फंगस के मामलों में वृद्धि, भ्रांतियां भी फैल रही हैं


"Fungal infection observed in Covid patients is mostly Mucormycosis"

(धर्म नगरी / DN News) वाट्सएप- 6261868110
केन्‍द्र ने पिछले चार दिनों में राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों के लिए फंगसरोधी औषधि एम्‍फोटेरिसिन-बी की 43,000 से अधिक शीशियां आबंटित की। सरकार सभी आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए फंगस रोधी औषधि के उत्‍पदान में तेजी ला रही है। केन्‍द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री सदानंद गौडा ने बताया- बढती मांग को देखते हुए राज्‍य और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को एम्‍फोटेरिसिन-बी की 19,420 शीशियों की आपूर्ति की गई। इससे पहले पिछले एक महीने में कोविड से निपटने के लिए रेमेडिसिवर की करीब एक करोड शीशियों का त्‍वरित और समय पर आबंटन किया गया। देश में फंगस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है इसके कारण फंगस रोधी दवा की मांग बढी है।  


क्या है 
ब्‍लैक फंगस ?
म्‍यूकोरमाइकोसिस या ब्‍लैक फंगस के मिथ्या नाम से जाने जाने वाली बीमारी वास्तव में एक बहुत ही सामान्य समूह के कवक Mucormycetes से होती है। यह एक बहुत ही सामान्य कवक या फंगस समूह है, जो मिट्टी और हमारे पर्यावरण में आसानी से पाया जाता है। इस संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं-
डॉ. रणदीप गुलेरिया, निदेशक AIIMS, नई दिल्ली 
"कई टर्म्‍स जो हैं वो मिसलीडिंग हैं जिससे कन्‍फ्यूजन ज्‍यादा हो जाता है। फंगल इन्‍फेक्‍शन, अगर हम देखें तो ईवन जो हम ब्‍लैक फंगस की बात करते हैं तो म्‍यूकोरमाइकोसिस की। एक्‍चुली वो ब्‍लैक फंगस एक अलग फैमली है। ब्‍लैग फंगस का नाम इस म्‍यूकोर के साथ इसलिए जुड़ गया, क्‍योंकि जो इसका कल्‍चर होता है वो वाइट कलर का फंगर कॉलोनीज आती हैं। वाइट कलर के फंगर कॉलोजीज के साथ ऊपर ब्‍लैक डॉट्स आ जाती हैं और वो कल्‍चर में अगर वो थोड़े-थोड़े ब्‍लैक डॉट्स दिखते हैं इसलिए एक जनरल टर्म में ब्‍लैक फंगस नाम इसको दे दिया गया।"

"अगर हम फंगल इन्‍फैक्‍शन्‍स की बात करें तो इन जनरल जो हम फंगल इन्‍फैक्‍शन देखते हैं वो या तो म्‍यूकोरमाइकोसिस होते हैं जो हम आजकल कह सकते हैं कि बहुत ज्‍यादा देखा जा रहा है और फंगस इन्‍फैक्‍शन है जैसे कैनडिडा है, एक और फंगल इन्‍फैक्‍शन है एस्टिपोलोजिस क्रिप्‍टोकोसिस, इस्‍टोप्‍लाजमा और एक और होता है कोकसिको माइटोसिस इस टाइप के फंगल इन्‍फैक्‍शन्‍स हैं।"

इस बीमारी के संबंध में बहुत सारी भ्रांतियां भी फैल रही हैं। यहां ये जानना बेहद महत्‍वपूर्ण है कि हममें से हर किसी को इससे संक्रमण से डरने की आवश्‍यकता नहीं है, क्‍योंकि इस कवक को एक स्‍वस्‍थ या औसत प्रतिरक्षा वाला व्‍यक्ति भी आसानी से रोक सकता है। यह बीमारी वायरस की तरह हवा से भी नहीं फैलती और न ही यह संक्रामक है।

म्‍यूकोर जो है एक फंगल इन्‍फैक्‍शन है जो मेनली सोयल में देखा जाता है इनवायरमेंट में है और एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति को वैसे नहीं फैलता है जैसे कोविड फैलता है तो अगर एक व्‍यक्ति को म्‍यूकोरमाइकोसिस है और किसी व्‍यक्ति के साथ बैठा है तो ऐसा नहीं है कि उसको फंगल इन्‍फैक्‍शन उससे फैल जायेगा। दूसरा ये जो फंगल इन्‍फैक्‍शन है। 90 टू 95 परसेंट जो पेशेंट्स हैं जिनमें पाया गया है, उनमें या तो डायबिटीज है या साथ में स्‍टेरॉइड यूज किया गया है, जिन लोगों को डायबिटीज नहीं थी या जिन लोगों को स्‍टेरॉइड नहीं दिया गया उसमें ये बहुत रेयरली देखा गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, उन कोविड रोगियों में म्‍यूकोरमाइकोसिस के मामले अधिक हैं जो पहले से ही मधुमेह से पीडि़त थे। यह उन रोगियों में भी देखा जा रहा है। जिन्‍होंने अपनी वास्‍तविक आवश्‍यकता से अधिक स्‍टेरॉइड का प्रयोग किया और हां सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि डॉक्‍टर गुलेरिया ने यह भी कहा है कि इस बीमारी को अस्‍पतालों में दिये जा रहे मेडिकल ऑक्‍सीजन से जोड़ के देखा जाना भी प्रमाणिक तौर से स्‍थापित नहीं हो पाया है।

दूसरा यह समझना आवश्यक है, कि यह जो फंगल इन्‍फैक्‍शन है 90 से 95 % जो पेशेंट्स हैं जिनमें पाया गया है, उनमें या तो डाइबिटीज है या साथ में स्‍टेरॉइड यूज किया गया है। जिन लोगों को डाइबिटीज नहीं थी या जिन लोगों को स्‍टेरॉइड नहीं दिये गये हैं, उसमें ये बहुत रेयर‍ली देखा गया है। इट इज नॉट अनकॉमन। कई दफा लोग यह कहते हैं कि ऑक्‍सीजन के साथ इसका लिंक है लेकिन कई पेशेंट ऐसे भी हैं जो घर पर इलाज कर रहे थे, जिनको ऑक्‍सीजन की जरूरत नहीं पड़ी। घर पर उन्‍होंने स्‍टेरॉइड ले लिये और शूगर उनकी कंट्रोल नहीं हुई उनमें भी म्‍यूकोरमाइकोसिस देखा गया है जो हॉस्पिटल में एडमिट भी नहीं हुए।

जहां एक ओर स्‍वस्‍थ व्‍यक्तियों को म्‍यूकोरमोइकोसिस से डरने की जरूरत नहीं है, वहीं दूसरी तरफ इस फंगल रोग से पीडि़त लोगों को समय पर उपचार मिलने से इन में सुधार लाया जा सकता है।


During the briefing, Director, AIIMS New Delhi Dr Randeep Guleria said-

"It is better not to use the term Black fungus, while talking of mucormycosis, as it leads to a lot of avoidable confusion. He said, Black Fungus is another family and this term got associated with mucormycosis due to the presence of black dots among the culture of white fungal colonies."

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Dr. Guleria said, the Fungal infection observed in Covid patients is mostly Mucormycosis and is not a communicable disease, unlike Covid. He said, 90 to 95% of patients getting infected with this kind of fungal infection are found to have been either diabetic or taking steroids. In reply to a question, Dr Guleria said that there is no indication that the third wave of Covid will infect children severely.

 

Head of Department of the Endocrinology at AIIMS, New Delhi, Professor Nikhil Tandon in a Special programme on Covid said, mucormycosis, commonly known as black fungus usually affects Covid patients with low immunity. Replying to another question, Dr Tandon said that hospitalisation is important for people suffering from black fungus.

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