जब "साइंस" Science शब्द भी नहीं था, तब...


 भारत में नवग्रहों की पूजा होती थी...

- जब दुनिया में कोई वाहन नहीं थे, तब भारत के पास बड़े-बड़े वायुयान हुआ करते थे
- पढ़ें पुष्पक विमान का रहस्य, तकनीकि एवं उल्लेख  

पुष्पक विमान का आयोध्या में आगमन (प्रतीकात्मक) : @DharmNagari 

(धर्म नगरी / DN News) वाट्सएप- 6261868110 
1. जब "साइंस" (Science) शब्द भी नहीं था, तब भारत में नवग्रहों की पूजा होती थी...

2. जब पश्चिम के लोग कपडे पहनना नहीं जानते थे, तब भारत रेशम के कपडों का व्यापार करता था...

3. जब कहीं भ्रमण करने का कोई साधन स्कूटर मोटरसाईकल, जहाज इत्यादि नहीं थे, तब भारत के पास बड़े-
बड़े वायुयान (विमान) हुआ करते थे। इसका उदाहरण बीते दशक में अफगानिस्तान में निकला। विमान महाभारत कालीन है, जिसके पास जाते ही वहाँ के सैनिक गायब हो जाते हैं। जिसे देखकर आज का विज्ञान भी हैरान है... द्वापर युग के प्रभु श्रीराम कालीन पुष्पक विमान से श्रीलंका से अयोध्या वापस लौटे थे

4. जब डाक्टर्स नहीं थे, तब सहज में स्वस्थ होने की बहुत सी औषधियों का ज्ञाता था, भारत देश सौर ऊर्जा की शक्ति का ज्ञाता था भारत देश। चरक और धनवंतरी जैसे महान आयुर्वेद के आचार्य थे भारत देश में...

5. जब लोगों के पास हथियार के नाम पर लकडी के टुकडे हुआ करते थे, 
उस समय भारत देश ने आग्नेयास्त्र, प्राक्षेपास्त्र, वायव्य अस्त्र 
बड़े-बड़े परमाणु हथियारों का ज्ञाता था भारत...

6. हमारे इतिहास पर रिसर्च करके ही अल्बर्ट आईंसटाईन ने अणु परमाणु पर खोज की है...

7. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके नासा अंतरिक्ष में ग्रहों की खोज कर रहा है... 

8. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रूस और अमेरीका 
बड़े-बड़े हथियार बना रहा है...

9. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके रूस, ब्रिटेन, अमेरीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया 
बड़े-बड़े देश बचपन से ही बच्चों को संस्कृत सिखा रहे हैं स्कूलों मे...

10. आज हमारे इतिहास पर रिसर्च करके वहाँ के डाक्टर्स बिना इंजेक्शन, बिना अंग्रेजी दवाईयों के केवल ॐकार का जप करने से लोगों के हार्ट अटैक, बीपी, पेट, सिर, गले छाती की बडी बडी बिमारियाँ ठीक कर रहे हैं। 
कार थैरपी का नाम देकर इस नाम से बडे-बडे हॉस्पिटल खोल रहे हैं और हम किस दुनिया में जी रहे हैं ?

अपने इतिहास पर गौरव करने की बजाय हम अपने इतिहास को भूलते जा रहे हैं। हम अपनी महिमा को भूलते जा रहे हैं।
#एक_ही_विकल्प_हिंदुत्व_ #हिन्दू_राष्ट्र 
Fb- DharmNagari group 
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पुष्पक विमान #विकिपीडिया से साभार    

लंकाधिपति रावण ने माता सीता का अपहरण करके पुष्पक विमान (Pushpak Aircraft) द्वारा ही अयोध्या लेकर गया था. महर्षि वाल्मिकी कृत रामायण में इसका वर्णन मिलता है, कि पंचवटी आश्रम से माता सीता का हरण करके रावण पुष्पक विमान से लंका की ओर उड़ चला. रास्ते में जटायु ने माता सीता को बचाने का प्रयास किया. जटायु ने पुष्पक विमान में सवार रावण पर हमले किए, लेकिन रावण की ताकत के आगे विवश वो माता सीता को बचा न सका. हवाई मार्ग से पलक झपकते ही रावण माता सीता को लेकर अपनी सोने की नगरी श्रीलंका पहुंच गया. इसके साथ ही प्रयागराज में निवास करने वाले हर्षि अगस्त्य ने भी अपने ग्रन्थ- "वैमानिकी शास्त्र" में विमान या वायुयान की तकनीकी, कार्यशैली का वर्णन किया है.  

कहते हैं, पुष्पक विमान आज के विमान की तरह था. पुष्पक विमान के जरिए रावण हवाई मार्ग से सफर किया करता था. रावण को मौत के घाट उतारने के बाद उसी विमान के जरिए प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण लंका से अयोध्या लौटे थे. रामायण में जिस तरह से पुष्पक विमान का जिक्र मिलता है, उससे यही लगता है, कि ये आज के हवाई जहाज की तरह था, लेकिन तकनीक के मामले में मॉर्डर्न एयरोप्लेन से कहीं आगे था.

पुष्पक विमान का रहस्य- 
कहते हैं, पुष्पक विमान की तरह रावण के पास कई लड़ाकू विमान थे. पौराणिक कथाओं के अनुसार, पुष्पक विमान को विश्वकर्मा ने बनाया  और इसे उपहारस्वरूप उन्होंने ब्रह्मा को सौंप दिया था. अन्य कथाओं के अनुसार, पुष्पक विमान को ब्रह्मा ने ही बनाया था. ब्रह्मा ने ये विमान कुबेर को भेंट कर दिया था. अपने शक्ति के बल पर रावण ने कुबेर से इस विमान को छीन लिया. उसके बाद रावण अपनी इच्छानुसान इसका उपयोग करने लगा. पुष्पक विमान की वजह से रावण की सैन्य शक्ति में बढ़ोत्तरी हुई 

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आवश्यकता है- आर्थिक रूप से सम्पन्न राष्ट्रवादी विचारधारा के हिन्दुत्व के समर्थक सम्पन्न व्यक्ति की आवश्यकता है जो "धर्म नगरी" के (विस्तार हेतु) संरक्षक-कम-संपादक बनना चाहें। धर्म नगरी का हर जिले में विस्तार के लिए तुरंत आवश्यकता है विस्तार के अंतर्गत शहरी (वार्ड, कालोनी तक) व ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की नियुक्ति के साथ प्रत्येक जिले में वर्षभर में एक से तीन सेमिनार / गोष्ठी / सार्वजनिक आयोजन किए जाने हैं सम्पर्क- वाट्सएप- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com
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पुष्पक विमान की विशेषताएं- 
पुष्पक विमान अनेक विशेषताओं वाला एक लड़ाकू विमान था. रामायण के सुंदरकांड के सप्तम अध्याय में पुष्पक विमान के बारे में जानकारी मिलती है. पुष्पक विमान की आकृति मोर की तरह थी और यह अग्नि और वायु उर्जा से उड़ान भरता था. इसकी तकनीक इतनी उत्कृष्ट थी, कि इसका आकार छोटा और बड़ा किया जा सकता था.

कहा जाता है कि रावण अपनी पूरी सेना को साथ लेकर इस विमान से उड़ान भर सकता था. पुष्पक विमान अपने चालक की इच्छा की अनुसार गति पकड़ता था. ये मन की गति से उड़ान भर सकता था. यानी सोचने भर से ही वो इच्छित जगह पर पहुंचा देता था. ये सारी दिशाओं में उड़ान भर सकता था.

ये सभी मौसम में उड़ान भरने योग्य वातानुकूलित (एसी) विमान था. कहाते हैं, कि इस विमान में सोने के खंभे लगे थे. इसकी सीढ़ियों पर कीमती रत्न जड़े थे. इसमें कई कैबिन बने थे. विमान में नीलम से बना एक सिंहासन भी था. विमान में बैठने के लिए कई आसन बने थे. विमान कई प्रकार के चित्रों और जालियों से सुसज्जित था. पुष्पक विमान दिन के साथ रात में भी उड़ान भरने के योग्य था.

रिमोट से संचालित होता था !
कहा जाता है कि पुष्पक विमान मंत्रों के जरिए सिद्ध था. विमान का चालक जब उन मंत्रों का जाप करता, तभी वो उड़ान भर पाता था. ये एक तरह से रिमोट से संचालित विमान की तरह था. पौराणिक कथाओं के अनुसार पुष्पक विमान केवल एक जगह से दूसरी जगह ही नहीं, बल्कि दूसरे ग्रह तक की यात्रा करने में सक्षम था. यानी ये एक तरह का अंतरिक्षयान था. पूरा विमान सोने का बना था.

रावण की मौत के बाद क्या हुआ ?
प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय पाई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, युद्ध के बाद भगवान श्रीराम ने विमान का पूजन कर ये दिव्य विमान वापस कुबेर को सौंप दिया. कुबेर ने पुष्पक विमान को भेंट स्वरूप प्रभु श्रीराम को दे दिया. जिसके बाद इसी पुष्पक विमान से प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या पहुंचे.

पुष्पक विमान : पौराणिक कथाएं-
पुष्पक विमान को लेकर कई दूसरी पौराणिक कथाएं भी हैं. इनमें प्राचीन काल में उन्नत तकनीक वाले विमानों के बारे में पता चलता है. स्कंद पुराण के खंड तीन अध्याय 23 में इसका उल्लेख मिलता है. कहा जाता है कि ऋषि कर्दम ने अपनी पत्नी को खुश करने के लिए एक विमान बनाया था. इस विमान के जरिए कहीं भी आया जाया जा सकता था. ऋषि कर्दम के बनाए विमान में भी पुष्पक विमान वाली विशेषताएं थीं.

ऋग्वेद के 36वें सूक्त में एक विमान का उल्लेख मिलता है. पंडित मधुसूदन सरस्वती ने इंद्रविजय नाम के ग्रंथ में लिखा है कि ऋगवेद में इसका जिक्र मिलता है, कि प्राचीन काल में ऋषियों ने तीन-पहिया वाले एक रथ का निर्माण किया था. ये रथ अंतरिक्ष में भी उड़ान भर सकता था. रामायण में मेघनाथ के भी उड़ने वाले रथ का प्रयोग करने की जानकारी मिलती है.

कहा जाता है, कि ईसापूर्व चौथी शताब्दी में महर्षि भारद्वाज ने बाकायदा वैमानिकी शास्त्र लिखी थी. इसमें अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले विमान बनाने की जानकारी दी गई थी. कहा जाता है कि महर्षि भारद्वाज ने जिस तरह से विमान बनाने की जानकारी दी था, वो आज के विमान बनाने की तकनीक से कहीं आगे था.

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1 comment:

  1. #हिन्दू_मांगे_हिंदुराष्ट्र
    दुनिया में सबसे प्राचीन
    पूर्ण रूप से वैज्ञानिक कसौटी पर खरा
    प्रकृति एवं मनुष्यता का पोषक
    365 दिन पर्व-त्यौहार-परम्पराओं से आनंद देने वाला केवल और केवल एकमात्र "सनातन हिन्दू धर्म है
    ये विडंबना है #Hindu अपने शौर्य इतिहास को भूल गया www.twitter.com/Bakvasnahi

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