#Ekadashi : हर क्षेत्र में सफलता देती है सफला एकादशी


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पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी अपने नाम के अनुसार पहल देती  है। मान्यता 
है, कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। सफलता के साथ आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। सफला एकादशी का व्रत तथा विधि-विधान से भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं, इच्छाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस खास दिन पर सफला एकादशी व्रत की कथा सुनना भी महत्वपूर्ण होता है। शनिवार (9 जनवरी) को पड़ने वाली एकादशी वर्ष 2021 की यह पहली एकादशी है।  

सफला एकादशी का मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 8 जनवरी को प्रातः 9:42 मिनट से शुरू। तिथि समाप्त- शाम 7:18 बजे 

एकादशी पूजा विधि-
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मन में स्मरण करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें । इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। 
ध्यान रखें, एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना उत्तम माना जाता है। दूसरे दिन 10 जनवरी (रविवार) सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेंट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन करें। इस दिन व्रत के सामान्य नियमों का पालन करें। साथ ही यथासम्भव सात्विक भोजन ही करना चाहिए। भोजन में उसे नमक का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इससे आपको हजारों यज्ञों के बराबर फल मिलेगा।

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सफला एकादशी की कथा-
पद्म पुराण में सफला एकादशी की जो कथा मिलती है उसके अनुसार महिष्मान नाम का एक राजा था। इनका ज्येष्ठ पुत्र लुम्पक पाप कर्मों में लिप्त रहता था। इससे नाराज होकर राजा ने अपने पुत्र को देश से बाहर निकाल दिया। लुम्पक जंगल में रहने लगा। पौष कृष्ण दशमी की रात में ठंड के कारण वह सो न सका।

सुबह होते होते ठंड से लुम्पक बेहोश हो गया। आधा दिन गुजर जाने के बाद जब बेहोशी दूर हुई तब जंगल से फल इकट्ठा करने लगा। शाम में सूर्यास्त के बाद यह अपनी किस्मत को कोसते हुए भगवान को याद करने लगा। एकादशी की रात भी अपने दुःखों पर विचार करते हुए लुम्पक सो न सका।
अनभिग्यता (अनजाने) में ही सही, लुम्पक से सफला एकादशी का व्रत पूरा हो गया। इस व्रत के प्रभाव से लुम्पक सुधर गया और इनके पिता ने अपना सारा राज्य लुम्पक को सौंप दिया और खुद तपस्या के लिए चले गये। काफी समय तक धर्म पूर्वक शासन करने के बाद लुम्पक भी तपस्या करने चला गया और मृत्यु के पश्चात इसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ।


जो लोग यह व्रत नहीं कर पाते, उनके लिए शास्त्रों में यह विधान है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। दैनिक जीवन के कार्य करते हुए भगवान का स्मरण करें। संध्या के समय पुनः भगवान की पूजा और आरती के बाद भगवान की कथा का पाठ करें। एकादशी के दिन चावल से बना भोजन, लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सावन न करें।

पद्म पुराण में सफला एकादशी की एक ही कथा के बारें में लिखा है। इसके अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया है कि सफला एकादशी व्रत के देवता श्री नारायण हैं। जो व्यक्ति सफला एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है। रात्रि में जागरण करते हैं ईश्वर का ध्यान और श्री हरि के अवतार एवं उनकी लीला कथाओं का पाठ करता है उनका व्रत सफल होता है। इस प्रकार से सफला एकादशी का व्रत करने वाले पर भगवान प्रसन्न होते हैं। व्यक्ति के जीवन में आने वाले दुःखों को पार करने में भगवान सहयोग करते हैं। जीवन का सुख प्राप्त कर व्यक्ति मृत्यु के पश्चात सद्गति को प्राप्त होता है।

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एकादशी को इनका ध्यान रखें-  
1. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। मान्यता है कि अगर इस दिन चावल खाया जाए तो अगले जन्म में व्यक्ति रेंगने वाला जीव बनता है।
2. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। साथ ही सात्विकता का पालन भी करना चाहिए।
3. एकादशी पर ब्रह्नाचार्य का पालन करना चाहिए।
4. इस दिन किसी भी व्यक्ति के साथ कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही लड़ाई-झगड़े से भी बचना चाहिए।
5. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। साथ ही शाम के समय भी नहीं सोना चाहिए।
6. इस दिन किसी को दान किया जाना बेहद उत्तम माना जाता है।
7. इस दिन अगर गंगा स्नान किया जाए तो बेहतर होता है।
8. अगर आपको विवाह संबंधी बाधा आ रही है तो एकादशी के दिन व्यक्ति को केसर, केला या हल्दी का दान करना चाहिए।
9. इस दिन जो व्यक्ति उपवास रखता है उसे धन, मान-सम्मान और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
10. इस दिन व्रत करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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