#Gujrat : मोदी बने श्री सोमनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष
पूर्व PM मोरारजी के बाद PM मोदी बने चेयरमैन
श्री सोमनाथ मंदिर परिसर में नरेंद्र मोदी, अमित शाह |
राजेश पाठक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सर्वसम्मति से श्री सोमनाथ मंदिर न्यास के अगले अध्यक्ष चुने गए। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी अध्यक्ष रह चुके है, बाद पीएम मोदी दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें मंदिर न्यास का अध्यक्ष चुना गया है। न्यास के सचिव पीके लाहेरी ने कहा, कि मंदिर न्यास के न्यासियों (Trustees) में सम्मिलित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज सोमवार (18 जनवरी) न्यासियों की डिजिटल बैठक के दौरान नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पीएम मोदी न्यास के आठवें अध्यक्ष बने हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सर्वसम्मति से श्री सोमनाथ मंदिर न्यास के अगले अध्यक्ष चुने गए। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी अध्यक्ष रह चुके है, बाद पीएम मोदी दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें मंदिर न्यास का अध्यक्ष चुना गया है। न्यास के सचिव पीके लाहेरी ने कहा, कि मंदिर न्यास के न्यासियों (Trustees) में सम्मिलित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज सोमवार (18 जनवरी) न्यासियों की डिजिटल बैठक के दौरान नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पीएम मोदी न्यास के आठवें अध्यक्ष बने हैं।
न्यास गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के प्रभास पाटन नगर में स्थित विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन करता है। श्री सोमनाथ न्यास की वर्चुअल माध्यम से हुई बैठक में मोदी को अध्यक्ष चुना गया। प्रधानमंत्री भी इस बैठक में उपस्थित थे। बैठक में सुविधाओं, वर्तमान गतिविधियों और परियोजनाओं की भी समीक्षा की एवं न्यासियों ने न्यास के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत केशुभाई पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मोरारजी देसाई भी रहे अध्यक्ष-
ट्रस्ट के पूर्व में कई प्रमुख हस्तियां चेयरमैन रह चुकी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी भी ट्रस्ट के चेयरमैन रह चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री देसाई के बाद मोदी दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें इस मंदिर न्यास का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पिछले साल अक्तूबर में न्यास के निवर्तमान अध्यक्ष गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल के निधन के बाद सोमनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष का पद रिक्त था। स्वर्गीय पटेल 16 सालों तक (2004-2020) इस न्यास के अध्यक्ष रहे। न्यास के रिकॉर्ड के अनुसार देसाई ने 1967 से 1995 तक न्यास के अध्यक्ष के रूप में अपनी सेवा दी थी।
सोमनाथ मंदिर न्यास, इसके दायित्व-
सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट 8 सदस्यों का ट्रस्टी बोर्ड है। इसमें 7 सदस्य हैं. इन सात सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे, जो अब अध्यक्ष हो गए। सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों की सदस्यता तब तक आजीवन मानी जाती है, जब तक वो त्यागपत्र न दें या किसी कारण से ट्रस्टी बोर्ड उन्हे उन्हें न हटाए। सोमनाथ ट्रस्ट ही प्रभास पाटन स्थित सभी 64 मंदिरों का प्रबंधन देखता है. इसके अतिरिक्त ट्रस्ट के पास 2,000 एकड़ भूमि भी है. ट्रस्ट की दूसरे दायित्व (जिम्मेदारियों) में धन एकत्र करना और मंदिर से संबंधित सभी देखभाल के कार्यों का संचालन करना है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया- "प्रधानमंत्री श्री @narendramodi को सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष बनने पर हृदयपूर्वक बधाई देता हूँ। सोमनाथ तीर्थ क्षेत्र के विकास के प्रति मोदी जी का समर्पण अद्भुत रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मोदी जी की अध्यक्षता में ट्रस्ट, सोमनाथ मंदिर की गरिमा व भव्यता को और बढ़ाएगा।"
सोमनाथ मंदिर भारत के पंश्चिम तट पर गुजरात के वेरावल के पास प्रभास पाटन में स्थित है। 12 ज्योतिर्लिग में से सोमनाथ पहला ज्योतिर्लिग है। भारत के पौराणिक मंदिरों में से एक है। तीर्थस्थान और दर्शनीय स्थल है। अनेक प्राचीन ग्रंथों एवं पौराणिक कथाओं के आधार पर इस स्थान को बहुत पवित्र माना जाता है। सोमनाथ मंदिर और दक्षिण धुव (South smoke) के बीच में पृथ्वी का कोई भूभाग नहीं है। मंदिर के पहले भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में यह कहा जाता है, कि यह पार्वती जी का मंदिर है। वर्तमान में मंदिर की मरम्मत, देख-रेख व संचालन (Operations) का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। प्रतिदिन तीन आरतियां होती है, सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे। कहा जाता है की इसी मंदिर के पास भालका नाम की जगह है जहां भगवान कृष्ण ने धरती पर अपनी लीला समाप्त की थी।
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अमित शाह ने दी शुभकामना-
सोमनाथ मंदिर शाश्वत तीर्थस्थान के नाम से जाना जाता है। मंदिर की चोटी पर 37 फ़ीट लंबा एक खम्बा है जिस पर ध्वज है जो दिन में तीन बार बदलता है। वर्तमान सोमनाथ मंदिर का निर्माण 1950 में शुरू हुआ था। मंदिर में ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठान का कार्य भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने किया था। (श्रद्धेय राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. राजेंद्र प्रसाद के मंदिर के उद्घाटन में जाने पर तब PM जवाहरलाल नेहरू द्वारा आपत्ति करने की घटना बहुत चर्चित रही, जो नेहरू के हिन्दू-विरोधी व तुष्टिकरण की मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण है. नेहरू ने अपने पद एवं पॉवर का बड़ा दुरूपयोग करते हुए हिन्दुओं के खिलाफ अनेक कानून बनाए, जिनमे मंदिर एक्ट भी है. जबकि पहला लोकसभा चुनाव गौ-वंश की संपूर्ण रक्षा व् देशभर में हत्या पर निशेध के कारण जीता, लेकिन उस एक्ट को नहीं बनाया। जबकि उसका वचन तब उन्होंने इलाहाबाद (प्रयागराज) सीट से लोकसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी एवं प्रातः स्मरणीय ब्रह्मचारीजी को दिया था. इस पर हम शोध कर रहे हैं, अभी संसाधनों की कमी है, विस्तार से लेख लिखेंगे -राजेशपाठक, राष्ट्रवादी पत्रकार एवं अवैतनिक संपादक-धर्म नगरी, डीएन न्यूज़ 9752404020)
मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। प्रतिदिन तीन आरतियां होती है, सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे। कहा जाता है की इसी मंदिर के पास भालका नाम की जगह है जहां भगवान कृष्ण ने धरती पर अपनी लीला समाप्त की थी।
मरम्मत का कार्य पहली बार सरदार ने लिया-
मंदिर की मरम्मत का कार्य पहली बार 1947 में सरदार वल्लभाई (तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री व गृहमंत्री ने जूनागढ दौरे के दौरान इस मंदिर का दर्शन किया. उसी समय उन्होंने मंदिर के मरम्मत का निर्णय लिया। उनकी मृत्यु के बाद मंदिर की मरम्मत का कार्य उस समय भारत के एक मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को सौंपा गया। जे.गॉर्डोन मेल्टन के पारंपरिक दस्तावेजों के अनुसार सोमनाथ में बने पहले शिव मंदिर को बहुत ही पुराने समय में बनाया गया था और दूसरे मंदिर को वल्लभी के राजा ने 649 CE में बनाया था।
मंदिर की मरम्मत का कार्य पहली बार 1947 में सरदार वल्लभाई (तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री व गृहमंत्री ने जूनागढ दौरे के दौरान इस मंदिर का दर्शन किया. उसी समय उन्होंने मंदिर के मरम्मत का निर्णय लिया। उनकी मृत्यु के बाद मंदिर की मरम्मत का कार्य उस समय भारत के एक मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को सौंपा गया। जे.गॉर्डोन मेल्टन के पारंपरिक दस्तावेजों के अनुसार सोमनाथ में बने पहले शिव मंदिर को बहुत ही पुराने समय में बनाया गया था और दूसरे मंदिर को वल्लभी के राजा ने 649 CE में बनाया था।
गजनवी ने मंदिर को नष्ट कर दिया-
सन 1026 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था। कहा जाता है कि अरब यात्री अल-बरुनी के अपने यात्रा वृतान्त में मंदिर का उल्लेख देख गजनवी ने करीब 5 हजार साथियों के साथ इस मंदिर पर हमला कर दिया था। बनाते है, सबसे पहले एक मंदिर ईसा के पूर्व में अस्तित्व में था जिस जगह पर दूसरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया।
आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी। प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया। मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा। महमूद गजनवी यमीनी वंश के तुर्क सरदार और गजनी के शासक सबुक्तगीन का बेटा था। सुल्तान महमूद का जन्म 971 में हुआ था। उसने 27 साल की उम्र में ही गद्दी संभाली थी। वह बचपन से भारत की संपत्ति (धन-दौलत) के बारे में सुनता आया था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया। वह भारत की संपत्ति लूटकर ले जाना चाहता था। आक्रमणों का यह सिलसिला 1001 से शुरू हुआ था।
गजनवी के हमले के बाद राजा भोज ने कराया निर्माण-
गजनवी के हमले के बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका र्निर्माण कराया। साल 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया तो इसे फिर गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया। बता दें कि इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया।
गजनवी के हमले के बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका र्निर्माण कराया। साल 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया तो इसे फिर गिराया गया। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया। बता दें कि इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया।
दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर सन् 1297 में कब्जा किया, तो मंदिर को पाँचवी बार गिराया गया। इस समय जो मंदिर है, उसे भारत के गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने बनवाया और 1 दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्माने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। 1948 में प्रभासतीर्थ प्रभास पाटण के नाम से जाना जाता था। इसी नाम से इसकी तहसील और नगर पालिका थी।
1665 में औरंगजेब ने तुड़वाया-
सोमनाथ मंदिर को तोडने के लिए सन् 1665 में मुगल शासक औरंगजेब ने आदेश दे दिया था। बाद में इस मंदिर का पुन: निर्माण किया गया था। फिर पुणे के पेशवा, नागपुर के राजा भोसले, कोल्हापुर के छत्रपति भोंसले, अहिल्याबाई होलकर और ग्वालियर के श्रीमंत पाटिलबूआ शिदें के सामूहिक सहयोग से 1783 में इस मंदिर का मरम्मत करवाया गया। अलाउदीन खिलजी के द्वारा सन् 1296 में मंदिर को क्षतिग्रस्त कर गिरा दिया था, लेकिन बाद में गुजरात के राजा करण ने इसका बचाव किया था। अफगान शासक ने सन् 1024 में मंदिर को क्षति पहोचकार गिरा दिया था। फिर परमार राजा भोज और सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 से 1042 के बिच इसका पुनर्निर्माण करवाया। माना जाता है, कि लकडियों की सहायता से मंदिर का पुनर्निर्माण किया था, लेकिन बाद में कुमारपाल ने इसे बदलकर पत्थरों का बनवाया था।
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स्टेच्यू ऑफ यूनिटी : यह स्थान भारत का तीर्थस्थल बन गया -PM मोदी
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"आज 19 जनवरी सोमवार : प्रमुख समाचार पत्रों की "हेड लाइन्स" Link-
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