन
सभी हिन्दू जानें- गुप्त ईसाई मतलब 
क्रिप्टो-क्रिश्चियन 

ईसाई पंथ का एक गुप्त कार्य है, इनके साथ में रहने के बाद भी हमें पता ही नही चलता कि धर्म परिवर्तन का काम चुपचाप हो रहा है। आंध्र का पूर्व मुख्य मंत्री राजशेखर रेड्डी और अब वर्तमान मुख्य मंत्री जगनमोहन रेड्डी जो नाम और सरनेम से पक्के हिन्दू लगते हैं पर ये गुप्त ईसाई ही हैं, आज आंध्र में दलित और गरीबों का खुले आम पैसे दे कर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। वहां ब्राम्हण को आठ लाख , क्षत्रिय को छै लाख , बनिया को चार लाख , छोटी जात वाले को दो लाख , और दलित को एक लाख नकद दिया जाता है ।

गुप्त ईसाई (क्रिप्टो) जिस देश में रहते हैं वहां वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं,
वहां का धर्म मानते हैं पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और गुप्त तरीके से निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहते है

अन्य धर्मों के शासकों या समाज द्वारा ईसाई धर्मावलंबियों के लिए खतरा उत्पन्न किए जाने की स्थिति में यह व्यवहार अपनाया गया

जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपनाकर अपना काम करते रहते हैं,
जब वे अधिक संख्या में हो जाते हैं तो प्रकट रूप से ईसाई धर्म को मानने लगते हैं

हॉलिवुड फिल्म 'अगोरा' (2009) में गुप्त इसाइयत को दिखाया गया है

ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो शब्द का अर्थ हुआ- छुपा हुआ या गुप्त

क्रिप्टो क्रिश्चियन का अर्थ हुआ गुप्त-ईसाई
इसमें महत्वपूर्ण बात ये है कि क्रिप्टो-क्रिश्चियन कोई गाली या नकारात्मक शब्द नहीं हैं
क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी ईसाई पंथ की एक संस्थागत प्रैक्टिस है।

क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिश्चियन जिस देश में रहते है वहां वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते हैं, वहाँ का धर्म मानतें हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है; पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहतें है।

भारत में असंख्य क्रिप्टो क्रिस्चियन मतलब गुप्त ईसाई लोग नास्तिक वामपंथी, भीमआर्मी के अंदर सामिल है और मोदी सरकार, भाजपा, RSS के खिलाफ बोलते और कार्य करते है।

गुप्त ईसाई लोग हिन्दु दलितों का या हिन्दु आदिवासियों का रुप धारण करके भी भाजपा-RSS को बदनाम करते है और सभी मुस्लिम संगठनो का साथ भी आसानी से मिल जाता है क्योंकि येह सबका ऐक ही लक्ष्य है सनातन धर्म और सनातन वेद विज्ञान को नष्ट करना।

क्रिप्टो क्रिश्चियन का सबसे पहला उदाहरण रोमन सामाज्य में मिलता है जब ईसाईयत ने शुरुवाती दौर में रोम में अपने पैर रखे थे।
तत्काल महान रोमन सम्राट ट्रॉजन ने ईसाईयत को रोमन संस्कृति के लिए खतरा समझा और जितने रोमन ईसाई बने थे उनके सामने प्रस्ताव रखा कि या तो वे ईसाईयत छोड़ें या मृत्यु-दंड भुगतें।

ट्रोझन के बाद सम्राट जेलूतियुस के काल में रोमन ईसाईयो ने मृत्यु-दंड से बचने के लिए ईसाई धर्म छोडने का नाटक किया और उसके बाद ऊपर से वे रोमन देवी देवताओं की पूजा करते रहे, पर अंदर से ईसाईयत को मानते थे।

जिस तरह मुसलमान 5-10 प्रतिशत होते हैं तब उस देश के कानून को मनाते हैं, पर जब 20-30 प्रतिशत होते हैं तब शरीअत की मांग शुरू होती है, दंगे होतें है, आबादी और अधिक बढने पर गैर-मुसलमानों की Ethnic Cleansing शुरू हो जाती है।
पर, क्रिप्टो क्रिश्चियन, मुसलमानों जैसी हिंसा नहीं करते।
जब क्रिप्टो क्रिश्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपनाकर अपना काम करते रहतें है जैसा कि और जब अधिक संख्या में हो जातें तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं।
Hollywood की मशहूर फिल्म Agora (2009) हर हिन्दू को देखनी चाहिए।
इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो क्रिश्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया।

वर्तमान में भारत मे भी क्रिप्टो क्रिश्चियन ने पकड बनानी शुरू की तो यहां भी हिन्दू देवी-देवताओं, सुवर्णो और ब्राह्मणो को गाली देने का काम शुरू कर दिया।
मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत में आज हो रहा है।

हाल में प्रोफेसर केदार मंडल द्वारा देवी दुर्गा को वेश्या कहा जो दूसरी सदी के रोम की याद दिलाता है।

क्रिप्टो-क्रिश्चियन के बहुत से उदाहरण हैं पर सबसे रोचक उदाहरण जापान से है।

मिशनिरियों का तथाकथित-संत जेवियर जो भारत आया था वह 1550 में धर्मान्तरण के लिए जापान गया और उसने कई बौद्धों को ईसाई बनाया।
1643 में जापान के राष्ट्रवादी राजा शोगुन (Shogun) ने ईसाई धर्म का प्रचार जापान की सामाजिक एकता के लिए खतरा समझा शोगुन ने बल का प्रयोग किया और कई चर्चो को तोड़ा गया।
जीसस-मैरी की मूर्तियां जब्त करके तोड़ दी गईं।
बाईबल समेत ईसाई धर्म की कई किताबें खुलेआम जलायीं गईं।
जितने जापानियों ने ईसाई धर्म अपना लिया था उनको प्रताड़ित किया गया,
उनकी बलपूर्वक बुद्ध धर्म में घर वापसी कराई गई।
जिन्होंने मना किया, उनके सर काट दिए गए।
कई ईसाईयों ने बौद्ध धर्म में घर वापसी का नाटक किया पर वो अंदर से तब भी क्रिप्टो-क्रिश्चियन बने रहे।
जापान में इन क्रिप्टो-क्रिश्चियन को “काकूरे-क्रिश्चियन” कहा गया।

काकूरे-क्रिश्चियन ने बौद्धों के डर से ईसाई धर्म से संबधित कोई भी किताब रखनी बन्द कर दी
जीसस और मैरी की पूजा करने के लिए इन्होंने प्रार्थना बनायी जो सुनने में बौद्ध मंत्र लगती पर इसमें बाइबल के शब्द होते थे।
ये ईसाई प्रार्थनाएँ काकूरे-क्रिश्चियनों ने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित करनी शुरू कर दी।

1550 से ले कर अगले 400 सालों तक काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के छद्मावरण में रहे। उनका धैर्य तो देखिए 400 साल बहुत लंबा समय होता है।
20वीं शताब्दी में जब जापान औद्योगिकीकरण की तरफ बढ़ा और बौद्धों के धार्मिक कट्टरवाद में कमी आई , तो इन काकूरे-क्रिश्चियन बौद्ध धर्म के मुखौटे से बाहर निकल अपनी ईसाई पहचान उजागर की।

क्रिप्टो क्रिश्चियन बुद्ध के जैसी दिखने वाली मूर्ति, जो वास्तव में मदर मैरी की है, जापान के क्रिप्टो-क्रिश्चियन पूजते थे।

केवल रोमन साम्राज्य और जापान में ही क्रिप्टो क्रिश्चियनों के उदाहरण नहीं मिलते बल्कि बालकंस व एशिया माइनर, मध्यपूर्व, सोवियत रशिया, चाइना, नाज़ी जर्मनी समेत भारत में भी क्रिप्टो क्रिश्चियनों की बहुतायत है।

जैसे जापान के क्रिप्टो क्रिश्चियन काकूरे कहलाते हैं वैसे ही एशिया माइनर के देशों, सर्बिया में द्रोवर्तस्वो, साइप्रस में पत्सलोई, अल्बानिया में लारामनोई, लेबनान में क्रिप्टो मरोनाईट और इजिप्ट में क्रिप्टो कोप्ट्स कहलाते हैं

भारत मे ऐसे बहुत से काकूरे-क्रिश्चियन हैं जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहन कर हमारे बीच हैं।

भारत में ईसाई आबादी आधिकारिक रूप से 2 करोड़ है और अचंभे की बात नहीं होगी अगर भारत मे 10 करोड़ ईसाई निकलें
अकेले पंजाब में अनुमानित ईसाई आबादी 10 प्रतिशत से ऊपर है।

पंजाब के कई ईसाई, सिख धर्म के छद्मावरण में है, पगडी पहनतें है, दाढी, कृपाण, कड़ा भी पहनतें हैं पर सिख धर्म को मानते हैं पर ये सभी गुप्त-ईसाई हैं।

बहुत से क्रिप्टो-क्रिश्चियन आरक्षण लेने के लिए हिन्दू नाम रखे हुए हैं,
इनमें कइयों के नाम राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा आदि भगवानों पर होते हैं
जिन्हें संघ के लोग भी सपने में गैर-हिन्दू नहीं समझ सकते ।

जैसे कि पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन, जो जिंदगी भर दलित बन के मलाई खाते रहे और जब मरने पर ईसाई धर्म के अनुसार दफनाने की प्रक्रिया देखी तो समझ में आया कि ये क्रिप्टो-क्रिश्चियन था ।

देश में ऐसे बहुत से क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं जो हिन्दू नामों में हिन्दू धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं।
हम रोजमर्रा की ज़िंदगी मे हर दिन क्रिप्टो-क्रिश्चियनों को देखते हैं पर उन्हें समझ नहीं पाते क्योंकि वे हिन्दू नामों के छद्मावरण में छुपे रहतें हैं

जैसे कि-
श्रीराम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेसी नेता अम्बिका सोनी क्रिप्टो क्रिश्चियन है।

NDTV का अधिकतर स्टाफ क्रिप्टो-क्रिश्चियन है।

हिन्दू नामों वाले नक्सली जिन्होंने स्वामी लक्ष्मणानन्द को मारा, वे क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।

गौरी लंकेश, जो ब्राह्मणों को केरला से बाहर उठा कर फेंकने का चित्र अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लगाए थी, क्रिप्टो क्रिश्चियन थी ।

JNU में भारत के टुकड़े करने के नारे लगाने वाले और फिर उनके ऊपर भारत सरकार द्वारा कार्यवाही को ब्राह्मणवादी अत्याचार बताने वाले वामी नहीं, अधिकांश क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं। गौर करना वो अपने नाम के आगे सरनेम नहीं लिखते ।

फेसबुक पर ब्राह्मणों को गाली देने वाले, हनुमान को बंदर, गणेश को हाथी बताने वाले खालिस्तानी सिख, क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।

तमिलनाडु में द्रविड़ियन पहचान में छुप कर उत्तर भारतीयों पर हमला करने वाले क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।

जिस राज्य ने सबसे अधिक हिंदी गायक दिए उस राज्य बंगाल में हिंदी का विरोध करने वाले क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं।
अंधश्रद्धा के नाम हिन्दू त्योहारों के खिलाफ एजेंडे चलाने वाला और बकरीद पर निर्दोष जानवरों की बलि और ईस्टर के दिन मरा हुआ आदमी जीसस जिंदा होने को अंधश्रध्दा न बोलने वाला नरेन्द्र दाभोलकर, क्रिप्टो-क्रिश्चियन था।
देवी दुर्गा को वैश्या बोलने वाला केदार मंडल और रात दिन फेसबुक पर ब्राह्मणों के खिलाफ बोलने वाले दिलीप सी मंडल, वामन मेश्राम क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।
महिषासुर को अपना पूर्वज बताने वाले जितेंद्र यादव और सुनील जनार्दन यादव जैसे कई यादव सरनेम में छुपे क्रिप्टो-क्रिश्चियन हैं।
तमिल अभिनेता विजय एक क्रिप्टो- क्रिस्चियन है, पूरा नाम है जोसफ विजय चंद्रशेखर।
आम आदमी पार्टी का नेता आशीष खेतान एक क्रिप्टो-क्रिश्चियन है, इसकी पत्नी का नाम है, क्रिस्टिनिया लीडिया फर्नांडीस और दोनों बच्चे भी गुप्त ईसाई हैं ।
कांग्रेसी हुकूमत के सिरमौर और पूरा परिवार कृप्टो ईसाई हैं ।

लेखक- श्री संजय मिश्रा, लेखक हिन्दू अधिकार कार्यकर्ता व दलित/खालिस्तानी और अन्य क्रिप्टो क्रिश्चियनों के प्रोपेगेंडा के विरोध में काम करते हैं
सन्दर्भ पढ़ने हेतु कृपया देखें / Pls touch so read (Link)- 
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हिंदुओ के लिए 
तैयार था फांसी का फंदा  

हिंदुओ के लिए फांसी का फंदा तैयार करने को कांग्रेस किस तरह से तैयार थी, इस लेख को पूरा पढ़िए। इसे पढ़कर कांप उठेंगे। अफसोस ! मरते न जिन्दा रहते, तड़प-तड़प कर जीते। बहन-बेटियां आपके ही सामने हवस का शिकार अलग बनती। (ताजा और सबसे बड़ा सच्चा उदाहरण कश्मीरी हिन्दूओं का है, जिनके व्यथा की याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने भी इंकार कर दिया था)
"Communal Violence Bill"
कांग्रेस में जान फूंकने वाले हिंदुओं सुनो, मैं कांग्रेस का घोर विरोधी क्यों हूं ? "एंटोनियो माइनो" की वाकई भयानक खतरनाक साजिश थी, जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। अगर लागू हो गया होता, तो मरना भी दूभर हो जाता, जीने की बात ही छोड़ो। तुम्हारे विनाश वाला बिल जिसे काँग्रेस ने दो बार संसद मे पेश किया। 2005 मे और फिर 2011 में। कांग्रेस हिंदुओ के खिलाफ ऐसा बिल लेकर आई थी जिसको सुनकर आप कांप उठेंगे। परन्तु भाजपा के जबरदस्त विरोध के कारण वह पास नहीं करवा सकी। 

मुझे यकीन है कि 96% हिन्दुओ को तो अपने खिलाफ आये इस बिल के बारे में कुछ पता भी नहीं होगा जिसमें शिक्षित हिंदू भी शामिल है क्योंकि हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है उसको इन सब बातों को जानने के लिए समय नहीं है। जबकि मुसलमान अनपढ़ भी इतने जागरूक हैं कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गए हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने वाले CAA क़ानून के खिलाफ मुसलमान का बच्चा बच्चा उठ खड़ा हुआ। अगर काँग्रेस दुबारा सत्ता में आई तो यह बिल फिर लेकर आएगी। 

क्या है (था) "दंगा नियंत्रण कानून" ?
हिंदू समाज के लिए फांसी का फंदा, कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुपरेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया, जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है.. कांग्रेस का कहना था कि इस बिल के जरिये वो देश में होने वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए-

इस बिल में प्रावधान था कि दंगों के दौरान दर्ज अल्पसंख्यक से सम्बंधित किसी भी मामले में सुनवाई कोई हिंदू जज नहीं कर सकता था।
⇒ अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था कि आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा..
⇒ इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि कोई भी हिन्दू दंगों के दौरान हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करवा सकता।
⇒ इस बिल में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति हिन्दू पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, हत्या का आरोप लगाता है तो कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है केवल मुकदमा दर्ज करवा देना ही काफ़ी है। बल्कि कोर्ट में निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिस पर आरोप लगाया गया है।
⇒ इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए बहुसंख्यक को जिम्मेदार मानते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के नुकसान की भरपाई हिंदू से की जाए। जबकि बहुसंख्यक के नुकसान के लिए अल्पसंख्यक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था।
⇒ अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे, क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे। मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता….. आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक..
⇒ देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो..
⇒ अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी हिन्दू बच्ची या हिन्दू महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता । बहुसंख्यक है हिन्दू इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई हिन्दू महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता..
⇒ इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते कि आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती कि तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते कि उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती – नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा..
⇒ कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था कि कोई भी इलाका हो, बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता। यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है। ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे-बैठे जजिया कमाते क्यूंकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती, और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक...
⇒ और भी कई प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में, जिसे अंग्रेजी में "Communal Violence Bill" भी कहते हैं...

डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था
। उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया, तो 2012 में हिन्दू काँप उठे थे तभी से कांग्रेस के खिलाफ हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया था। इसके बाद भी जो हिन्दू कांग्रेस को support करता है, वे जाने अनजाने अपने ही लोगो के लिए नरक का द्वार खोल रहा है, इसे जानो।
(नोट- इस सन्देश को शेयर जरूर करें। इस हिन्दू विरोधी और राष्ट्रद्रोही कांग्रेस को देश व जनता के सामने एक्सपोज़ करें।) अब सुने 2011 में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने "Communal Violence Bill" पर क्या कहा था (वीडियो- 45 मिनट 52 सेकंड)- 


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