"काश ! उस रात केवल 1% लोग अपनी आत्मरक्षा में हथियार उठा लेते..."

काश ! आज की रात केवल 1% लोगों ने अपनी आत्मरक्षा के लिए हथियार उठाया होता !

साढ़े 6 लाख कश्मीरी हिंदुओं की वो कहानी, जिसे सुनाने वाले का मुंह सिल जाता है ! हमारे कश्मीरी हिन्दू भाई, जिनको आज 30 साल होने पर भी न्याय नहीं मिला, उनका सबकुछ लूटा गया अपने ही देश में...
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अपडेट्स- 1- जारी है "तांडव" पर तांडव 2- 
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आज मंगलवार (19 जनवरी) की रात 9:15 बजे 30 साल हो जाएंगे, जब लगभग साढ़े छह लाख कश्मीरी हिन्दुओं के जीवन की सबसे बड़ी मनहूस, काली रात शुरू हुई, जिसने अपने ही देश से, अपने ही समाज से, अपने ही घर-द्वार से, अपने दुकान कारोबार और नौकरी को ही एक झटके में छीन लिया, बल्कि घर-परिवार का आनंद, पुरखों का घर, किचेन के बर्तन-चूल्हे ले लिए, घर की इज्जत लूट लिया, अपने सगे-संबंधियों की अपनों के देखते-देखते जान ले ली, देवालय मंदिर तोड़ दिए, देवी-देवताओं के विग्रह हो, मूर्तियों को विध्वंश कर दिया... कटटर मजहबी उन्मादियों के धर्मस्थल (मस्जिद) पर लगे लाउडस्पीकर से डर आतंक और धमकी की आवाज निकलने लगी, कि कश्यप ऋषि का कश्मीर प्रदेश डर गया दोगले, कमीने, हरामी नेताओं और पार्टियों का भी भरपूर साथ मिला। 

दुर्भाग्य से उन 6:50 लाख कश्मीरी हिन्दुओं में से साढ़े 6 हजार ने हथियार (जो भी था किचन की चाकू से लेकर लाठी, लोहे की रॉड, पाइप तक) न उठा सके. एकबार हिम्मत नहीं कर सके. संचार के साधन भी बहुत कम थे उस समय, केवल दूरदर्शन, रेडिओ और शायद 3 रुपए 85 पैसे प्रति मिनट से शुरू होने वाले STD ही थे... इसलिए देश के अन्य राज्यों में रहने वाले हम जैसे हिंदुओं को भनक भी नहीं पड़ी. दिल्ली की सरकार भी हिन्दू-द्रोही तुष्टिकरण वाली ही थी, क्योंकि तब उसने भी कुछ नहीं किया। हम कुछ नहीं कर सकते, पर उस घटना को बार-बार उठाते रहेंगे, क्योंकि हम भी लगभग डेढ़ दर्जन ऐसे कश्मीरी परिवारों से मिल चुके हैं, जिनमे से कुछ ने अपने घर की इज्जत खोई, कुछ ने अपनों को और थोड़े भाग्यशाली थे वो घर-द्वार समाज सबकुछ छोड़कर केवल अपनी जान बचाने कश्मीर से भाग सके... हम हथियार तो नहीं उठा सकते, लेकिन कलम या कंप्यूटर की की-बोर्ड पर अपनी ऊँगली तो चला ही सकते हैं... आँख खोलकर सो रहे बेखबर बिखरे अपने "सनातन" समाज के लोगों, धर्म व देश की रक्षा-अखंडता के लिए... -रा.पाठक,  6261868110    

भयानक सपना नहीं, भयानक खूनी, मजहबी उन्माद की शुरुवात-
19 जनवरी 1990 की वो दिन, वो काली भयानक रात का वो मनहूस 9:15 बजे का समय, जब कश्मीर के हिंदुओं को अपना घर छोड़ने का फरमान जारी हुआ. कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तो जंग 1947 से ही जारी है. पर कश्मीर में लोकल स्थिति इतनी खराब नहीं थी. तमाम कहानियां हैं कश्मीरी मुसलमानों और कश्मीरी हिंदुओं के प्यार की |1980 के बाद माहौल बदलने लगा था

रूस अफगानिस्तान पर चढ़ाई कर चुका था अमेरिका उसे वहां से निकालने की फिराक में था. लिहाजा अफगानिस्तान के लोगों को मुजाहिदीन बनाया जाने लगा. ये लोग बगैर जान की परवाह किये रूस के सैनिकों को मारना चाहते थे


इसमें सबसे पहले वो लोग शामिल हुए जो अफगानिस्तान की जनता के लिए पहले से ही समस्या थे. क्रूर, वहशी लोग. उठाईगीर और अपराधी. इन सबकी ट्रेनिंग पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में होने लगी. तो आस-पास के लोगों से इनका कॉन्टैक्ट होना शुरू हुआ


इनसे जुड़े वो लोग जो पहले से ही कश्मीर के लिए समस्या बने हुए थे. क्रूर, वहशी लोग. उठाईगीर और अपराधी. इन सबको प्रेरणा मिली पाकिस्तान के शासक जनरल ज़िया से इतने ऊंचे पद पर रहकर वो यही काम कर रहे थे. क्रूरता उनका शासन था वहशीपना न्याय धर्म के उठाईगीर थे अपराध जनता से कर रहे थे

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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है इस कॉलम "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..."  में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासम्भव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक 
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जब ऐसे लोगों पर पुलिस ने कार्रवाई की, तो उसकी जद में बाकी मुसलमान भी आ गए अब धर्म के उठाईगीरों को मौका मिल गया. वो कहने लगे कि हम पहले से ही कहते न थे, कि कश्मीरी काफिर हमारे दुश्मन हैं ! इन्हें यहां रहने न दिया जाए. कश्मीर में हिन्दू कभी भी 5% से ज्यादा नहीं थे. हालांकि कई जगहों पर क्लेम किया जाता है कि ये यहां पर 15-20% तक हुआ करते थे।

जिस जगह में कश्मीरी हिन्दू सदियों से रह रहे थे, उनको घर छोड़ने के लिए कहा जाने लगा. पहले तो आस-पास के लोगों ने सपोर्ट किया कि नहीं, आपको कहीं नहीं जाना है. पर बाद में कुछ तो डर और कुछ अपनी यूनिटी की भावना से कहा जाने लगा कि बेहतर यही होगा कि आप लोग चले जाइ, क्योंकि बसों में ब्लास्ट होने लगे। यूं ही गोलियां चलने लगीं. ऐसा नहीं था कि सिर्फ हिन्दू ही मरते थे। 

फिर सरकार के कामों ने कश्मीरियत से हिंदुओं को एकदम बाहर कर दिया। गुलाम मोहम्मद शाह सरकार ने इस आग में एक बहुत बड़ा पलीता लगाया। 1986 में गुलाम मोहम्मद शाह ने अपने बहनोई फारुख अब्दुल्ला से सत्ता छीन ली और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बन गये, खुद को सही ठहराने के लिए उन्होंने एक खतरनाक निर्णय लिया. ऐलान हुआ कि जम्मू के न्यू सिविल सेक्रेटेरिएट एरिया में एक पुराने मंदिर को गिराकर भव्य शाह मस्जिद बनवाई जाएगी।

हिंदुओं ने प्रदर्शन किया. कि ये नहीं होगा. जवाब में कट्टरपंथियों ने नारा दे दिया कि इस्लाम खतरे में है. इसके बाद कश्मीरी हिंदुओं पर धावा बोल दिया गया. साउथ कश्मीर और सोपोर में सबसे ज्यादा हमले हुए. जोर इस बात पर रहता था कि प्रॉपर्टी लूट ली जाए. हत्यायें और रेप तो बाई-प्रोडक्ट के रूप में की जाती थीं। नतीजन 12 मार्च 1986 को राज्यपाल जगमोहन ने शाह की सरकार को दंगे न रोक पाने की नाकामी के चलते बर्खास्त कर दिया।

1987 में चुनाव हुए. कट्टरपंथी हार गये। ये आखिरी मौका था, जब वहां के समाज को अच्छे से पढ़ा जा सकता था. वही मौका था, जब बहुत कुछ ठीक किया जा सकता था. क्योंकि चुनाव में कट्टरपंथ का हारना इस बात का सबूत है कि जनता अभी भी शांति चाहती थी. पर कट्टरपंथियों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. हर बात को इसी से जोड़ दिया कि इस्लाम खतरे में है।

जुलाई 1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट बना. कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए. कश्मीरियत अब सिर्फ मुसलमानों की रह गई. हिंदुओं की कश्मीरियत को भुला दिया गया. 14 सितंबर 1989 को भाजपा के नेता पंडित टीका लाल टपलू को कई लोगों के सामने मार दिया गया. हत्यारे पकड़ में नहीं आए. ये कश्मीरी हिंदुओं को वहां से भगाने को लेकर पहली हत्या थी।

जुलाई से नवंबर 1989 के बीच 70 अपराधी जेल से रिहा किये गए, क्यों? इसका जवाब नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार ने कभी नहीं दिया-
फारुख अब्दुल्ला किसी बात का जवाब नहीं दे पाए
नारे लगते थे-
जागो जागो, सुबह हुई, रूस ने बाजी हारी है, हिंद पर लर्जन तारे हैं, अब कश्मीर की बारी है।
हम क्या चाहते, आजादी
आजादी का मतलब क्या, ला इलाहा इल्लाह
अगर कश्मीर में रहना होगा, अल्लाहु अकबर कहना होगा
ऐ जालिमों, ऐ काफिरों, कश्मीर हमारा है
यहां क्या चलेगा ? निजाम-ए-मुस्तफा
रालिव, गालिव या चालिव. (हमारे साथ मिल जाओ या मरो और भाग जाओ)

4 जनवरी 1990 को उर्दू अखबार आफताब में हिज्बुल मुजाहिदीन ने छपवाया कि सारे हिन्दू कश्मीर की घाटी छोड़ दें. अखबार अल-सफा ने इसी चीज को दोबारा छापा। चौराहों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाकर कहा जाने लगा कि हिन्दू यहां से चले जाएं, नहीं तो बुरा होगा. इसके बाद लोग लगातार हत्यायें औऱ रेप करने लगे. कहते कि हिंदुओ, यहां से भाग जाओ, पर अपनी औरतों को यहीं छोड़ जाओ-

असि गछि पाकिस्तान, बटव रोअस त बटनेव सान (हमें पाकिस्तान चाहिए. हिंदुओं के बगैर, पर उनकी औरतों के साथ) गिरजा टिक्कू का गैंगरेप हुआ. फिर मार दिया गया. ऐसी ही अनेक घटनाएं हुईं. पर उनका रिकॉर्ड नहीं रहा. किस्सों में रह गईं. एक आतंकवादी बिट्टा कराटे ने अकेले 20 लोगों को मारा था. इस बात को वो बड़े घमंड से सुनाया करता।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक केवल 60 हजार परिवार कश्मीर छोड़कर भाग गये. उन्हें आस-पास के राज्यों में जगह मिली. जान बचाने की. कहीं कोई इंतजाम नहीं था। 19 जनवरी 1990 को सबसे ज्यादा लोगों ने कश्मीर छोड़ा था. लगभग 4 लाख लोग विस्थापित हुए। #साभार अखण्ड सनातन समिति

एक अपील- देश-दुनियाभर के जागरूक, सक्रिय एवं स्वाभिमानी हिन्दुओं तथा धर्मनिष्ठ संतों धर्माचार्यों कथावाचकों आदि* को सादर सूचित है, कि राष्ट्रहित हिन्दूहित एवं आने वाली हिन्दू पीढ़ियों (आपके बच्चों, शिष्यों, आपके आश्रम मठ मंदिरों) की रक्षा हेतु एक नेटवर्क "अखंड भारत नेटवर्क" (AB Network) बनाया जा रहा है. यह गैर-राजनितिक नेटवर्क होगा, संगठन नहीं, जिसमे सभी * को व्यक्तिगत या उनकी संस्था, आश्रम, NGO से स्थानीय स्तर पर परस्पर जोड़ा / जुड़ा जाएगा। इसके अभी 9 प्रमुख हैं. जो कोई तन-धन से जुड़ना या अपने से हम सबको जोड़ना चाहे, कृपया संपर्क करें। -राष्ट्रीय संयोजक  
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#Social_Media में प्रतिक्रिया-

Loudspeakers from mosques were used to threaten #KashmiriPandits to convert or die
Those who disobeyed were raped brutally killed or forcibly driven out of their homes
No words can ever describe their pain. -@KashmiriPandit7  

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On this day, I pray to Sharda Bhagwati for peace in Kashmir and the return of her children to their long lost home. I have faith in the Mother!Folded handsHibiscus #ExodusDay #KashmiriPandits  (video from WA) -@NamrataWakhloo

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Warning sign 19 th January 1990 Darkest Day in History of India Double exclamation mark
#KashmiriPandits they are our Hindu families, they are our sisters, they are our brothers how we forgot that black day for Hindus.
We want Justice to back that valley who Left from own house
#KashmiriHindusExodus_31Yrs -@PasaladiShilpa

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Ticket to exile: Bus ticket purchased by family on 19th Jan., 1990 when were forced out of Kashmir.
#KashmiriHinduExodus_31yrs #KashmiriPandits  -@PasaladiShilpa

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The forceful exile of 4 lakh #KashmiriPandits, shall never be forgotten.
Unfortunately, minority lives don't matter in Kashmir.
#KashmiriHinduExodus
#KashmiriHinduExodus_31Yrs
#KashmiriHindus
#KPHolocaustDay @kk_jpr  -@AshaRathi10


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When will #KashmiriHindus get justice ?
They had to leave their own home in their own country
Property was looted
Temples were demolished
Family members were killed
& #KashmiriHindusExodus_31Yrs are gone!
Now d time has came to re-establish them back in Kashmir!
@ihvinod
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One announcement from Masjíd & they crossed all the limits of crúélty & that black horríble day was 19th Jan 1990. They forced Kashmiri Hindus to leave their home, their dream by just One Announcement.
Never Forget Never Forgive
#KashmiriHindus #KashmiriHinduExodus -@rightwingchora

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What happened on 19 Jan1990 with #KashmiriHindus nation won't forget
One sided #KashmiriPanditGenocide #KashmiriHinduExodus_31yrs #KashmiriHinduExodus
We've all forces, although our own citizens become refugees on our own motherland 
@KhajuriaManu @ThtKashmiriGuy @majorgauravarya 
-@TheNisargSoni

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Union Government gives 12000 to Terrorist families n only 2000 to Kashmiri Hindus who were forced 2 b a refugee in their own nation.
Why do much of injustice with #KashmiriHindus?
Must not forget #KPHolocaustDay
#KashmiriHindusExodus_31Yrs -@Av_ADH


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One of India's worst Ethnic cleansing that made Kashmiri Pandits refugees in their own homeland !
Isn't it an irony that "their" doors were opened midnight for terrorists, but failed to give Justice to our lakhs of Kashmiri Hindu families ?
#KashmiriHindusExodus_31Yrs -@Sanatan_Prabhat
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Killing, Rape, Loot, Exodus...
They Tolerate All above..
They Need Hindus' Support..
ARE YOU With Them.??
#KashmiriHindusExodus_31Yrs -@vv_srp
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जारी है "तांडव" पर तांडव
बंद करो देवताओ का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान
- बार-बार हिन्दू धर्म, देवी देवताओं को आघात क्यों हो रहा है, समझ में नहीं आ रहा -रवि किशन, सांसद 
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ट्वीट्स- 
फिल्म विश्वरूपम में से कितने सीन हटाए गए थे,क्यों और किसके कहने पर? याद है किसी को ? तब धार्मिक भावनाएं आहत होना ठीक था? तब अभिव्यक्ति की आज़ादी कहां थी? निर्माता को क्यों झुकना पड़ा था? हर बात में दोहरे मापदंड! या तो हर धर्म के ईश पर कॉमेडी करो,सीरीज़ बनाओ या सबके साथ तमीज़ में रहो -@richaanirudh

Replying to @richaanirudh
Mam, ye charlie hebdo par koi OTT platform web series laane dega? ya kisi me himmat hogi is par bana paane ki.
1. Bangalore riots based on fb comment
2. Kamlesh tiwari
3. Anti hindu riots in delhi after CAA protest 
list is long.. -@shaksingh

जिस दिन pk फ़िल्म को देखकर सिनेमा हाल में तुम लोग तालियां बजा रहे थे, उसी दिन #तांडव, #आश्रम, #सूटेबलबोय की स्क्रीप्ट लिख ली थी । अगर उसी दिन... खैर छोड़ो गलती हमारी ही है -@Deepika61835905
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आजकल कई लोगो की अभिव्यक्ति, रचनात्मकता, कलाकारी लोगो की भावनाओं को आहत करने से ही अच्छी रहती है। इनके पास खुद की रचना है नहीपैसा कमाने के लिए विवादित विषयों का चयन करते हैं और अब ये आदत सी हो गई है अब सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए नहीं तो ये हमेशा ऐसा करते रहेंगे बाद में माफ़ी। -@NeerajS36688023
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आज Creative freedom के नाम पर हो रहे अधर्म के ‘तांडव’ को रोकने के लिए अति आवश्यक है, कि सर्वोच्च गुरु का दर्जा प्राप्त चारों पीठों के शंकराचार्य इकट्ठे होकर आगे आएँ, और सभी हिन्दुओं को एक सूत्र में बांधकर उन्हें अपनी आस्था, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए जागरुक करें... -@subhaskundarwal 

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अपने बच्चों को दें...
यदि आप पिता हैं, मां हैं या घर में बड़े हैं और बच्चें हैं, तो उनको भी प्रतिदिन थोड़ा समय अवश्य दें। उसके साथ बात करें। खेलें और संभव हो तो नियमित उनके साथ में मन्दिर भी जाएं। केवल मोबाइल और केबल टीवी से ही चिपके न रखें। आधे घंटे केलिए ही सहीं, उसे बंद करके वो आधे घंटे का समय बच्चों को दें... -धर्म नगरी 

और 
इस क्लिप को देखकर एकबार आप सोचने को विवश हो जाएंगे...

        

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मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को लेकर ऐसे संबोधन 
सम्भवतः आपने पहले कभी नहीं सुना होगा ! सुने...
Youtube link-

https://www.youtube.com/watch?v=JuAeBV90IYc&feature=youtu.be


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आप पढ़ रहे हैं- "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." (19 जनवरी) 
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कोरोना वैक्सीन आपको कब मिलेगी, देखें-


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इसे आप भी समझें, जाने कि... 
33 करोड़ देवी-देवता नहीं हैं, बल्कि 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के सनातन हिन्दू धर्म में हैं देवी-देवता। इसे आप अच्छी प्रकार से समझे और दूसरों को भी समझाएं, बताएं। विशेषकर उनको, जो सनातन धर्म के वैज्ञानिक पक्ष को नहीं समझते, मानते या अपनी मूर्खतावर्श उपहास कभी-कभार उपहास करते हों... 

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दो मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली, बेबाकी, उनके प्रति जनता की प्रतिक्रिया को दर्शाता ये व्यंग...


"यूपी के अस्पतालों में कुत्ते के बच्चे पैदा होते हैं"
आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती आठ दिन बाद मंगलवार को जेल से रिहा हो गए. जेल से बाहर आने के बाद भारती ने नौ जनवरी को अमेठी में दिए  बयान "यूपी के अस्पतालों में कुत्ते के बच्चे पैदा होते हैं" पर सफाई दी. विधायक भारती ने कहा, जो मैंने अमेठी में बयान दिया, सिद्धार्थ नाथ सिंह जो उत्तर प्रदेश के मंत्री हैं, उनके विधानसभा में प्राइमरी हेल्थ सेंटर में मुझे पहले कमरे में एक कुत्ते के आठ बच्चे दिखाई दिए,जो हाल ही में पैदा हुए थे. भारती ने कहा कि उस वीडियो को मैंने जारी किया है.

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आखिर क्या होता है ये 'लव जिहाद' ?
जानिए आसान भाषा में

https://www.aajtak.in/india/story/simple-word-definition-of-love-jihad-459095-2017-08-18
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कल का कॉलम पढ़ने हेतु  Link-

http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Monday-18-Jan-2021.html
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17 जनवरी का कॉलम पढ़ने हेतु  Link-

http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Sunday-17-Jan-2021.html
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16 जनवरी का कॉलम पढ़ने हेतु  Link-

http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Saturday-16-Jan-2021.html
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15 जनवरी का कॉलम पढ़ने हेतु  Link-

http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Friday-15-Jan-2021.html
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