#UP_Election-2022 : क्या एकबार फिर से कांग्रेस-सपा में होगा गठबंधन !

(धर्म नगरी / DN News) वाट्सएप- 6261868110 रा. पाठक
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 0 सीट पाने के साथ कांग्रेस प्रदेश से गायब हो गई। सम्भवतः बंगाल में सूपड़ा साफ़ होने के कारण कांग्रेस पर आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में रणनीति बदलने का दबाव बढ़ गया है। 
देश के सबसे बड़े विधानसभा वाले इस राज्य को प्रधानमंत्री बनाने की कुंजी के रूप में माना जाता है, क्योंकि उप्र से संसद में हर छठां सांसद होता हैअब सबसे बड़ी विधानसभा वाले प्रदेश के एसेम्बली चुनाव को लेकर दो पार्टी में गठबंधन की मांग तेज हो गई है पार्टी नेताओं का मानना है, उप्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना होगा। ऐसा नहीं होता है तो पार्टी के लिए सियासी राह आसान नहीं होगी।

उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन की वकालत करने वाले नेताओं का कहना है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से सबक लेना चाहिए। पार्टी केरल और असम में जीत की दहलीज तक नहीं पहुंच पाई, जहां सरकार में वापसी की सबसे ज्यादा उम्मीद थी। ऐसे में उसे उत्तर प्रदेश में अपने दम पर सत्ता में वापसी का सपना छोड़कर हकीकत का सामना करना चाहिए।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस तमाम कोशिशों के बावजूद अपना खाता तक खोलने में नाकाम रही, क्योंकि पार्टी हवा के विपरीत चल रही थी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यूपी भाजपा के लिए बेहद अहम है। इसलिए भाजपा अपनी सरकार बनाए रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगी। वहीं, कांग्रेस का पूरा दारोमदार अपने परंपरागत मतदाता और मुस्लिम वोट पर है।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2017 के परिणाम आने से ठीक पहले 10 मार्च 2017 को राहुल गाँधी का दिया बयान सुने, जिसमें उन्होंने कांग्रेस-समाजवादी पार्टी गठबंधन के जितने का दवा किया था.   
यूपी में मुस्लिम मतदाता अभी तक अलग-अलग कारणों से अलग-अलग पार्टियों को वोट करते आ रहे हैं। पर बिहार विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिमों के वोट करने के तरीके में बदलाव आया और पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर एकतरफा वोट डाला। ऐसे में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम मतदाता की मंशा समझी जा सकती है।

इन नेताओं का मानना है, मतदाता भाजपा के खिलाफ उस पार्टी को वोट देंगे, जो सरकार बना सकती हो। कांग्रेस फिलहाल इस स्थिति में नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को भाजपा विरोधी वोट एकजुट रखने गठबंधन पर विचार करना चाहिए। 
दूसरी ओर, कई नेता इसके खिलाफ भी हैं, जिनका कहना है, वर्ष 2017 के चुनाव में सपा से गठबंधन से पार्टी को नुकसान हुआ है। किसी बड़ी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन के बजाय छोटे दलों को साथ लेकर सोशल इंजीनियरिंग करनी चाहिए। उनका कहना है, 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 28 सीटों के साथ लगभग 12% वोट मिले थे। पर 2017 में केवल 6% मत मिले। ऐसे में पार्टी को गठबंधन के बजाय संगठन को मजबूत बनाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
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#Social_Media से-
There is only one target in front of all of us. We have to tell Modi ji that there will be a Congress/Samajwadi Party Govt in UP. -@INCIndia (Feb 20, 2017)
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