राजपथ से- आँखों देखी : 72वें गणतंत्र दिवस परेड


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 -राजेश पाठक 
कोरोना काल में पहली बार मनाया गया गणतंत्र दिवस कुछ बदला-बदला सा दिखा। राजपथ दिल्ली के परेड में अगर कुछ नहीं बदला, तो इस देश की समृद्ध, सशक्त सांस्कृतिक एवं सामरिक रक्षा की क्षमता। एक मिनट में 60 हजार फिट ऊँचाई तक जाने वाला और परमाणु हमला करने वाला रफाल पहली बार (परेड के अंत में) गरजते हुए सम्मिलित हुआ...

72वें गणतंत्र दिवस समारोह भारत की सैन्य शक्ति सांस्कृतिक विविधता सामाजिक और आर्थिक प्रगित की झलक राजपथ पर देखने को मिला। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष परेड के मार्ग को छोटा कर दिया गया। परेड पहले की तरह विजय चौक से शुरू हुई, लेकिन लालकिले पर समाप्त होने के बजाय यह नेशनल स्टेडियम तक ही गई। 
इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह में लगभग 25 हजार दर्शकों को ही प्रवेश की अनुमति मिली, जबकि पहले एक लाख 15 हजार से ज्यादा लोग रहते थे। समारोह में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा वैसे बुजुर्ग जिन्हें कोई बीमारी है उन्हें समारोह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। इस वर्ष परेड में कोई विदेश ये या मुख्य अतिथि भी नहीं थे। 

गणतंत्र दिवस परेड में कुल 32 झांकियों ने भाग लिया, जिनमें 17 झांकियां राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रहीं। जबकि नौ झांकियां विभिन्न मंत्रालय विभागों और अर्द्धसैनिक बलों की और 6 झांकियां रक्षा मंत्रालय की होंगी। इन झांकियों द्वारा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत आर्थिक प्रगति और रक्षा शक्ति का प्रदर्शन किया गया। वहीं, स्कूली बच्चों द्वारा लोक कला का प्रदर्शन किया। 122 सदस्यीय बांग्लादेश सशस्त्र बल की टुकड़ी ने भी राजपथ पर परेड में हिस्सा लिया। गणतंत्र दिवस परेड का समापन 900 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ते हुए राफेल युद्ध विमान द्वारा वर्टिकल कलाबाजी से होगा।

PM मोदी ने पहनी हलारी पगड़ी
हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री की पगड़ी आकर्षण का विशेष केंद्र रहती है. इस साल भी 72वें गणतंत्र दिवस के समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक खास पगड़ी में नजर आए. ये पगड़ी जामनगर के शाही परिवार ने प्रधानमंत्री को उपहार में दी थी.  
जामनगर की सांसद पूनमबेन मादाम ने ट्वीट कर लिखा कि पारंपरिक 'हलारी पगड़ी' हमारे क्षेत्र की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करती है. उन्होंने लिखा,  'जामनगर अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है. गणतंत्र दिवस के मौके पर माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जामनगर की हलारी पगड़ी में देखना गर्व की बात है.'

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प्रधानमंत्री मोदी ने 72वें गणतंत्र दिवस पर पगड़ी के साथ पारंपरिक कुर्ता, पायजामा और ग्रे रंग की जैकेट पहनी। साथ में उन्होंने मास्क भी लगाया था। हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की पगड़ी आकर्षण का विशेष केंद्र रहती है। जाने कब, कैसी पगड़ी पहनी-
71वें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2020) को उन्होंने भगवा रंग की 'बंधेज' पगड़ी पहना
2014 में स्वतंत्र दिवस के भाषण के लिए लाल रंग का जोधपुरी बंधेज साफा पहना, जिसका पिछला हिस्सा हरे रंग का था.
2015 में पीएम ने पीले रंग का साफा पहना, जिस पर कई रंग की धारियां बनी हुईं थीं
2016 में गुलाबी और पीले रंग का साफा बांधा था.
2017 में पीएम मोदी ने गहरे लाल और पीले रंग की पगड़ी पहनी
2018 में वो भगवा रंग का साफा बांधकर लाल किले पर आए
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अब पढ़ें, गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2021) को राजपथ दिल्ली पर सम्पन्न परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जो कोरोना और किसानों की दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के कारण प्रभावित हुआ. 
गणतंत्र दिवस पर मंत्रालयों, विभागों की झाँकियों के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियों एवं वायुसेना के विमानों के प्रदर्शन की संक्षिप्त में रिपोर्ट...

- डीआरडीओ की झाँकी, डीआरडीओ द्वारा वर्तमान में विकसित उत्पादन प्रणालियों का मूल्य 304 करोड़ का उत्पादन होता है। एंटी टैंक गाइडेड मिशाइल, मानव रहित टैंक, जिसकी मारक क्षमता 4 से 7 किमी. है, लॉक, फायर एंड फारगेट।

-सीआरपीएफ का बैंड- 100 जवान- देश के हम हैं रक्षक की धुन बजाया 

- दुनिया का सबसे पुराना अद्र्धसैनिक बल- सीआरपीएफ, जिसका ध्येय वाक्य है-  सेवा और निष्ठा है, 
नेताजी सुभाष की आजाद हिन्द फौज के गीत- कदम कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा... के साथ परेड की

-आईटीबीपी के हिमवीरों का मार्चिंग परेड 

-दिल्ली पुलिस बैंड- आईपीएस डिप्टी कमिश्नर अक्षत कुमार परेड का नेतृत्व किया, गीत पर परेड, शांति सेवा और न्याय

- राजस्थान की रेत से लेकर गुजरात के कच्छ तक- ऊँट सवार दस्ता, सवार के साथ ऊँट को भी विधिवत सजाते हैं। ऊँट सवार दस्ता का ध्येय वाक्य- जीवन पर्यन्त कर्तव्य ड्यूटी टिल डेथ

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की एक टुकड़ी  राजपथ पर मार्च करती हुई। इन्हें ब्लैक कैट कमांडो के रूप में भी जाना जाता है। 1984 में बल का गठन हुआ था।

- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के जवान, 1984 में गठित, जिन्हें ब्लैक कैट कमांडो भी कहते हैं। श्वांन दस्ते, अत्याधुनिक हथियार, वाक्य- हर जगह हमारी लक्षा में लगे हुए हैं। सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा


- एनसीसी कैडेट्स का दल- दुनिया के सबसे 17 निदेशालय और लगभग 14 लाख कैडेट्स हैं। सम़

- सेना बैंड का परेड- कदम कदम बढ़ाए जा
 
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम-

गणतंत्र दिवस परेड की  सांस्कृतिक झांकियों में सबसे आगे लद्दाख रही, केंद्र शासित प्रदेश (लद्दाख) की पहली झांकी में लद्दाख की संस्कृति और सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाया गया। झांकी की थीम-भविष्य का विजन रहा।
- लद्दाख की झॉकी- सबसे पहले आई, जिसमे आगे गौतम बुद्ध का रूप, लद्दाख में लांबा आदि दिखे  


गुजरात की झांकी में मोढ़ेरा स्थित सूर्य मंदिर को दिखाया गया. झांकी में सूर्य मंदिर के 52 स्तंभ भी थे, जो एक साल में होने वाले 52 हफ्तों को प्रदर्शित कर रहे थे
- गुजरात - चालुक्य राजा भीम द्वारा बनवाए गए "सूर्य मंदिर" की झाँकी निकली  


- असम - चाय बागान और चाय उद्योग को दर्शाती। असम, अर्थात जो सम नहीं, कहीं ऊँचाई । दो पत्तियां और एक कली, तोड़ी जाती है।

-तमिलनाडु के पल्लव राजवंश का समुद्र तट पर बना मंदिर, पहले 7 मंदिर थे, अब 600 वषो्रं से,

- महाराष्ट्र - धार्मिक संतों - संत ज्ञानेश्वर की प्रतिमा सबसे आगे थी लोकतांत्रिक , छपपति शिवाजी संतों से मिलते रहते और उन्होंने एक नई

-उत्तराखंड - मोनल पक्षी, हिरन। केदारनाथ मंदिर, आगे आदि शंकराचार्य व नंदी।

- छत्तीसगढ़ - लोकनृत्य, लोक संगीत जो घरों, जंगलों हर जगह सुनते हैं, झांकी के आगे

पंजाब की झांकी में सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर के वैभव को दिखाया गया. झांकी की थीम गुरु तेग बहादुर की 400वीं जन्म जयंती पर रखी गई, जिसममें गुरुद्वारा श्री रकाब गंज साहिब और गुरु तेग बहादुर के अंत्येष्टि स्थल को भी दिखाया गया
- पंजाब - नौवें सिख गुरु तेग बहादुरजी, 400वाँ प्रकाश पर्व को दिखाया, उन्होंने पूजा-पाठ के साथ शस्त्र संचालन की शिक्षा दी।


-त्रिपुरा - पर्यावरण अनुकूल आत्मनिर्भर झाँकी, बाँस से अनेक प्रकार की बनाई चीजों को दर्शाया, बॉस द्वारा डलिया से लेकर शस्त्र बनाती हैं

- पश्चिम बंगाल- साबूत साथी, लड़के-लड़कियां सबको साइकिलें दी गई

-सिक्किम - सिक्तिम के पैंग लैबसोल उत्सव, कंचन जंघा पर्वत देवता की पूजा दिखाई, जिससे पहाड़ों से आने वाली विपत्ति नहीं आएगी

उत्‍तर प्रदेश सरकार की झांकी अयोध्‍या में बन रहे श्रीराम मंदिर पर केंद्रित रही, झाँकी के सलामी मंच के सामने आने पर अधिकांश लोग खड़े हो गए  : धर्म नगरी  

- उत्तर प्रदेश- श्रीराम मंदिर, आगे वाल्मिकी को रामायण की रचना करते हुए दिखाया, पीछे मंदिर  


- दिल्ली - लाल किला, शाहजहांनाबाद, चाँदनी चौक का दृश्य- भीड़-भाड़ का दृश्य

-कर्नाटक - विजयनगर द सिटी ऑफ विक्ट्री, राजा दूर-दूर तक साम्राज्य फैला था,दक्षिण एशिया में, हरिहर और बुक्का भाई थे, जिन्होंने विजय नगर की स्थापना की

- केरल - केरल की झाँकी में नारियल के महत्व को दिखाया (घर-घर में, समुद्र तट पर सर्वत्र नारियल) जो केरल के जनजीवन में , कथाकली

- आंध्र प्रदेश - लेपाक्षी मंदिर वास्तु का का अद्भुत रूप,एक ही चट्टान से शिवलिंग को, एक ही पत्थर से नंदी को बनाया गया। नीची चट्टान, ऊँची वीरुपन्ना दरबारियों ने बनवाया।

- अरुणाचल प्रदेश- दो जनजाति- वांकोस मोनपास पूर्व से पश्चिम का मिलन, उनकी नृत्यशैली

- आइटी मंत्रालय की झाँकी- डिजिटल इंडिया की झलक,आत्मनिर्भर भारत का प्रदर्शन,

- श्रम एवं रोजगारमंत्रालय की झाँकी - भारत की प्रगति को दर्शाया, झाँकी के दोनों ओर बड़ गियर वाले चक्के चल रहे थे, तो स्केटिंग करते हुए मजदूर हाथों में रिंच हथौड़े जैसे टूल्स पकड़े चल रहे थे। मजदूरों का सम्मान

- सामाजिक न्याय मंत्रालय की झाँकी- दिव्यांगजन सशक्तिकरण को दिखया गया

-आयुष मंत्रालय की झाँकी - आगे धन्वन्तरी का ऋ षि जड़ी-बूटी कूट रहे थे, तो पीछे

- सीआरपीएफ की झाँकी - आगे जवान तोप, गन लिए हुए, बीच में जीप में तोप और पीछे सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति - देखकर गृहमंत्री खड़ हो गए।

- बायोटैक्नॉजी विभाग - विभिन्न लैट लिखाया, कोरोना वैक्सी

-भारतीय तटरक्षक बल की झाँकी - पनडुब्बी के वर्किंग को दिखाई, दूसरे सबमैरीन ऊपर हेलीकॉप्टर

- सूचना प्रसारण मंत्रालय की झाँकी- वोकल फॉर लोकल को दर्शाया गया। स्थानीय चीजों का

- सीमा सड़क संगठन - आगे ग्लैशियर पर बर्फ हटाते हुए, फिर पहाड़ पर सड़क बनाते, पीछे पहाड़ में सुरंग बनाते हुए दिखाया

- केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग - फूलों से राजपथ के मार्ग को, इंडिया गेट व शहीद स्तंभ के साथ दिखाया

- संस्कृति मंत्रालय - स्वतंत्रता के 75वर्ष के आरंभ होने को दर्शाया, कदम-कदम

बच्चों का सांस्कृति कार्यक्रम--

तमिलनाडु का लोकनृत्य - 127 छात्र-छात्राओं ने मोरपंख, पहने, सिर परघड़े,परंपरागत वाद्यंत्र की मनमोहक धुनों पर, दिल्ली-तमिल एसोशिएशन के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत की गई।

हम फिट, तो इंडिया फिट - 102 बच्चों द्वारा नृत्य योग-व्यायाम-प्राणायाम के माध्यम से दर्शाया, जो तन-मन दोनों के आवश्यक है। वादा करलो खुद से, इसे रोज निभा ना है... फिट इंडिया मूवमेंट का शुभारंभ 29 अगस्त को प्रधानमंत्री किया था।

स्कूल केबच्चों का अंतिम कार्यक्रम- ओडिशा के लोकनृत्य बाजासल की कोलकाता के बच्चों की का प्रदर्शन। इसके बाद माउंट आबू पब्लिक स्कूल, विद्या भारती स्कूल रोहणी के बच्चों की प्रस्तुति- आत्मनिर्भर भारत की झलक। अर्थव्यवस्था के स्थिर विकास हेतु स्किल डेवलपमेंट होना चाहिए, मूल मंत्र- सब पढ़े सब बढ़े।

इसके बाद राजपथ का स्थान छोड़ दिया गया- जिससे वायुसेना के विमानेां का प्रदर्शन हो सके।

कभी-कभी मौसम खराब होता है, जिससे विमान उड़ाने में खतरा होता है। सभी की दृष्टि बाँयी ओर, जहां से विमान आएंगे।

100 से 200 फिट की ऊँचाई पर विमान उड़े। नार्थ ब्लॉक से साउथ ब्लॉक से उड़ते हुए राजपथ पर विमान, हेलीकॉप्टर उडऩे लगे- रुद्र फार्मेशन बनाकर 160 किमी. की गति से। मौसम अनुकूल न होने के कारण हेलीकॉप्टर में लगे सर्च लाइट ऑन कर लिया।

एमआई-35 और चार अपाचे हेलीकॉप्टर की उड़ान। जमीन से केवल

आकाश में 'भीमÓ आकार बनाते हुए सी-130 विमान आकार में बहुत बड़े मालवाहक विमान जिनका उपयोग मालवाहक के रूप में करते हैं।

भीम फार्मेशन के बाद- आकाश में 'नेत्रÓ बनाते हुए। संदेश देते कि हम आकाश में नेत्र हैं, सबकुछ देख रहे हैं।

आसमान में गरुण आकार बनाते- एक रफाल, दो जगुआर आकाश में एकलव्य आकारब नाते

त्रिनेत्र आकार बनाते एसयू-30 एमकेआई

आकाश की ऊँचाइयों को छूते हुए, लेकिन अंत में सभी को भौचक्का करने वाी दृश्य दिखाया

"विजय फार्म" में एडवांस हेलीकॉप्टर, जिन्होंने तिरंगे को दर्शाया।

अंत में रफाल आया, आकाश में ब्रह्मास्त्र बनाते हुए, 900 किमी. की स्पीड से, हवा में कई बार ऊपर-नीचे उठते हुए, ऊपर जाकर पल्टा खाया, फिर सीधी उड़ान ऊपर आकाश की ओर भरा। पहली बार राजपथ पर रफाल विमान को सम्मिलित किया। रफाल अभी फ्रांस से आ रहे हैं।

फ्लाई पास्ट, सलामी उड़ान हुई, जिसमें रफाल ने उड़ान भरी "ब्रह्मास्त्र" के समान।

इसके बाद , 72वें गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2021) के समापन पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सलामी मंच से उतरे। फिर, परंपरागत अश्वारोहियों के दल के साथ सर्वप्रथम राष्ट्रपति को विदाई दी गई, जो राष्ट्रपति भवन की ओर बढ़े।  

अंत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पैदल दर्शक-दीर्घा और बच्चों की ओर जाकर हाथ हिलाया, सभी का अभिवान किया और शुभकामनाएं दी। पीएम के राजपथ पर पैदल चलते, हाथ हिलाने तक गणतंत्र-दिवस की कमेट्री दूरदर्शन एवं अन्य न्यूज चैनल्स पर चलती रही। न्यूज़ चैनल्स के कमेंटेटर्स के अतिरिक्त बरसों से जानी-पहचनी ब्रिगेडियर चितरंजन साहू की कर्णप्रिय सारगर्भित कमेंट्री भी सुनकर  सभी को गौरव का अनुभव हुआ. 

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