हथियारबंद दिल्ली पुलिस खामोश क्यों हुई ? 394 निर्दोष जवानों को...


...अस्पतालों में दाखिल कराने वाली दिल्ली पुलिस के मुखिया ने खोली जुबान 

ट्रैक्टर रैली में 26 जनवरी को हिंसक हुए किसान/तथाकथित किसान 
 
(धर्म नगरी / DN News) वाट्सएप- 6261868110
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2021) को दिल्ली की सड़कों पर किसान ट्रैक्टर रैली में, खुलेआम नंगी तलवारें लहराते देखने और अपने 394 निर्दोष जवानों को अस्पतालों में दाखिल कराने वाली दिल्ली पुलिस के मुखिया यानि पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने बुधवार शाम मुंह खोला। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस ने बताया, तब पता चला मंगलवार की हिंसक खूनी किसान रैली में दिल्ली पुलिस आखिर क्यों चुप रही ? इस चुप्पी के पीछे दिल्ली पुलिस की लाचारी-कमजोरी नहीं, वरन एक बड़े जनसंहार को रोकने की जबरदस्त रणनीति थी।

केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 65 दिनों से आंदोलन करने वाले किसानों ने मंगलवार (Republic Day) को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर रैली निकला। इस रैली की आड़ में हुई, हिंसा में दिल्ली पुलिस चुप कराई नहीं गयी, बल्कि उसने खुद चुप्पी साध ली थी। केवल विपरीत परिस्थितियों के कारण। जंग-ए-मैदान में “हार” कर भी एक यादगार “जीत” की आशा में। हालांकि, इस जीत और चुप्पी के लिए दिल्ली पुलिस को अपनों का खून बहाने को विवश होना पड़ा। हाथों में हथियार और कानूनी ताकत होने के बाद भी इस जीत के लिए दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। इस खूनी खेल के पीछे दिल्ली पुलिस ने बुधवार को उन दो नाम बताए, जो अब कानूनी रुप से दिल्ली पुलिस के “रडार” पर हैं।

ये दो किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे, जो सतनाम सिंह पन्नू और बूटा सिंह बुर्ज हैं। ये वे नाम हैं जिन्होंने बाकी तमाम नेताओं के साथ लिखित में दिल्ली पुलिस को गारंटी दी थी, कि 26 जनवरी को दिल्ली में आयोजित होने वाली किसान ट्रैक्टर रैली में कोई हिंसा नहीं होगी। परन्तु, हुआ इसका बिलकुल उल्टा। विपरीत हालातों के बीच फंसी हथियारबंद दिल्ली पुलिस को केवल इसलिए चुप होना पड़ा, कि सतनाम सिंह पन्नू, बूटा सिंह बुर्ज जैसी घिनौनी मानसिकता वाले कथित किसान नेता कहीं दिल्ली पुलिस को कटघरे में न ले जाकर खड़ा कर दें।

        एसएन श्रीवास्तव, कमिश्नर दिल्ली पुलिस   
लिखित गारंटी देने के बाद भी पलटे-  
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इन दोनो कथित किसान का नेताओं का नाम लेते हुए कहा, “यह किसान नेता लिखित गारंटी लेने के बाद भी वायदे से पलट गए। पन्नू ने तो बाकायदा सिंघु बार्डर पर किसानों के बीच खुलेआम भड़काऊ भाषण तक दिया, जो ट्रैक्टर रैली में हिंसा फैलाने के लिए आग में घी का काम कर गया।”
सतनाम और बूटा सिंह बुर्ज को लेकर उन्होंने घटना वाले दिन के कई सीसीटीवी/ वीडियो फुटेज दिखाये। जिनमें पन्नू किसानों के बीच बढ़चढ़ कर ऐसा भाषण देते देखे और सुने गये जिससे, बबाल मचना तय था। यह अलग बात है कि, अब जब जान सांसत में फंस गई और घटना वाले दिन मार खाकर भी चुप रहने वाली दिल्ली पुलिस ने घेरना शुरु किया, तो पन्नू ट्रैक्टर रैली में हिंसा की जिम्मेदारी का ठीकरा और तमाम लोगों के सिर फोड़ने में भी शर्म नहीं कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है, कि किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा में बुधवार (27 जनवरी) की सुबह तक 15 मामले दर्ज किए गए थे। मंगलवार पूरे दिन चले तथाकथित किसानों के तांडव में 86 पुलिसकर्मी घायल हुए। रैली के रूट से हटकर उग्र होकर लाल किले में पहुंचे सभी प्रदर्शनकारियों को किले से बाहर निकाल दिया।  पूरे किले में भारी फोर्स की तैनाती की गई। लाल किला मेट्रो स्टेशन पर प्रवेश को बंद कर दिया।  

पुलिस के बयान में कहा गया-"'दिल्ली पुलिस के मनाने के बावजूद, घोड़ों पर निहंगो, जो तलवार, कृपाण और फरसा वगैरह से सुसज्जित थे, उनके नेतृत्व में किसान पुलिस पर हावी हो गए और कई लाइनों की बैरिकेडिंग तोड़ दी, जो मुबरका चौक और ट्रांसपोर्ट नगर के बीच में लगाए गए थे." 

पुलिस ने अपने बयान में यह भी कहा, कि आईटीओ में- जहां पुलिस का हेडक्वार्टर है- वहां गाज़ीपुर और सिंघु बॉर्डर से किसानों का बड़ा समूह आया था और नई दिल्ली की ओर जाने की कोशिश कर रहा था. यहां उन्हें रोका गया तो हिंसा शुरू हो गई. मुकरबा चौक, गाज़ीपुर, आईटीओ, सीमापुरी, नांगलोई टी पॉइंट, टिकरी बॉर्डर और लाल किले पर अधिकांश हिंसा हुई, जिसमें 86 पुलिसकर्मी घायल हुए. आठ बसों सहित 17 निजी गाड़ियों को हानि पहुंचाई गई. सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स भी तोड़े थे

पुलिस ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस के साथ कई बैठकें की थीं और आश्वासन दिया था कि प्रस्तावित योजना के तहत शांतिपूर्ण रैली निकाली जाएगी, लेकिन मंगलवार की सुबह रैली शुरू होने के बहुत पहले- सुबह 8 बजे से ही बवाल शुरू हो गया. पुलिस के अनुसार, सिंघु बॉर्डर पर सुबह साढ़े आठ बजे तक कम से कम 6,000 से 7,000 ट्रैक्टर इकट्ठा हो गए और तय किए गए रूट की बजाय सेंट्रल दिल्ली में जाने देने की मांग कर रहे थे

कृषि कानून के खिलाफ बीते दो महीनों से आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली की सीमाओं के आसपास ट्रैक्टर रैली निकाली। कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच भिड़ंत हुई। पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। पुलिस को चकमा देते हुए किसान लाल किले तक पहुंच गए।
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