#Social_Media : आज चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स...2021618
क्या धोनी, विराट,सचिन जैसे खिलाड़ी ऐसा कर सकते हैं ?
बीते सोमवार एक जबरदस्त घटना घटी. फुटबॉल के सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने यूरो चैम्पियनशिप के एक मैच के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में अपने सामने रखीं कोकाकोला की दोनों बोतलें एक तरफ हटा दीं. उसके बाद उन्होंने वहीं रखी पानी की बोतल को उठाकर पत्रकारों को दिखाते हुए कहा– “आगुवा!” यानी पानी! दस सेकेंड में उन्होंने जता दिया, कि सॉफ्ट ड्रिंक्स को लेकर उनका क्या दृष्टिकोण है, जबकि कोकाकोला यूरो कप का टॉप स्पांसर है
रोनाल्डो की इस एक भगिमा ने यह किया कि कोकाकोला के शेयर गिरना शुरू हो गए. इस घटना का ऐसा जबरदस्त प्रभाव पड़ा कि कुछ ही घंटों के भीतर कम्पनी को चार बिलियन डॉलर यानी करीब 75 अरब(4billion) रुपयों का नुकसान हो गया. यह गिरावट अब भी जारी है.
एक इंटरव्यू में उनसे इसे लेकर प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा- “चूंकि मैं खुद सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता, मैं नहीं चाहूंगा कि कोई दूसरा बच्चा मेरी वजह से ऐसा करे. मैं कोई चिकित्सक नहीं हूं, लेकिन मुझे पता है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और मैंने अपने मैनेजर को इस बारे में साफ-साफ कह रखा है कि मैं किसी भी ऐसे प्रॉडक्ट के साथ नहीं जुड़ूंगा, चाहे वह सॉफ्ट ड्रिंक हो या सिगरेट या शराब.”
क्या हमारे भारत देश में धोनी, विराट, सचिन जैसे खिलाड़ियों में ऐसा करने का साहस है ? अपनी प्रतिक्रिया (विचार) नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें...
रोनाल्डो की इस एक भगिमा ने यह किया कि कोकाकोला के शेयर गिरना शुरू हो गए. इस घटना का ऐसा जबरदस्त प्रभाव पड़ा कि कुछ ही घंटों के भीतर कम्पनी को चार बिलियन डॉलर यानी करीब 75 अरब(4billion) रुपयों का नुकसान हो गया. यह गिरावट अब भी जारी है.
एक इंटरव्यू में उनसे इसे लेकर प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा- “चूंकि मैं खुद सॉफ्ट ड्रिंक नहीं पीता, मैं नहीं चाहूंगा कि कोई दूसरा बच्चा मेरी वजह से ऐसा करे. मैं कोई चिकित्सक नहीं हूं, लेकिन मुझे पता है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और मैंने अपने मैनेजर को इस बारे में साफ-साफ कह रखा है कि मैं किसी भी ऐसे प्रॉडक्ट के साथ नहीं जुड़ूंगा, चाहे वह सॉफ्ट ड्रिंक हो या सिगरेट या शराब.”
क्या हमारे भारत देश में धोनी, विराट, सचिन जैसे खिलाड़ियों में ऐसा करने का साहस है ? अपनी प्रतिक्रिया (विचार) नीचे कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें...
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क्या यही है भारतीयों का डबल कैरेक्टर ?
भारत की गुलामी का राज कहीं ये तो नहीं !
यह सत्य है कि हांगकांग के लोग आज भी भारतीयों से नफरत करते हैं, भले ही वो इस बात को व्यक्त ना करे क्यों ? ऐसा क्यों है ? क्योंकि वहां रहने वाले कुछ भारतीय लोगों के अनुभव इस प्रकार हैं-
हांगकांग में करीब एक वर्ष बिताने पर एक भारतीय महानुभाव की कई लोगों से दोस्ती हो चुकी थी परंतु फिर भी उन्हें लगा कि वहां के लोग उनसे कुछ दूरी बनाकर रखते हैं !
किसी दोस्त ने कभी उन्हें अपने घर नहीं बुलाया ?
उन्हें यह बात बहुत अखर रही थी। अंत में उन्होंने एक करीबी मित्र से उन्होंने जानने का प्रयास किया और पूछ ही लिया !
थोड़ी टालमटोल करने के बाद उसने जो बताया उससे उन भारतीय महानुभाव के तो होश ही उड़ गए।
हांगकांग वाले दोस्त ने पूछा- “200 वर्ष राज करने के लिए कितने ब्रिटिश भारत में आये या रहे होंगे ?”
भारतीय महानुभाव ने कहा- अधिकतम “10,000 के आसपास रहे होंगे”
“तो फिर 32 करोड़ भारतीय लोगों को यातनाएं किसने दी, इतने साल राज करने में उन्होंने मदद किसकी ली ?
वह आपके अपने ही तो लोग थे न ?
उदाहरण के लिए, जब जनरल डायर ने जलियाँवाला बाग में “फायर” कहा तब 1300 निहत्थे लोगों पर गोलियां किसने दागी ?
ब्रिटिश सेना तो वहां नहीं थी ?
और, क्यों एक भी बंदूकधारी पीछे मुड़कर जनरल डायर को नहीं मार पाया ?
...इसी प्रकार हिंदुस्तान में कितने मुगल आए थे ? उन्होंने कितने वर्ष तक भारत पर राज किया और भारत को गुलाम बनाकर रखा और आपके अपने ही लोगों को धर्म परिवर्तन करवा कर मुसलमान बना कर आप के ही खिलाफ खड़ा कर दिया। जो बाद में सब पैसे के लालच में अपनों पर ही अत्याचार करने लगे अपनों के साथ ही भेदभाव और दुराचार करने लगे ?
आपके यहाँ की परंपरा है, कि अपने ही लोग कुछ निहित स्वार्थ व पैसो के लिए अपने ही लोगों को सदियों से मार रहे हैं, कभी इस पर आप लोगों ने विचार किया, क्योंकि आपके यहाँ के लोगो की सोच व संस्कार ही ऐसे हैं ?
आपके इस प्रकार के स्वार्थी धोखेबाज, दगाबाज, मतलबपरस्त लोग, दूसरो के साथ नि:स्वार्थ व्यवहार नही कर सकते। आपके यहाँ पहले यारी व भाईचारा फिर गद्दारी के लिये जाना जाता हैं, इस प्रकार के व्यवहार के लिए हम भारतीय लोगों से सख्त नफ़रत करते हैं...? जहां तक संभव है हम भारतीयों से सरोकार नहीं रखते या रखना चाहते ?
जबकि, ब्रिटिश जब हमारे देश हांगकांग में आए, तब एक भी व्यक्ति उनकी सेना में भर्ती नहीं हुआ, क्योंकि उसे अपने ही लोगों के विरुद्ध लड़ना गंवारा नहीं था, मात्र थोडे से लाभ व स्वार्थ के लिए ?
यह भारतीयों का डबल कैरेक्टर है, कि बिना भविष्य के परिणाम के बारे में सोचे-समझे पूरी तरह बिकने के लिए तुरन्त तैयार रहते हैं ?
आप स्वयं देखे आज भी आपके देश भारत में यही चल रहा है !
किसी भी बात को लेकर विरोध हो या कोई और मुद्दा, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में और खुद के फायदों वाली गतिविधियों में राष्ट्र-हित को हमेशा सेकंड स्थान दिया जाता हैं। आप लोगों के लिये सबसे पहले मैं और मेरा परिवार तथा जाति व धर्म पहले रहता है और देश व देश के लोग जाए भाड़ में। इन्ही कारणो से इतनी बड़ी जनसंख्या का देश होने के कारण भी आज कितना पिछड़ा हुआ !
आप विचार करे तथा आपने अंदर देश प्रेम की भावना जागृत करने के उपाय सोचे, जिससे आनेवाले समय मे यह धारणा में बदलाव हो सके...
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अगर एयर टिकट का पैसा मेरे पास हो गया तो,
एकबार इजराइल जरूर जाऊँगा, वहाँ की मिट्टी देखूँगा...
आखिर क्या है ऐसा उसमें कि वहाँ गद्दार पैदा नहीं होते भारत के जैसे !
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किसी की मृत्यु हो जाए और आप उनके घर जाएं शोक व्यक्त करने और
शोक संवेदना व्यक्त करते हुए हंसते रहे तो आपको क्या कहा जाएगा ?
वैसे कोई भी नहीं हंसेगा, लेकिन हमारे देश के एक नेता हैं जो ऐसा कर सकते हैं...
देखें शोकाकुल महिला व सांत्वना देने वाले महान नेता को !
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हम पशु नहीं मनुष्य भले हों, लेकिंग कभी-कभी पशु हमें मनुष्यता सीखा देते हैं...जैसे इस वीडियो में...
हम पशु नहीं मनुष्य भले हों, लेकिंग कभी-कभी पशु हमें मनुष्यता सीखा देते हैं...जैसे इस वीडियो में...
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हिन्दू बेरोजगार क्यों हैं ? हिन्दू के बच्चें, हिन्दू युवक क्या-क्या कर सकते हैं और क्या-क्या नहीं ? बहुत ध्यान से सुनें और आप जो भी अपने सामर्थ्य से, स्थानीय स्तर पर कर सकते हों, अवश्य करें।
Why Hindus are unemployed ? Which type of jobs/work Hindu youths can do or can't do ? listen very carefully & do whatever you can. Link-
☟
https://www.youtube.com/watch?v=0Fqxa2auevE
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समाज में होते जबरदस्त बदलाव की है ये बानगी-
जिसे लेकर मुस्लिम समाज भी अचंभित और सदमे में है !
१. भारत में जितनी भी दरगाहें हैं, वहां का 80% खर्चा हिन्दुओं से चलता है ! FaceBook और WhatsApp की वजह से हिंदुओं मे एकता औऱ जागरुकता आ गई / आने लगी है !
जिसकी वजह से अजमेर दरगाह पर जाने वाले हिंदुओं की संख्या 30% तक कम हो गई है! इस बात को लेकर वहां के खादिम लोग बहुत परेशान हैं! - सोर्सेज: टॉप फाइव इंडिया लीडिंग ट्रेवल एजेंसीज !
२. अब हिंदू भाई- बहन इतने जागरुक हो गए हैं, कि कोई भी सामान सिर्फ हिंदू भाई की ही दुकान से खरीद रहे हैं, क्यों कि उन्हें यह एहसास हो गया है, कि उनके द्वारा शांति दूतों के दुकान से की गई खरीदारी कहीं ना कहीं उनके अपनों के पलायन का कारण बनेगी! इस बात को लेकर सभी बड़े मस्जिदों में मंथन का दौर चल रहा है!
३. अभी तक किसी भी उपद्रव होने पर शांत रहने वाले हिंदू भाई पलट कर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, इसको लेकर भी शांति दूतों की फटी पड़ी है!
४. सभी इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ईद पर जबरदस्त तरीके से मुसलमानों के घरों का सेवइयों का बाँयकाट किया गया है! मस्जिदों में नमाज के बाद अधिक से अविक हिंदुओं से दोस्ती करने को, औऱ उनको अपने में घर बुलाकर खाना खिलाने का, जोर दिया जा रहा है!
५. मुस्लिम एक्टर्स और देश विरोधी बयान देने वाली हीरोइनों कि फिल्मों के इनकम में भी जबरदस्त डाउन फाल आया है!
६. यह पॉइंट तो जबर्दस्त है, और बिलकुल शत प्रतिशत सही है, कि 2014 तक मुस्लिम बनने की होड़ 2019 तक हिन्दू बनने की होड़ में तब्दील हो गई!
पांच सालों में कितना बदल गया मेरा भारत! मोदी है तो यह मुमकिन हुआ है कि कोई भी सेकुलर नेता जालीदार टोपी नहीं पहना पूरे चुनाव में!
सोशल मीडिया से जबरदस्त फायदा हुआ है हिन्दू समाज को!
मोबाइल नहीं, यह महासमर का यंत्र है ! यह सब तेजी से फेलाना चाहिए कि आप सबके मिलकर काम करने का नतीजा है, कि पूरे चुनाव में हर पार्टी के नेता सिर्फ मंदिर की चौखट पर माथा रगड़ा है! दिग्विजय सिंह जैसा माद%$#त धर्म विरोधी नेता भी हिन्दू धर्म के विरुद्ध हिम्मत नहीं जुटा पाया! इसी तरह आप की एकता बनीं रही, तो वो दिन दूर नहीं जब हर राजनैतिक पार्टी आप से पूंछ कर टिकट तय करेंगी!
ये सही लिखा किसी ने-
जिस नरेंद्र मोदी ने
पाकिस्तान की तबियत से धुलाई एक कर दी;
मुस्लिम और ईसाई की दुहाई एक कर दी;
अब्दुल की चार थी, लुगाई एक कर दी;
उस मोदी जी को Divider in Chief कह रहे हो ?
यह बदलाव अच्छा है ! बदलते भारत की बदलती तस्वीर !!
काँग्रेस होती तो यह सब होने नहीं देती, सामाजिक सद्भावना रूपी जहर के नाम पर !
रामजी करें कि बस एक बात और हो जाये! आत्मरक्षा के लिए भी सब जल्दी से जल्दी आत्मनिर्भर हो जाएं !
हिन्दुओं, एकता और बढ़ाओ, सन्डे वाले दिन एक निश्चित समय पर मन्दिर जाना शुरू कीजिये, रेजिडेंट्स वैलफेयर सोसायटी इसमें अहम रोल निभा सकती हैं।
आज से ही शुरू कीजिये.... Because tomorrow never comes...
#साभार : पवन प्रकाश गुर्जर
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गद्दारी, देशद्रोह और सभी अच्छे कामों का विरोध करना मानो इनके नस-नस में भरी हो, देखें कश्मीरी में जब कोरोना की वैक्सीन लगाने स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची, तो ये मोहतमा कैसे स्वास्थ्य कर्मिंयों पर पत्थर फेंकने लगी...
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