#Social_Media से : गांधी जी ने ऐसे कौन से काम किए थे जो वाकई में...
शर्मसार करने वाले थे ?
ऐसे काम तो बहुत किए है इसने कुछ है मोहनदास करमचंद गाँधी के काले कारनामे ! जो बहुत कम लोग जानते हैं।
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड ( 1919 ) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए । गान्धी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया ।
2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं , किन्तु गान्धी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया । क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है ।
3.6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी ।
4.मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की । तो भी केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया । गान्धी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया , वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया ।
5.1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द जी की हत्या अब्दुल रशीद नामक एक मुस्लिम युवक ने कर दी , इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र विरोधी तथा हिन्दु - मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया ।
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Disclaimer : लेख सोशल मीडिया से लिया गया है, जिसमें व्यक्त समस्त मत, विचार, तथ्य या घटना सत्य ही हों, ऐसा दावा हम नहीं करते -संपादक
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6.गान्धी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी , महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा ।
7.गान्धी ने जहाँ एक ओर काश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को काश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया , वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया ।
8. यह गान्धी ही था जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे - आज़म की उपाधि दी ।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति ( 1931 ) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया ।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहा था , अत : सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून , 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय काँग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था- देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला-बदली का आग्रह किया, जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया , उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था । केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी ।
17.गाँधी ने गौ हत्या पर पर्तिबंध लगाने का विरोध किया
18. द्वितीया विश्वा युध मे गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन का लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया , जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है
19. क्या 50000 हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की 5 टाइम की नमाज़ ? विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए 5,000 हिंदू ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी ... मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को 5 टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी .. इसलिए उस ने माना कर दिया . .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा .... फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया .... और वो हिंदू --- गाँधी मरता है तो मरने दो के नारे लगा कर वाहा से भीगते हुए गये थे .... , रिपोर्ट - जस्टिस कपूर .. सुप्रीम कोर्ट... फॉर गाँधी वध क्यो ?
20. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, लगभग 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम लगभग सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातोंरात ले जा ब्यास नदी के किनारे जला दिए गए। जो में मुकदमे की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह अपने विचार सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन विचारों को तवज्जो दी थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह हिंदुस्तानी अवाम के परख गए थे। उनकी लोकप्रियता से राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया , उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था । केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी ।
17.गाँधी ने गौ हत्या पर पर्तिबंध लगाने का विरोध किया
18. द्वितीया विश्वा युध मे गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन का लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया , जबकि वो हमेशा अहिंसा की पीपनी बजाते है
19. क्या 50000 हिंदू की जान से बढ़ कर थी मुसलमान की 5 टाइम की नमाज़ ? विभाजन के बाद दिल्ली की जमा मस्जिद मे पानी और ठंड से बचने के लिए 5,000 हिंदू ने जामा मस्जिद मे पनाह ले रखी थी ... मुसलमानो ने इसका विरोध किया पर हिंदू को 5 टाइम नमाज़ से ज़यादा कीमती अपनी जान लगी .. इसलिए उस ने माना कर दिया . .. उस समय गाँधी नाम का वो शैतान बरसते पानी मे बैठ गया धरने पर की जब तक हिंदू को मस्जिद से भगाया नही जाता तब तक गाँधी यहा से नही जाएगा .... फिर पुलिस ने मजबूर हो कर उन हिंदू को मार मार कर बरसते पानी मे भगाया .... और वो हिंदू --- गाँधी मरता है तो मरने दो के नारे लगा कर वाहा से भीगते हुए गये थे .... , रिपोर्ट - जस्टिस कपूर .. सुप्रीम कोर्ट... फॉर गाँधी वध क्यो ?
20. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को फांसी लगाई जानी थी, लगभग 8 बजे। लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम लगभग सात बजे फांसी लगा दी गई और शव रिश्तेदारों को न देकर रातोंरात ले जा ब्यास नदी के किनारे जला दिए गए। जो में मुकदमे की पूरी कार्यवाही के दौरान भगत सिंह ने जिस तरह अपने विचार सबके सामने रखे थे और अखबारों ने जिस तरह इन विचारों को तवज्जो दी थी, उससे ये तीनों, खासकर भगत सिंह हिंदुस्तानी अवाम के परख गए थे। उनकी लोकप्रियता से राजनीतिक लोभियों को समस्या होने लगी थी।
उनकी लोकप्रियता महात्मा गांधी को मात देनी शुरू हुई थी। कांग्रेस तक में मजबूत दबाव था कि इनकी फांसी की सज़ा कम से कम कुछ दिन बाद होने के पार्टी के सम्मेलन तक टलवा दी जाए। लेकिन अड़ियल महात्मा ने ऐसा नहीं होने दिया। चंद दिनों के भीतर ही ऐतिहासिक गांधी - इरविन समझौता हुआ जिसमें ब्रिटिश सरकार सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हो गई। सोचिए, अगर गांधी ने दबाव बनाया होता तो भगत सिंह भी रिहा हो सकते थे क्योंकि हिंदुस्तानी जनता सड़कों पर उतरकर उन्हें ज़रूर राजनीतिक कैदी मनवाने में कामयाब रहती। लेकिन गांधी दिल से ऐसा नहीं चाहते थे क्योंकि तब भगत सिंह के आगे उन्हें किनारे होना पड़ेगा।
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आवश्यकता है- "धर्म नगरी" का प्रसार हर जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों- शहरी (वार्ड, कालोनी तक) ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) में स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की। यदि आप राष्ट्रवादी विचारधारा के हैं एवं स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं, तो सम्पर्क कर सकते हैं। वेतन- अनुभवानुसार एवं कमीशन योग्यतानुसार होगा। देश के बड़े जिलों एवं तीर्थ क्षेत्रों तथा राज्य की राजधानी में पार्टनर-कम-ब्यूरो चीफ नियुक्त करना है।सम्पर्क- वाट्सएप- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@ gmail.com
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